Posts

Showing posts with the label को

कन्हैया कुमार की बातों को कितना लागू कर रहे हैं मोदीजी

क्या कन्हैया कुमार में किसी तरह से बड़ा राजनीतिज्ञ बनने की चिंगारी है, इधर हमें मोहन भागवत की बातों पर भी ध्यान देना होगा जिस तरह से मुसलमान राजनीतिज्ञ जैसे असदुद्दीन-अकबरुद्दीन बंधु आक्रामक तरीके से बात करते हैं तो हिंदू जनता उसको हँसते-हँसते बदश्त कर लेती है कि ये नादान हैं। लेकिन हिंदूवादी संगठन जब कमल हासन को कुछ कहते हैं तो वो उसे बहुत ही गंभीरता से ले लेते हैं। और सारे देश में हल्ला मचा देते हैं कि मेरी जान को ख़तरा है। यह तो उनको बोलने के पहले समझना चाहिए था कि महाभारत के बारे में जो उन्होंने कहा था क्या वो हिंदुओं को चोंट करेगा या नहीं। मैं संपादक के रूप में इस बात का पक्षधर नहीं हूँकि मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदुओं के खिलाफ़ कुछ कहा जाये या हिंदुओं को खुश करने के लिए मुसलमानों के लिए कुछ कहा जाये, आज तो देखिये दोनों समुदाय चैन की बंसी बजा रहे हैं। ये हिंदू पार्टी और मुस्लिम पार्टी होती क्या है, इसे समझने के लिए जावेद अख्तर की बात याद आती है, एक बार जावेद अख्तर से पूछा गया कि ये हिंदू संगठन और मुस्लिम संगठन क्या होते हैं, तो जावेद अख्तर ने कहा कि कांग्रेस ने जब मुसलमानों...

घर की सत्ता घर की औरत को दी जाए

घर की सत्ता घर की औरत को दी जाए या फिर घर के मर्द को दी जाय मर्द के हाथ में सत्ता हो तो मातापिता, भाई-बहन निभ जाते हैं औरत के हाथ में सत्ता हो तो सिर्फ़ पैसे से परिवार आगे बढ़ता रहता है यह सवाल हालाँकि पिछले तीस-चालीस बरसों से चल रहा है, कि घर में ताकत औरत की ज़्यादा हो या मर्द की हो, लेकिन अब यह सवाल और भी ज़रूरी हो गया है, जिस मर्द के माता-पिता जिंदा हैं उसकी पत्नी की धौंस-घमंड मर्द पर हावी रहती है। मर्द औरत पर दो चार तरह से अपनी धौंस-घमंड जमा सकता है। एक तो वो पत्नी को पीटता है, तो पत्नी डर जाती है कि पतितो पीट रहा है, पीटने से बदन दर्द हो रहा है इसलिए पति जो कह रहा है वह सुन लेती हूँ, पति के मातापिता की सेवा कर लेती हूँ, ननद भी आये तो सेवा कर लेती हूँ। इसी तरह से अभी तक देश के लगभग आधे परिवार चला करते थे, जो भी ताकत थी वो सास और ससुर के हाथ में हुआ करती थी, सास-ससुर के नाम पर घर हुआ करता था तो बेटा भी माता-पिता को निभा लिया करता था, दूसरे भाई भी माता-पिता को निभा लिया करते थे, जो ससुर कहते थे उसी बात को सभी परिवार के सदस्य माना करते थे, सारी की सारी बहुएँ माना करती थीं। सबसे बड...

हिंदुस्तान को बेहतर कर रहे है मोदी

पिछले चार साल से मैं हिंदी मिलाप में छप रहे रेड एलर्ट कॉलम को रोज़ाना पढ़ता रहा हूँ, इसमें आत्महत्याएँ और हत्याओं के बारे में ख़बरें आया करती हैं। नोटबंदी के पहले हरदिन कम से कम दो लोग या चार लोग आत्महत्या करते थे, वह भी पैसे की तंगी के कारण आत्महत्या करते थे, इसमें अधिकतर लोग कर्जदेनेवालों के सताये जाने के कारण आत्महत्या करते थे। कर्ज देने वाले इनको दस प्रतिशत ब्याज पर पैसा दिया करते थे और रोज़ाना पैसे लेने छाती पर बैठ जाया करते थे, पैसे न दो तो हलक में हाथ डालकर पैसे निकालने जितनी गंदीगालियाँ दिया करते थे। हमारी आत्मा भी तड़प जाये इस तरह से सताया करते थे। मोहल्ले के बीचोंबीच ठहराकर चप्पलों से मारा करते थे, हर सप्ताह इस तरह की ख़बरों के माध्यम से कम से कम हर सप्ताह अट्ठारह लोगों के आत्महत्या करने की ख़बर छपाकरती थी। मगर अब नोटबंदी के बाद सप्ताह में केवल दो या तीन आत्महत्याएँ ही पैसे की तंगी के कारण हो रही हैं। मोदीजी ने इन बेसहारा ग़रीब लोगों को जो भारी ब्याज पर पैसा उधार लेकर आत्महत्या करते थे, उन लोगों को बिना सेक्यूरिटी के एक लाख रुपये लोन देना शुरू किया जिससे उन्होंने सबसे...

Labels

Show more