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मोदी राज में बैठकर खाने वालों की बिल्कुल जगह नहीं है

मोदी राज में बैठकर खाने वालों की बिल्कुल जगह नहीं है बैठकर सरकारी कुर्सियों पर नींद लेने की बिल्कुल जगह नहीं रही है  बैठ कर भ्रष्टाचार करने वालों के लिए इस देश में अब कोई जगह नहीं है। जब से सवर्णों का आरक्षण सरकार द्वारा घोषित किया गया है सवर्गों के बीच बहुत ही खुशियां मनाई जा रही है। लेकिन सवर्णो की खुशियां तभी रंग लाएगी जब सारे सब मिलकर मोदी जी को वोट दे। वोट डालने के लिए दौड़ दौड़ कर जाएंगे। और तब भारत का वोट प्रतिशत 70 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हो जाएगा। सवर्णो को सरकारी नौकरियाँ नहीं देने से सवर्ण लोग वोट डालने भी नहीं जाया करते थे, वे सोचते थे कि वोट हम डालें और मलाई कोई और ले जाये, सो, यह निराशा अब समाप्त हो गयी है, सो, वोट प्रतिशत इस बार बहुत बढ़ जायेगा। | इस तरह से यह मोदी जी का लिया गया ऐतिहासिक फैसला है। लेकिन यहीं पर बात अटकती है अब देखना यह होगा कि सवर्णों की प्रगति से दूसरी अन्य जातियां किस तरह से मोदीजी का साथ देती है या फिर इसका बदला लेती है। मोदी जी के समय में दो बड़ी बातें बहुत ही अच्छी तरह से सामने आई। 1990 में जब भारत का सारा श्रमिक वर्ग तैयार हो रहा थ...

मोदीजी, डाकिया डाक लाया पैग़ाम लाया

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मोदीजी, डाकिया डाक लाया, ख़ुशी का पैग़ाम कभी, कभी दर्दनाक लाया. मोदीजी अमेरिका की आबादी ३० करोड़ होगी तो उसमें से १० करोड़ लोग टैक्स भरते हैं। भारत की आबादी १३० करोड़ है तो उसमें से केवल ५ करोड़ लोग ही पूरी तरह से टैक्स भरते हैं। केवल नौ प्रतिशत गाड़ियाँ ही बीमा भरती है। सभी को पता है कि टैक्स से ही देश चला करते हैं। टैक्स भरने के बाद ही पीने का पानी, बिजली, मकान, सड़कें, इमारतें बना करती हैं। या उसकी सर्विस बेहतर हो पाती है, आज आप पानी की बोतल २० रुपये में ख़रीदते हैं लेकिन क्या नल से पानी जो आता है, जो सरकार देती है, क्या उसकी एक बोतल का रेट २० रुपये हैं या फिर नहीं, साहब एक रुपया भी नहीं है। आप उसी पानी को उबालकर पी सकते हैं। यह सेवा का काम सरकार को टैक्स की कमाई से होता है, यह जनता जानकर भी अनजान बनी रहती है, जैसे कि सरकार उनके घर की कोई लौंडी हो। सरकार उनके घर की दासी हो, सेवक हो, बंधुआ मज़दूर हो, मोदीजी ने यह सब कुछ ख़त्म करने का अभियान चलाया है तो लोग सकपका रहे हैं, उनको समझना चाहिए कि जब हम हमारी ज़रूरत की चीज़ों के लिए ही टैक्स नहीं भरेंगे तो देश कैसे चलेगा। अब आते ह...

