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मोदी राज में बैठकर खाने वालों की बिल्कुल जगह नहीं है

मोदी राज में बैठकर खाने वालों की बिल्कुल जगह नहीं है बैठकर सरकारी कुर्सियों पर नींद लेने की बिल्कुल जगह नहीं रही है  बैठ कर भ्रष्टाचार करने वालों के लिए इस देश में अब कोई जगह नहीं है। जब से सवर्णों का आरक्षण सरकार द्वारा घोषित किया गया है सवर्गों के बीच बहुत ही खुशियां मनाई जा रही है। लेकिन सवर्णो की खुशियां तभी रंग लाएगी जब सारे सब मिलकर मोदी जी को वोट दे। वोट डालने के लिए दौड़ दौड़ कर जाएंगे। और तब भारत का वोट प्रतिशत 70 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हो जाएगा। सवर्णो को सरकारी नौकरियाँ नहीं देने से सवर्ण लोग वोट डालने भी नहीं जाया करते थे, वे सोचते थे कि वोट हम डालें और मलाई कोई और ले जाये, सो, यह निराशा अब समाप्त हो गयी है, सो, वोट प्रतिशत इस बार बहुत बढ़ जायेगा। | इस तरह से यह मोदी जी का लिया गया ऐतिहासिक फैसला है। लेकिन यहीं पर बात अटकती है अब देखना यह होगा कि सवर्णों की प्रगति से दूसरी अन्य जातियां किस तरह से मोदीजी का साथ देती है या फिर इसका बदला लेती है। मोदी जी के समय में दो बड़ी बातें बहुत ही अच्छी तरह से सामने आई। 1990 में जब भारत का सारा श्रमिक वर्ग तैयार हो रहा थ...

मप्र, छत्तीसगढ़ में पंद्रह साल पुरानी भाजपा सरकारें थीं

मप्र, छत्तीसगढ़ में पंद्रह साल पुरानी भाजपा सरकारें थीं, तो उनको बदलना ही था, राजस्थान में भी पिछले पच्चीस साल से सरकार बदल रही है, इसीलिए भाजपा को नाराज़ होने के बजाय केवल मुसलमानों को पटाकर रखना चाहिए

मोदीजी आये हैं लेके दिल में इश्क मोहब्बत

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मोदीजी आये हैं लेके दिल में इश्क मोहब्बत, सबको गले लगाना अपने कल्चर की है आदत, स्वैग से करेंगे सबका स्वागत आमदनी अट्टनी ख़र्चा रुपय्या के हिसाब से आज भारत का हरेक नागरिक जी रहा है। कमाई धेले की नहीं है, ख़र्चा का अंबार लगा हुआ है। पिटते-पिटाते सब जी रहे हैं और मोदी सरकार की तरफ ललचायी नज़रों से देख रहे हैं और भजन गा रहे हैं, ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले....। पिंजरे के पंछी रे एएएए तेरा दर्द ना जाने कोई तेरा दर्द न जाने कोई....। इस जग की अजब तस्वीर देखी एक हँसता है दस रोते हैं....। दिमाग़ में पुराने पुराने गीत आ रहे हैं, कवि प्रदीप, के. एल. सहगल, मुकेश के गीत याद आ रहे हैं....दिल जलता है तो जलने दे आँसू न बहा फरियाद न कर, दिल जलता है तो जलने दे...।। गहराई से सोचें तो हम लोग ही आमदनी अट्टनी ख़र्चा रुपया का जीवन जी रहे हैं, और सरकार को कोस रहे हैं। बच्चों को महँगे स्कूल कॉलेजों में भेजकर उनकी भारी फीस का लबादा ओढ़ रहे हैं। चालीस साल पहले एक बच्चा अग्रवाल स्कूल में पढ़ता था, फीस थी एक रुपया, उस एक रुपय्या को बचाने के लिए फीस माफ़ कराने की लाईन म...

मेट्रो रेल के हैदराबाद

मेट्रो रेल के हैदराबाद में आने से अब रियल इस्टेट के दाम शहर के बाहर के हिस्सों में भी बढ़ जाएँगे और व्यापार के लिए लोग बाहर से आएँगे हैदराबाद शहर लखनऊ की तरह बहुत ही आलसी शहर हुआ करता था। पहले आप पहले आप में नवाब साहब की गाड़ी हैदराबाद में भी निकल जाया करती थी, क्योंकि हैदराबाद भी बहुत ही तहज़ीब और इज्जत देने का शहर रहा है, यहाँ पर हरेक व्यापारी एक दूसरे को राजा-राजा कहकर बात किया करता है। यहाँ के लोगों का पहले एक ही काम हुआ करता था, खूब खाना और शुगर बढ़ा लेना, और दिन भर एसिडिटी का शिकार होकर डकार मारते रहना। और ढरा ढर ढरा ढर आवाज़ों के लिए बाध्य हो जाना। लोग आपस में अपने ही घर की बात है कहकर बात किया करते हैं। लेकिन जब से ओला और ऊबर टैक्सी हैदराबाद में आ गयी है, तब से हैदराबाद के हरेक गाड़ी की तेज़ी बहुत बढ़ गयी है, बेहद सुकून के इस हैदराबाद शहर में अब सड़क पार करना बहुत ही मुश्किल हो गया है। अब आप मोजमजाही मार्केट की सड़क सुकून से पार नहीं कर सकते, काचीगुडा की नही, बेगमबाज़ार की नहीं, आबिद रोड की नहीं, चारमीनार की नहीं, मदीना की नहीं, शालीबंडा के उतार की सड़क पार करो तो सारी गाडिया...

