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नोटबंदी क्यों की गयी, उसका क्या फ़ायदा हुआ है

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नोटबंदी क्यों की गयी, उसका क्या फ़ायदा हुआ है नोटबंदी आज आठ महीने के बाद भी ठीक से पता नहीं चला है। क्योंकि सरकार की तरफ से जनता को तो किसी तरह का सीधा फ़ायदा हाथ नहीं लगा है, न किसी के बैंक खाते में पाँच लाख रुपये डाले गये हैं नही पंद्रह लाख डाले गये हैं। इस तरह से हम समझ चुके हैं कि यह सरकार जनता को मुफ्त की रोटियाँ तो खिलाने वाली नहीं है। यह सरकार सीधा-सीधा संदेश दे चुकी है, कि पैसा कमाना है तो मेहनत करके पैसा कमाओ, हमें टैक्स दो तो हमें किसी तरह का ऐतराज़ नहीं है। मगर सरकार ने तीन सौ रुपये में जो दो लाख का बीमा योजना शुरू की है, उससे हर ग़रीब का जीवन बहुत ही सुरक्षित हो गया है, मेरा हिसाब बताता हूँ, अगर मैं मर जाता हूँ, तो मेरी पत्नी को दो लाख मिलेगा, मैने एक्सीडेंट का केवल बारह रुपये का मोदीजी का भी बीमा करा लिया है, तो दो लाख और मिलेगा यानी अगर टक्कर हो गयी तो, चार लाख मिलेगा, चार लाख का ब्याज होता है तीन हज़ार रुपया, छोटा तीन हज़ार में किराये का मकान आ ही जाता है, तेलंगाना से विधवा पेंशन मिलती है एक हज़ार, पत्रकार होने के नाते मुझे मिलेंगे एक लाख एक्सीडेंट हो गया तो मिले...

हमदर्द और मशहूर मोदीजी

हमदर्द भी, परपीड़क भी, ममता से भरे, हंटर वाले, घोर अनुशासित, के रूप में मोदीजी मशहूर हो चुके हैं पिछले तीन साल में टेक्सटाइल वाले और गहने वालोंने हड़ताल की, हड़ताल चलती रही, चलती रही, लेकिन सरकार नहीं मानी तो थक हारकर वो लोग ही मान गये। अब सरकारी विभाग वालों की तनख्वाहों पर ही मोदी सरकार ऐसा प्रहार कर रही है, और सरकारी लोगों की पोस्ट ऑफिस बचत पर ऐसा हमला कर रही है कि सरकार के किसी भी विभाग वाले हड़तालें करने के लायक ही नहीं बचे हैं, वो मन ही मन कह रहे हैं कि सरकार तो हमें उल्टा लटकाकर मार रही है, सारे सरकारी कर्मचारी उल्टा जान बचाकर मुँह पर उंगली रखकर काम कर रहे हैं। पहले तो किसी न किसी देश के बड़े सरकारी क्षेत्र जैसे बैक, परिवहन, बिजली, डाकघर, रेल आदि विभाग की लगातार हड़तालें चलती ही चली जाती थी, चलती ही चली जाती थी। तीन साल में हड़तालें बंद हो गयीं, दोबारा हुई तो सरकार का हंटर चलेगा, तो चारों ख़ाने चित्त हो जाएँगे। भारत बंद, बंद हो गये, राज्यों में बंद, बंद हो गये, शहरों में बंद, बंद हो गये। अब तो आप १५ अगस्त के दिन भी दुकान खोल रहे हैं तो कोई पूछने वाला नहीं है, दो अक्तूबर ...