हमदर्द और मशहूर मोदीजी

हमदर्द भी, परपीड़क भी, ममता से भरे, हंटर वाले, घोर अनुशासित, के रूप में मोदीजी मशहूर हो चुके हैं पिछले तीन साल में टेक्सटाइल वाले और गहने वालोंने हड़ताल की, हड़ताल चलती रही, चलती रही, लेकिन सरकार नहीं मानी तो थक हारकर वो लोग ही मान गये। अब सरकारी विभाग वालों की तनख्वाहों पर ही मोदी सरकार ऐसा प्रहार कर रही है, और सरकारी लोगों की पोस्ट ऑफिस बचत पर ऐसा हमला कर रही है कि सरकार के किसी भी विभाग वाले हड़तालें करने के लायक ही नहीं बचे हैं, वो मन ही मन कह रहे हैं कि सरकार तो हमें उल्टा लटकाकर मार रही है, सारे सरकारी कर्मचारी उल्टा जान बचाकर मुँह पर उंगली रखकर काम कर रहे हैं। पहले तो किसी न किसी देश के बड़े सरकारी क्षेत्र जैसे बैक, परिवहन, बिजली, डाकघर, रेल आदि विभाग की लगातार हड़तालें चलती ही चली जाती थी, चलती ही चली जाती थी। तीन साल में हड़तालें बंद हो गयीं, दोबारा हुई तो सरकार का हंटर चलेगा, तो चारों ख़ाने चित्त हो जाएँगे। भारत बंद, बंद हो गये, राज्यों में बंद, बंद हो गये, शहरों में बंद, बंद हो गये। अब तो आप १५ अगस्त के दिन भी दुकान खोल रहे हैं तो कोई पूछने वाला नहीं है, दो अक्तूबर ...

हमारे गॉड़फॉदर मोदीजी हमारी इच्छा पूरी करेंगे

अभी हाल ही में एक रियल इस्टेट व्यापारी ने आत्महत्या कर ली, यह व्यापारी हालाँकि बहुत बड़ा बिल्डर नहीं था, लेकिन नोटबंदी के बाद पहली बार इस तरह की ख़बर सुनने में आयी कि अब अमीर लोग भी आत्महत्या करने लगे हैं। ज़मीनों के दाम घरों के दाम सारे देश में बुरी तरह से गिर चुके हैं। हालाँकि हर शहर के बीचोंबीच अभी भी दाम करोड़ों रुपये के चल रहे हैं, लोग अब प्रॉपटों ख़रीद भी रहे हैं। लेकिन आम जनता जो बहुत ही तकलीफ़ से पैसा कमाती हैं वे अब इत्मिनाम से रेट गिरने का इंतज़ार कर रहे हैं। क्योंकि एक तो मोदीजी ने गारंटी दी है कि २०२२ तक सारे भारतवासियों को मकान वे बनाकर देंगे। इससे नयी पीढ़ी में बहुत आशा जागी है, कि हमारे गॉड़फॉदर मोदीजी हमारी इच्छा पूरी करेंगे। अब हैदराबाद के शमशाबाद में छह लाख या सात लाख रुपये में पप्लैट बिक रहा है, डबल बेडरूम, वह पलैट वाला विज्ञापन तो दे रहा है, लेकिन जाकर बात करें तो वही बिल्डर गंदी, छिछोरी बातें करेगा कि इस फ्लैट का दाम सात लाख तो हैं मगर मैं यहाँ पार्किंग के पैसे अलग से लूटुंगा, चमन के अलग से लूटुंगा, काफ़ी मज़ाकिया बातें कहकर पैसे ऐंठेगा लेकिन ले देक...

