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Showing posts from May, 2017

हमारे गॉड़फॉदर मोदीजी हमारी इच्छा पूरी करेंगे

अभी हाल ही में एक रियल इस्टेट व्यापारी ने आत्महत्या कर ली, यह व्यापारी हालाँकि बहुत बड़ा बिल्डर नहीं था, लेकिन नोटबंदी के बाद पहली बार इस तरह की ख़बर सुनने में आयी कि अब अमीर लोग भी आत्महत्या करने लगे हैं। ज़मीनों के दाम घरों के दाम सारे देश में बुरी तरह से गिर चुके हैं। हालाँकि हर शहर के बीचोंबीच अभी भी दाम करोड़ों रुपये के चल रहे हैं, लोग अब प्रॉपटों ख़रीद भी रहे हैं। लेकिन आम जनता जो बहुत ही तकलीफ़ से पैसा कमाती हैं वे अब इत्मिनाम से रेट गिरने का इंतज़ार कर रहे हैं। क्योंकि एक तो मोदीजी ने गारंटी दी है कि २०२२ तक सारे भारतवासियों को मकान वे बनाकर देंगे। इससे नयी पीढ़ी में बहुत आशा जागी है, कि हमारे गॉड़फॉदर मोदीजी हमारी इच्छा पूरी करेंगे। अब हैदराबाद के शमशाबाद में छह लाख या सात लाख रुपये में पप्लैट बिक रहा है, डबल बेडरूम, वह पलैट वाला विज्ञापन तो दे रहा है, लेकिन जाकर बात करें तो वही बिल्डर गंदी, छिछोरी बातें करेगा कि इस फ्लैट का दाम सात लाख तो हैं मगर मैं यहाँ पार्किंग के पैसे अलग से लूटुंगा, चमन के अलग से लूटुंगा, काफ़ी मज़ाकिया बातें कहकर पैसे ऐंठेगा लेकिन ले देक

आईपीएल-10 में रोहित का करिश्मा

आईपीएल-१० सिर्फ़ एक रन से मुंबई जीती, इस एक रन से खरबों रुपये की शर्त लोग हार गये, क्योंकि सभी ने पुणे पर बहुत सारा पैसा लगाया था, पहली पारी के बाद तो सारा का सारा पैसा पुणे के नाम पर लगा दिया गया था चार सौ चालीस वॉट का करंट मारा था, उस दिन जब मुंबई ने एक रन से मैच पुणे से जीत लिया था, काश, धोनी को अॉर्डर में ऊपर भेजा जाता तो पाँच गेंदों में सात रन तो वे आराम से बना लेते, लेकिन सामने अनुभवी मिचाल जॉनसन थे, जिनकी बदौलत मुंबई ने एकदम मुश्किल मैच में जीत हासिल की। मैच में सारा का सारा पैसा पुणे पर लगा था, क्योंकि वे मुंबई को तीन बार इसी बार हरा चुके थे, सो, अस्सी प्रतिशत लोग पुणे पर ही भरोसा कर रहे थे, लेकिन उस दिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था, आख़री ओवर में रोहित शर्मा के चेहरे को देखकर लग रहा था कि उन्होंने हाथ से मैच को छोड़ दिया लेकिन जैसे ही स्मिथ का कच पकड लिया गया तब आशा जागी और फील्डरों को धन्यवाद दिया जाना बदल डाला है। आईपीएल की यह दसवीं किस्त थी और नौजवान लोग इस खेल को जुनूनी हद तक चाहने लग गये हैं हर घर दुकान पर नौजवान रोज़ाना बैठकर आईपीएल को व्यापार में बदल चुके थे, कभी इस

