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आज के नौजवान नौकरी कर रहे हैं या उनका जीना एक सज़ा है

आज के नौजवान बारह से अट्ठारह घंटे की पढ़ाई कर रहे हैं आज के नौजवान बारह से अट्ठारह घंटे की पढ़ाई कर रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं या उनका जीना एक सज़ा की तरह हो गया है, उनका दिमाग़ नॉर्मल नहीं दिखता है, किसी और ही दुनिया में खोये रहते हैं, इस सज़ा को कैसे हम कम करें इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए कि आजकल के जवान लड़का-लड़की का संबंध अपने बुजुर्गों से पूरी तरह से टूट चुका है। माता-पिता और बच्चों में आजकल आधा घंटे या एक घंटे से ज़्यादा बात ही नहीं हो पाती है, पहले तो ऐसा था कि पिता और बेटे में लगातार बात होती रहती थी। माता और बेटी में लगातार बात होती रहती थी। माता के साथ बेटी तीन तीन घंटे तक किचन में मदद किया करती थी, बेटी को टेबल पोंछना, झूठे बरतन उठाना, झाडू मारना पोंछा लगाना सिखाया जाता था। लेकिन अब सारे नौजवान मोबाइल में घुसे रहते हैं, चौबीस में से दस घंटे तक वे मोबाइल में ही घुसे रहते हैं। उन्हें देखकर हैरत होती है कि ये लोग इंसान नॉर्मल हैं या कोई पागल हैं जो लगातार मोबाइल को ही देखे जा रहे हैं। उनको हँसना है तो मोबाइल में जोक्स या शायरी देखकर हँसते हैं, लेकिन आपस में जब बात करत...

मेट्रो रेल के हैदराबाद

मेट्रो रेल के हैदराबाद में आने से अब रियल इस्टेट के दाम शहर के बाहर के हिस्सों में भी बढ़ जाएँगे और व्यापार के लिए लोग बाहर से आएँगे हैदराबाद शहर लखनऊ की तरह बहुत ही आलसी शहर हुआ करता था। पहले आप पहले आप में नवाब साहब की गाड़ी हैदराबाद में भी निकल जाया करती थी, क्योंकि हैदराबाद भी बहुत ही तहज़ीब और इज्जत देने का शहर रहा है, यहाँ पर हरेक व्यापारी एक दूसरे को राजा-राजा कहकर बात किया करता है। यहाँ के लोगों का पहले एक ही काम हुआ करता था, खूब खाना और शुगर बढ़ा लेना, और दिन भर एसिडिटी का शिकार होकर डकार मारते रहना। और ढरा ढर ढरा ढर आवाज़ों के लिए बाध्य हो जाना। लोग आपस में अपने ही घर की बात है कहकर बात किया करते हैं। लेकिन जब से ओला और ऊबर टैक्सी हैदराबाद में आ गयी है, तब से हैदराबाद के हरेक गाड़ी की तेज़ी बहुत बढ़ गयी है, बेहद सुकून के इस हैदराबाद शहर में अब सड़क पार करना बहुत ही मुश्किल हो गया है। अब आप मोजमजाही मार्केट की सड़क सुकून से पार नहीं कर सकते, काचीगुडा की नही, बेगमबाज़ार की नहीं, आबिद रोड की नहीं, चारमीनार की नहीं, मदीना की नहीं, शालीबंडा के उतार की सड़क पार करो तो सारी गाडिया...

मोदीजी के साथ मिलकर हम नया भारत बनाएँ

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मोदीजी के साथ मिलकर हम नया भारत बनाएँ मोदीजी भारत की आम जनता आजकल सरकार से डरकर जी रही है। सरकार को डराना भी चाहिए। सरकार हमारी माईबाप बन गयी है। एक रक्षक बन गयी है, एक पिता बन गयी है। पिता जिस तरह से बच्चों को उनके भले के लिए डराकर रखता है सरकार उसी तरह से जनता को डराकर रख रही है, हमने १९८० के बाद के पैदा हुए बच्चों को डराया नहीं बल्कि उनको लाड़-प्यार इतना सारा दे दिया कि अब वही बच्चे माता-पिता को डरा धमकाकर जी रहे हैं, बच्चे ही माता-पिता का सारा पैसा व्यापार में लुटा रहे हैं। इसलिए किसी के भले के लिए डराने वाला बहुत ज़रूरी होता है। सो, इस बिगड़े हुए देश में एक अनुशासित सरकार का होना बहुत ही ज़रूरी हो गया है। पहले उडती हुई ख़बर आयी है कि दस-दस के सिक्के बंद हो रहे हैं, तो लोगों ने दस दस के सिक्के बैंकों में डालना शुरू कर दिये। अब ख़बर आ रही है कि दो हज़ार के नोट बंद हो रहे हैं, इसलिए उन नोटों को लोग जल्दी-जल्दी बैंक में डाल रहे हैं। मोदीजी ने धन संचय पूरी तरह से बंद करने की कसम खा ली है, जो बहुत ही अच्छी बात है। ग़रीब देश में दो हज़ार का नोट चलेगा तो देश में अपने आप भ्र...

शहर का चेहरा बदलने के लिए ओला, ऊबर कार

हर शहर का चेहरा बदलने के लिए ओला, ऊबर कार आ गयी है, रिलायंस भी टैक्सी चलायेगा, शहरों का नवाबीपन और चैन इससे उजड गया है, लोगों को और भी बीमारियाँ लगने का अंदेशा हो गया है ऑटो से पहले 150 रुपया किराया लगता था, अब वहीं पर अब केवल पचास रुपये ओलाकार टैक्सी से लग रहे हैं। सो, लोग अब ऑटो में न जाकर ओला, उबर कार में जा रहे हैं, एक तो कार में जाते हैं तो बारिश से पूरी तरह से बचा जा सकता है, गर्मी से भी बचा जा सकता है, क्योंकि कार में एयरकंडीशन होता है। ओलाकार आने से लोग फ़ोन करके कार को अपने क़दमों के पास, अपने घर के ठीक सामने बुला लेते हैं। ओला कार आने से दो फ़ायदे हो गये हैं। एक तो कार का कम किराया होने से लोग मेहनत ज़्यादा कर रहे हैं, दूर-दूर कार में जाकर व्यापार बढ़ा रहे हैं। क्योंकि एसी कार होती है, और जिस गली के अंदर तक, कोने तक जाना है, ओला कार में जा सकते हैं। दूसरी बात, कार में बैठे रहने से आप बाहर के प्रदूषण से पूरी तरह से बच पा रहे हैं। आज सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि स्कूटर-ऑटो से आपके मुँह में गाड़ियों का धुआँ ज़बरदस्ती फेफडों में घुस जाता है जिससे बाद में जाकर साँस लेने में तकल...

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