नोटबंदी के बाद रहन-सहन में फर्क आ गया है

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नोटबंदी के बाद लोगों के रहन-सहन में फर्क आ गया है, लोगों के पास पैसे की कमी बहुत हो गयी है, हालात बहुत ही बद से बदतर होते चले जा रहे हैं  नोटबंदी नोटबंदी के बाद दो महीनों तक तो लोगों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये। जो लोग प्राइवेट नौकरी कर रहे थे, उनकी नौकरी खतरे में आ गयी थी, कईयों की नौकरी चली गयी, लोग बस बिना कुछ किये दो महीने तक जिंदगी गुजार रहे थे। व्यापारियें को कहीं से भी पेमेंट नहीं आ रहे थे। सारे होटलों में किसी तरह का ग्राहक ही नहीं था, सिनेमाघरों में भीड़ नहीं थी, लोगों के पास बड़ा इलाज कराने तक के पैसे नहीं थे, ऑटो खाली जा रहे थे, कारों की सवारी कोई नहीं कर रहा था। जबकि करीब एक लाख युवाओं ने ओला, ऊबर कार वंपनियों के भरोसे ब्याज पर कारें खरीदीं थीं, उनकी हालत दो महीने तक बद से बदतर हो गयी थी। और आज तो हालात बद से बदतर हो गयी है, क्योंकि लोग अब अपनी लैविश यानी अमीरों जैसी fæजदगी जीने जैसे लायक ही नहीं रहे  गये हैं, पहले ऑटो वाला अपने दो बच्चों को महँगी फीस के स्कृल में पढ़ा रहा था। नोटबंदी के बाद उसके पास बच्चों की फीस भरने के लाले पड़ गये। उस...

जिंदगी बहनों बेटीयों की शादी करते हुए गुजर जाती है

दुनिया में ऐसे लोग भी होते हैं जिनकी जिंदगी बहनों और बेटीयों की शादी करते हुए गुजर जाती है  एक आदमी है जो बहनों की शादी कर चुका है, एक दो बहनें नहीं चार-चार बहनों की शादी उसने की है, जिसमें पिता का कोई सहयोग ही नहीं था, कोई  जमीन नहीं थी, न ही कोई जाति मकान ही था। वह एक सेठ के पास काम किया करता था। वह सेठ का पूरी तरह से गुलाम हो गया था। क्योंकि सेठ ही उसकी चार बहनों की शादी में बहुत सारी मदद कर दिया करता था। उसकी नौकरी का समय तय ही नहीं था। वह सुबह छह बजे वहाँ पहुँच जाया करता था और रात में एक बजे घर वापस आया करता था। दिन में जब सेठ को काम नहीं होता था तो वह कुसार्री पर एक घंटा नींद ले लिया करता था।  इस परिवार में ईश्वर की यह वृपा थी कि यह परिवार संघषर्र करना ही जानता था, चार-चार बेfटयों को संभालकर रखना भी बहुत ही बड़ा काम था। कई लड़के शादी का प्रस्ताव लेकर आया करते थे। उनको भी भगाने का काम करना पड़ता था। जाति-वाति भी देखना पड़ता था, अपनी ही जाति में ही लड़का देना पड़ता है, दो लड़के आये भी थे एक ने कहा कि मैं सरकारी नौकरी में हूँ और मुझे आपकी बेटी बहुत ही पसंद है, मैं जीवन ...

मोदीजी ने नोटबंदी करके सभी भारतवासियों के सिर से बहुत भारी बोझ उतार दिया है।

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मोदीजी ने नोटबंदी करके सभी भारतवासियों के सिर से बहुत भारी बोझ उतार दिया  है।  गंदे पैसे का बोझ, भ्रष्ट पैसे का बोझ, नोंच नोंचकर खाने के पैसे का बोझ, एक ही चोंट मारी तो सारी धरती fहल गयी। भूचाल आ गया, आत्मा भी रो पडी भ्रष्टाचाfरयों की।  जय हो मोदीजी, एक बाबा झोली लेकर आया और काम तमाम करके बैठा है शान से गद्दी पर। मोदीजी ने गरीबों के fलए सात सौ दवाओं के दाम भी कम कर fदये हैं, ये है मोदीजी का मानवता का उत्वृष्ट रूप वरना ये राक्षस दवाओं के दाम बढाकर जनता को रौंद रहे थे। इलाज पर तो चोंट धमाकेदार रही अब शिक्षा  के वहशीपन पर भी वृपा करके जल्दी से जल्दी मोदीजी वुछ कीfजए, हम आपको एक ईश्वर के भेजे दूत की तरह देख रहे थे, आप हमारे fपतातुल्य हैं, बा॰जारवाद को आप बुरी तरह पाताल में गाडने की तैयारी कर रहे हैं। यह भी हमें पता है, महँगाई को दफन कर रहे हैं, देश के सबसे गरीब आदमी के चेहरे पर fदन ब fदन मुस्कान आ रही, यह मुस्कान चौडी होती जाये हम ईश्वर से इसी तरह की सद्बुfद्ध की कामना आपके fलए कर रहे हैं। दाढी वाले बाबा को लाख लाख प्रणाम।   भ्रष्टाचार का गंदा बोझ सभ...