हिंदुस्तान को बेहतर कर रहे है मोदी

पिछले चार साल से मैं हिंदी मिलाप में छप रहे रेड एलर्ट कॉलम को रोज़ाना पढ़ता रहा हूँ, इसमें आत्महत्याएँ और हत्याओं के बारे में ख़बरें आया करती हैं। नोटबंदी के पहले हरदिन कम से कम दो लोग या चार लोग आत्महत्या करते थे, वह भी पैसे की तंगी के कारण आत्महत्या करते थे, इसमें अधिकतर लोग कर्जदेनेवालों के सताये जाने के कारण आत्महत्या करते थे। कर्ज देने वाले इनको दस प्रतिशत ब्याज पर पैसा दिया करते थे और रोज़ाना पैसे लेने छाती पर बैठ जाया करते थे, पैसे न दो तो हलक में हाथ डालकर पैसे निकालने जितनी गंदीगालियाँ दिया करते थे। हमारी आत्मा भी तड़प जाये इस तरह से सताया करते थे। मोहल्ले के बीचोंबीच ठहराकर चप्पलों से मारा करते थे, हर सप्ताह इस तरह की ख़बरों के माध्यम से कम से कम हर सप्ताह अट्ठारह लोगों के आत्महत्या करने की ख़बर छपाकरती थी। मगर अब नोटबंदी के बाद सप्ताह में केवल दो या तीन आत्महत्याएँ ही पैसे की तंगी के कारण हो रही हैं। मोदीजी ने इन बेसहारा ग़रीब लोगों को जो भारी ब्याज पर पैसा उधार लेकर आत्महत्या करते थे, उन लोगों को बिना सेक्यूरिटी के एक लाख रुपये लोन देना शुरू किया जिससे उन्होंने सबसे...

नोटबंदी के बाद रहन-सहन में फर्क आ गया है

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नोटबंदी के बाद लोगों के रहन-सहन में फर्क आ गया है, लोगों के पास पैसे की कमी बहुत हो गयी है, हालात बहुत ही बद से बदतर होते चले जा रहे हैं  नोटबंदी नोटबंदी के बाद दो महीनों तक तो लोगों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये। जो लोग प्राइवेट नौकरी कर रहे थे, उनकी नौकरी खतरे में आ गयी थी, कईयों की नौकरी चली गयी, लोग बस बिना कुछ किये दो महीने तक जिंदगी गुजार रहे थे। व्यापारियें को कहीं से भी पेमेंट नहीं आ रहे थे। सारे होटलों में किसी तरह का ग्राहक ही नहीं था, सिनेमाघरों में भीड़ नहीं थी, लोगों के पास बड़ा इलाज कराने तक के पैसे नहीं थे, ऑटो खाली जा रहे थे, कारों की सवारी कोई नहीं कर रहा था। जबकि करीब एक लाख युवाओं ने ओला, ऊबर कार वंपनियों के भरोसे ब्याज पर कारें खरीदीं थीं, उनकी हालत दो महीने तक बद से बदतर हो गयी थी। और आज तो हालात बद से बदतर हो गयी है, क्योंकि लोग अब अपनी लैविश यानी अमीरों जैसी fæजदगी जीने जैसे लायक ही नहीं रहे  गये हैं, पहले ऑटो वाला अपने दो बच्चों को महँगी फीस के स्कृल में पढ़ा रहा था। नोटबंदी के बाद उसके पास बच्चों की फीस भरने के लाले पड़ गये। उस...

जिंदगी बहनों बेटीयों की शादी करते हुए गुजर जाती है

दुनिया में ऐसे लोग भी होते हैं जिनकी जिंदगी बहनों और बेटीयों की शादी करते हुए गुजर जाती है  एक आदमी है जो बहनों की शादी कर चुका है, एक दो बहनें नहीं चार-चार बहनों की शादी उसने की है, जिसमें पिता का कोई सहयोग ही नहीं था, कोई  जमीन नहीं थी, न ही कोई जाति मकान ही था। वह एक सेठ के पास काम किया करता था। वह सेठ का पूरी तरह से गुलाम हो गया था। क्योंकि सेठ ही उसकी चार बहनों की शादी में बहुत सारी मदद कर दिया करता था। उसकी नौकरी का समय तय ही नहीं था। वह सुबह छह बजे वहाँ पहुँच जाया करता था और रात में एक बजे घर वापस आया करता था। दिन में जब सेठ को काम नहीं होता था तो वह कुसार्री पर एक घंटा नींद ले लिया करता था।  इस परिवार में ईश्वर की यह वृपा थी कि यह परिवार संघषर्र करना ही जानता था, चार-चार बेfटयों को संभालकर रखना भी बहुत ही बड़ा काम था। कई लड़के शादी का प्रस्ताव लेकर आया करते थे। उनको भी भगाने का काम करना पड़ता था। जाति-वाति भी देखना पड़ता था, अपनी ही जाति में ही लड़का देना पड़ता है, दो लड़के आये भी थे एक ने कहा कि मैं सरकारी नौकरी में हूँ और मुझे आपकी बेटी बहुत ही पसंद है, मैं जीवन ...