राहुल गांधीजी ने कहा था कि आतंकवाद चलते रहेगा

राहुल गांधीजी ने कहा था कि आतंकवाद की घटनाएँ भारत में लगातार चलती ही रहेंगी राहुल गांधीजी ने कहा था कि आतंकवाद की घटनाएँ भारत में लगातार चलती ही रहेंगी और ये रुकने वाली नहीं हैं मोदीजी ने जल्दबाज़ी की तो हैदराबाद में मेट्रो लाइन चल पड़ी नहीं तो केटीआर केसीआर इस काम को पाँच साल तक लटकाकर ही रख देते थे, क्योंकि मेट्रोरेल पर हैदराबाद के कई गुडंबा मास्टर काम कर रहे थे, जो ज़मीन की खुदाई कर रहे थे, जो स्टेशन बना रहे थे, इसलिए यह राजशेखर रेड़ी के ज़माने से ही यह काम लटका हुआ है। गुडंबा मास्टर हैं तो पाँच साल लगने ही थे, वैसे भी हैदराबाद दुनिया का महाआलसी शहर है, यहाँ कोई काम जल्दी नहीं होता, क्योंकि बात हुई थी कि २०१६ में ही ये लाइन चलेगी लेकिन इसको रोका गया, मोदीजी तो ठहरे काम के नशेड़ी वे काम रुकते ही उसको छेड़कर काम को आगे बढ़ा देते हैं। हैदराबाद तो इतना आलसी शहर है कि यहाँ दुकानें ही दिन के ग्यारह बजे खुलना शुरू होती हैं। सो, धन्यवाद मोदीजी आपने मेट्रो हैदराबाद में चला दी। उधर पत्रकार रवीश कुमार कह रहे हैं कि ग़रीब देश में बुलेट ट्रेन की क्या ज़रूरत है, ऐसा है तो भारत से हवाईजहाज़ भ...

क्या धौनी की टीम में ज़रूरत है

क्या धौनी की टीम में ज़रूरत है, क्या धौनी को टीम से हटाना चाहिए, विराट कोहली लगभग सारे विश्व को हर फॉरमैट में जीत चुके हैं वे धौनी से कहीं बेहतर कप्तान साबित हो चुके हैं, अब भारत को हराना सारी दुनिया के लिए बेहद मुश्किल होता चला जा रहा है, एकदम मक्खन की तरह हरेक जीत आसान सी लग रही है आज सबसे उबलता, दनदनाता, फडफडाता सवाल यही है कि क्या धोनी को टीम में रखा जाना चाहिए ना नहीं। सौ बात की एक बात जब तक भारतीय टीम जीत पर जीत पर जीत हासिल करती जा रही है, हमको विजयी कॉमबिनेशन को नहीं गडबड करके धौनी को हटाना नहीं चाहिए। धोनी हालाँकि बहुत धीमे खेल रहे हैं वह हर सिरीज़ में एक मैच तो जीताने में सफल हो रहे हैं, आपको याद होगा अॉसी के साथ सौ के ऊपर की साझेदारी भुवनेश्वर कुमार के साथ करके भारत को जीत दिलायी थी धौनी ने। वही मैच ऑसी के अरमानों का गला दबा गया, और उसी चमत्कारिक जीत के बाद ऑसी ने सारी सिरीज़ में घुटने टेक दिये थे। सो, धौनी पार्टनरशिप में जमे रहने के साथ-साथ विराट के तनाव को भी कम कर रहे हैं। इस समय बहुत सारा क्रिकेट होने की वजह से विराट कोहली को मैदान पर समझाने के लिए धोनी जैसे अनुभ...

नौजवानों में जलन कुंठा बहुत बढ गयी है

नौजवानों में कोई महीने के 8 हज़ार कमा रहा है तो कोई महीने के 1 लाख, इससे उनके बीच जलन-बेचैनी-कुंठा बहुत बढ गयी है  पहले बिरादरी के 500 नौजवानों में कोई एक डॉक्‌टर-इंजीनियर बना करता था। लेकिन अब तो हर दूसरे परिवार में आईटी वाला बच्चा भी पैदा हो रहा है। यहाँ अपने देश में पैसा नहीं मिल रहा है तो ये लोग विदेश भाग रहे हैं। हाल ही में एक पिता मिल गये उन्होंने अपने लडके पर 20 लाख रुपया खर्च किया वह भी कर्ज़ा लेकर। तब भी वह नौकरी ढूँढ रहा है। बेचारे पिता इसी आस में कर्ज़ का ब्याज भरते जा रहे हैं कि बच्चा आज नहीं तो कल एक लाख की नौकरी पा लेगा। लोग दोक्टोरी, इंजीनियरिंग,एम.बी.ए. बच्चे से करवा रहे हैं तो एम.बी.ए. भारत में 2 लाख में भी हो रहा है तो विदेश में यही पढाई 20 लाख रुपये में भी हो रही है। लोग ज्यादा पैसा खर्च करके बच्चे को बहुत ही ऊँचा मुकाम दिलवाना चाह रहे हैं।

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