मोदीजी, नोटबंदी आने से समुभय इंसानियत से भरा भारत लौट रहा है

मोदीजी, नोटबंदी आने से समुभय, इंसानियत से भरा भारत लौट रहा है, लोग होटलबाज़ी से ऊबकर घर की ओर लौट रहे हैं  नोटबंदी करने से नयी पीढ़ी में फ़ैशनबाज़ी, होटलबाज़ी, गुलछर्रेबाज़ी में बहुत कमी हो गयी है, नयी पीढ़ी नोटों की सप्लाई नहीं होने की वजह से सालों के बाद घरों के भीतर दिखाई दे रहे हैं| यह परिवारो के लिए बहुत ही अच्छा संदेश दिखाई दिया| लोगों के पास सिनेमा देखने के लिए चार-चार हज़ार रुपये नहीं दिखाई दिये|  लोगों को तनख़्वाह भी बहुत ही धीरे-धीरे करके मिलने लगी थी| कुल मिलाकर कुछ समय तक रुक कर जीवन के बारे में सोचने का समय भी लोगों को मिला और नोटों की अहमियत लोगों को पता चली| लेकिन एक बात तो तय है कि लोग जब शॉपिंगबाज़ी के बारे में नहीं सोचते हैं तो देश के लिए सोचने लग जाते हैं, और इस समय मोदीजी ने देश को सबसे अच्छा माहौल दिया है| कहीं पर भी सांप्रदायिकता नहीं है, कोई भी हिंदू-मुस्लिम के अलग-अलग होने की बात तक ज़ुबान पर नहीं ला रहे हैं| लोग जातिवाद की बात पर भी ज़ुबान पर नहीं ला रहे हैं| इस समय शेयर बाज़ार बहुत ही अच्छे तरीक़े से चल रहा है| लगभग २७ हज़ार के पार चल रहा है| यानी आपके पास पै...

नोटबंदी का बहुत फ़ायदा हुआ है

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नोटबंदी का बहुत फ़ायदा हुआ है लोगों का ख़ून चूस कर धन संचय करने की आदत कम हुई है, अब सरकार को वंचित लोगों का भला करना चाहिए   नोटबंदी के बाद महँगाई आश्‍चर्यजनक तरीक़े से कम हो गयी है, टमाटर पॉंच रुपये किलो हो गये थे, सड़कों पर फेंके जा रहे हैं, टमाटर सस्ते इसलिए हो गये कि दरअसल इसका सही दाम यही हुआ करता था, ये तो बिचौलिये थे जो इसका काम दाम बहुत ज़्यादा करने जनता को लूटा करते थे, अरहर-तुअर की दाल के दाम आश्‍चर्यजनक तरीक़े से कैसे नीचे आ गये, क्योंकि नोटबंदी के कारण लोगों ने महँगी दाल ख़रीदना बंद कर दिया था, तो व्यापारियों ने सोचा कि इतनी महँगी दाल बेचेंगे तो कोई लेगा नहीं, लोग दूसरी दालें खा लेंगे, और हमारी अरहर की दुकानें बंद हो जाएँगी, फिर लोगों ने या कहिए कालाबाज़ारियों ने झक मारकर नोटबंदी के कारण दाल को सस्ती कर दी और आज दाल सत्तर रुपये से लेकर केवल नब्बे रुपये में बेच रहे हैं, जबकि नोटबंदी के पहले यही दाल १६० रुपये से लेकर २५० रुपये किलो तक बिक रही थी| कालाबाज़ारी लोग अब लहसुन के दाम बढ़ा रहे हैं, ये वे ही कालाबाज़ारी करने वाले लोग है जो बाज़ार में किसी न किसी तरह का षड़यंत्र किया...