बहुत सारा धन शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही है

बहुत सारा धन और बहुत सारी शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही आज का जवान लड़का बहुत सारा काम तो कर रहा है, लेकिन उसे मनचाहा पैसा नहीं मिल रहा है। जिससे वह बहुत ही छटपटा रहा है। जवान लोग जवान होते ही विदेश भाग रहे हैं, बेचारे वहाँ पर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहाँ वे सोलह से अट्ठारह घंटे मेहनत कर रहे हैं तब जाकर उनका मनचाहा पैसा मिल रहा है, लेकिन फिर उनपर पैसे का भूत इस क़दर सवार हो रहा है कि वे अपना जीवन जीना ही भूल जाया करते हैं, दिन-रात पैसे की हाय-हाय में ही सारा जीवन गुजार रहे हैं। बेचारे वहाँ पर अपना बच्चा चला जाता है जब वह केवल २२ साल का होता है, और वहाँ से कमाना शुरू करता है तो वह घर वालों की पूरी तमन्नायें पूरी करने करने के बाद तीस या पैंतीस साल में जाकर शादी करता है, और अंत में वह भारत आने से मना कर देता है, इसलिए बहुत सारा पैसा कमाता है तो वहीं का होकर रह जाता है, वह उस तरह के वर्क कल्चर में पूरी तरह से समा जाता है, फिर उसी में उसका सारा जीवन रम जाया करता है। इधर भारत में रहने वाला जवान भी बहुत ही परेशान हैं, आजकल अमीर घर के बच्चे ज़्यादा प

पाकिस्तान और हिंदुस्तान मुसलमानों का हो जायेगा, हिंदू भजन गाते रह जाएँगे

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डॉ. किशोरीलाल व्यास दक्षिण समाचार के १ फ़रवरी  २०१७ के अंक में शकील अख़्तर के कश्मीर पर विचार पर पढ़े, इस लेख से अलगाववाद की बू आती है। हिज़बुल मुजाहिदीन के शसस्त्र बुरहानवानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी मं उसके जनाज़े में लोगों की भीड़ उमड़ी तथा प्रदर्शन होते रहे, सुरक्षाबलों तथा पुलिस पर जो पथराव होता रहा, वह क्या सूचित करता है। पाकिस्तान के झंडे लहराना, आई.एस.आई की पताकाएँ फहराना किस बात का संकेत हैं। कश्मीरी युवकों पर एक भी गोली चली, न एक भी युवक मारा गया। घुसपैठिये से लोहा लेते सैनिकों पर कश्मीरियों ने पत्थर बरसाये, कई स्कूल जला डाले। लेकिन हमारे सुरक्षाबल हाथ बाँधे हुए लड़ाई लड़ रहे हैं। अलगाववादियों के पत्थरों से गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। फिर भी न गोली चला रहे हैं, न लाठी। अगर इस्त्राइल या जर्मनी में ऐसी घटना घटती तो बंदूक की गोली से सभी पत्थरबाज़ों को उडा दिया जाता। आपके लेखक शकील अख़्तर ने कहा है-यह गतिरोध की स्थिति है। कश्मीरी युवाओं के रास्ते बंद हैं। जबकि पाकिस्तान एक ओर से आतंकवादी भेजता है, दूसरी ओर बातचीत की पेशकश करता है। एक ओर बम विस्फोटों के षडयंत्

हिंदुस्तान को बेहतर कर रहे है मोदी

पिछले चार साल से मैं हिंदी मिलाप में छप रहे रेड एलर्ट कॉलम को रोज़ाना पढ़ता रहा हूँ, इसमें आत्महत्याएँ और हत्याओं के बारे में ख़बरें आया करती हैं। नोटबंदी के पहले हरदिन कम से कम दो लोग या चार लोग आत्महत्या करते थे, वह भी पैसे की तंगी के कारण आत्महत्या करते थे, इसमें अधिकतर लोग कर्जदेनेवालों के सताये जाने के कारण आत्महत्या करते थे। कर्ज देने वाले इनको दस प्रतिशत ब्याज पर पैसा दिया करते थे और रोज़ाना पैसे लेने छाती पर बैठ जाया करते थे, पैसे न दो तो हलक में हाथ डालकर पैसे निकालने जितनी गंदीगालियाँ दिया करते थे। हमारी आत्मा भी तड़प जाये इस तरह से सताया करते थे। मोहल्ले के बीचोंबीच ठहराकर चप्पलों से मारा करते थे, हर सप्ताह इस तरह की ख़बरों के माध्यम से कम से कम हर सप्ताह अट्ठारह लोगों के आत्महत्या करने की ख़बर छपाकरती थी। मगर अब नोटबंदी के बाद सप्ताह में केवल दो या तीन आत्महत्याएँ ही पैसे की तंगी के कारण हो रही हैं। मोदीजी ने इन बेसहारा ग़रीब लोगों को जो भारी ब्याज पर पैसा उधार लेकर आत्महत्या करते थे, उन लोगों को बिना सेक्यूरिटी के एक लाख रुपये लोन देना शुरू किया जिससे उन्होंने सबसे

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