मोदीजी ने नोटबंदी करके सभी भारतवासियों के सिर से बहुत भारी बोझ उतार दिया है।

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मोदीजी ने नोटबंदी करके सभी भारतवासियों के सिर से बहुत भारी बोझ उतार दिया  है।  गंदे पैसे का बोझ, भ्रष्ट पैसे का बोझ, नोंच नोंचकर खाने के पैसे का बोझ, एक ही चोंट मारी तो सारी धरती fहल गयी। भूचाल आ गया, आत्मा भी रो पडी भ्रष्टाचाfरयों की।  जय हो मोदीजी, एक बाबा झोली लेकर आया और काम तमाम करके बैठा है शान से गद्दी पर। मोदीजी ने गरीबों के fलए सात सौ दवाओं के दाम भी कम कर fदये हैं, ये है मोदीजी का मानवता का उत्वृष्ट रूप वरना ये राक्षस दवाओं के दाम बढाकर जनता को रौंद रहे थे। इलाज पर तो चोंट धमाकेदार रही अब शिक्षा  के वहशीपन पर भी वृपा करके जल्दी से जल्दी मोदीजी वुछ कीfजए, हम आपको एक ईश्वर के भेजे दूत की तरह देख रहे थे, आप हमारे fपतातुल्य हैं, बा॰जारवाद को आप बुरी तरह पाताल में गाडने की तैयारी कर रहे हैं। यह भी हमें पता है, महँगाई को दफन कर रहे हैं, देश के सबसे गरीब आदमी के चेहरे पर fदन ब fदन मुस्कान आ रही, यह मुस्कान चौडी होती जाये हम ईश्वर से इसी तरह की सद्बुfद्ध की कामना आपके fलए कर रहे हैं। दाढी वाले बाबा को लाख लाख प्रणाम।   भ्रष्टाचार का गंदा बोझ सभ...

मोदीजी, नोटबंदी आने से समुभय इंसानियत से भरा भारत लौट रहा है

मोदीजी, नोटबंदी आने से समुभय, इंसानियत से भरा भारत लौट रहा है, लोग होटलबाज़ी से ऊबकर घर की ओर लौट रहे हैं  नोटबंदी करने से नयी पीढ़ी में फ़ैशनबाज़ी, होटलबाज़ी, गुलछर्रेबाज़ी में बहुत कमी हो गयी है, नयी पीढ़ी नोटों की सप्लाई नहीं होने की वजह से सालों के बाद घरों के भीतर दिखाई दे रहे हैं| यह परिवारो के लिए बहुत ही अच्छा संदेश दिखाई दिया| लोगों के पास सिनेमा देखने के लिए चार-चार हज़ार रुपये नहीं दिखाई दिये|  लोगों को तनख़्वाह भी बहुत ही धीरे-धीरे करके मिलने लगी थी| कुल मिलाकर कुछ समय तक रुक कर जीवन के बारे में सोचने का समय भी लोगों को मिला और नोटों की अहमियत लोगों को पता चली| लेकिन एक बात तो तय है कि लोग जब शॉपिंगबाज़ी के बारे में नहीं सोचते हैं तो देश के लिए सोचने लग जाते हैं, और इस समय मोदीजी ने देश को सबसे अच्छा माहौल दिया है| कहीं पर भी सांप्रदायिकता नहीं है, कोई भी हिंदू-मुस्लिम के अलग-अलग होने की बात तक ज़ुबान पर नहीं ला रहे हैं| लोग जातिवाद की बात पर भी ज़ुबान पर नहीं ला रहे हैं| इस समय शेयर बाज़ार बहुत ही अच्छे तरीक़े से चल रहा है| लगभग २७ हज़ार के पार चल रहा है| यानी आपके पास पै...

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