मोदीजी क्या व्यापारियों को पेंशन दी जायेगी? - EDITOR NEERAJ KUMAR

नोटबंदी की वजह से दो महीने के भीतर कई व्यापारियों की दुकानें व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं, क्या व्यापारियों को पेंशन दी जायेगी?  नोटबंदी में सारे देश की जनता ने मोदीजी का भरपूर सहयोग दिया है| मोदीजी अब इस समय उन लोगों की ओर ध्यान न दें जो कालाधन को सफ़ेद करने में सफ़ल रहे| क्योंकि करोड़ों लोगों के दिल में भ्रष्टाचार रग-रग में बस चुका था| लोगों में धारणा घर कर गयी थी कि पैसा होगा तभी इज़्ज़त होगी| रिक्शावाला से लेकर अरबपति सभी के लिए पैसा ही भगवान हो गया था| और इन बीस साल में सच में पैसा ही भगवान हो चुका था, पैसा है तो आप भगवान नहीं तो हैवान  कहला रहा था, इंसान| इस ज़माने में जो भ्रष्ट लोग हो गये थे, उनके आगे-पीछे सारी दुनिया चल रही थी, अगर आपने कहा कि मैं ईमानदार हूँ, तो लोग आपको गालियॉं दे रहे थे| पूरी तरह से उल्टी गंगा बह रही थी|  लोगों ने ईमानदारी में जीकर देखा तो उसमें नसीहतें, गालियॉं, ज़लालत, हिकारत, मुफ़लिसी, यही मिल रहा था| बहुत अच्छा हुआ कि मोदीजी ने नोटबंदी कर दी, इससे लोगों को एहसास तो हो गया कि जो पैसा भगवान माना जाता था, उसी पैसों पर चोंट की जा सकत...

ऐसा लग रहा है कि मोदीजी के हाथ में देश सुरक्षित ही नहीं चरित्रवान बन रहा है

ऐसा लग रहा है कि मोदीजी के हाथ में देश सुरक्षित ही नहीं चरित्रवान बन रहा है, महँगाई कम हो रही है, पेट्रोल के दाम कम होंगे तो बेहतर होगा, ये गांधी,जेपी और लोहिया का देश बनना चाहिए, जहॉं धन नहीं चरित्र ऊँचा होना चाहिए, समाजवादी इसी तरह का देेश चाहते हैं   कुछ गुजरातियों से मैंने पूछा कि हमारे नरेंद्र दामोदर मोदी किस तरह के व्यक्ति हैं? सभी का कहना रहा कि वह वचन के पक्के हैं और उनके कार्य में एक तरह का रहस्य रहता है, वे जो ठान लेते हैं वो करके दिखाते हैं, उन्होंने पहले से हर दूसरा काम जोखिम उठाकर किया है| सो, इस तरह के प्रधानमंत्री को हम सभी ने मिलकर ढाई साल पहले चुना था |  नोटबंदी से देश को बहुत बड़ा अच्छा झटका ये लगा है कि लोगों को भारत का पॉंच हज़ार साल पुराना समय याद आ गया है| लोग कह रहे हैं कि पहले भारत के गॉंवों में ब्राह्मण लोगों की हर बात सुनी-अमल में लायी जाती थी, साथ ही शिक्षक और वैद्य की बात भी गंभीरता से ली जाती थी, और  दूसरी ओर ज़मींदारों का धन से बैभव से राज रहा करता था, पूरा दबदबा रहा करता था| ज़मींदार सभी को दबाकर रखा करते थे और ब्राह्मण लोग जो अच्छे चरित्र...

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