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आज के नौजवान नौकरी कर रहे हैं या उनका जीना एक सज़ा है

आज के नौजवान बारह से अट्ठारह घंटे की पढ़ाई कर रहे हैं आज के नौजवान बारह से अट्ठारह घंटे की पढ़ाई कर रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं या उनका जीना एक सज़ा की तरह हो गया है, उनका दिमाग़ नॉर्मल नहीं दिखता है, किसी और ही दुनिया में खोये रहते हैं, इस सज़ा को कैसे हम कम करें इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए कि आजकल के जवान लड़का-लड़की का संबंध अपने बुजुर्गों से पूरी तरह से टूट चुका है। माता-पिता और बच्चों में आजकल आधा घंटे या एक घंटे से ज़्यादा बात ही नहीं हो पाती है, पहले तो ऐसा था कि पिता और बेटे में लगातार बात होती रहती थी। माता और बेटी में लगातार बात होती रहती थी। माता के साथ बेटी तीन तीन घंटे तक किचन में मदद किया करती थी, बेटी को टेबल पोंछना, झूठे बरतन उठाना, झाडू मारना पोंछा लगाना सिखाया जाता था। लेकिन अब सारे नौजवान मोबाइल में घुसे रहते हैं, चौबीस में से दस घंटे तक वे मोबाइल में ही घुसे रहते हैं। उन्हें देखकर हैरत होती है कि ये लोग इंसान नॉर्मल हैं या कोई पागल हैं जो लगातार मोबाइल को ही देखे जा रहे हैं। उनको हँसना है तो मोबाइल में जोक्स या शायरी देखकर हँसते हैं, लेकिन आपस में जब बात करत...

कन्हैया कुमार की बातों को कितना लागू कर रहे हैं मोदीजी

क्या कन्हैया कुमार में किसी तरह से बड़ा राजनीतिज्ञ बनने की चिंगारी है, इधर हमें मोहन भागवत की बातों पर भी ध्यान देना होगा जिस तरह से मुसलमान राजनीतिज्ञ जैसे असदुद्दीन-अकबरुद्दीन बंधु आक्रामक तरीके से बात करते हैं तो हिंदू जनता उसको हँसते-हँसते बदश्त कर लेती है कि ये नादान हैं। लेकिन हिंदूवादी संगठन जब कमल हासन को कुछ कहते हैं तो वो उसे बहुत ही गंभीरता से ले लेते हैं। और सारे देश में हल्ला मचा देते हैं कि मेरी जान को ख़तरा है। यह तो उनको बोलने के पहले समझना चाहिए था कि महाभारत के बारे में जो उन्होंने कहा था क्या वो हिंदुओं को चोंट करेगा या नहीं। मैं संपादक के रूप में इस बात का पक्षधर नहीं हूँकि मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदुओं के खिलाफ़ कुछ कहा जाये या हिंदुओं को खुश करने के लिए मुसलमानों के लिए कुछ कहा जाये, आज तो देखिये दोनों समुदाय चैन की बंसी बजा रहे हैं। ये हिंदू पार्टी और मुस्लिम पार्टी होती क्या है, इसे समझने के लिए जावेद अख्तर की बात याद आती है, एक बार जावेद अख्तर से पूछा गया कि ये हिंदू संगठन और मुस्लिम संगठन क्या होते हैं, तो जावेद अख्तर ने कहा कि कांग्रेस ने जब मुसलमानों...

बहुत सारा धन शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही है

बहुत सारा धन और बहुत सारी शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही आज का जवान लड़का बहुत सारा काम तो कर रहा है, लेकिन उसे मनचाहा पैसा नहीं मिल रहा है। जिससे वह बहुत ही छटपटा रहा है। जवान लोग जवान होते ही विदेश भाग रहे हैं, बेचारे वहाँ पर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहाँ वे सोलह से अट्ठारह घंटे मेहनत कर रहे हैं तब जाकर उनका मनचाहा पैसा मिल रहा है, लेकिन फिर उनपर पैसे का भूत इस क़दर सवार हो रहा है कि वे अपना जीवन जीना ही भूल जाया करते हैं, दिन-रात पैसे की हाय-हाय में ही सारा जीवन गुजार रहे हैं। बेचारे वहाँ पर अपना बच्चा चला जाता है जब वह केवल २२ साल का होता है, और वहाँ से कमाना शुरू करता है तो वह घर वालों की पूरी तमन्नायें पूरी करने करने के बाद तीस या पैंतीस साल में जाकर शादी करता है, और अंत में वह भारत आने से मना कर देता है, इसलिए बहुत सारा पैसा कमाता है तो वहीं का होकर रह जाता है, वह उस तरह के वर्क कल्चर में पूरी तरह से समा जाता है, फिर उसी में उसका सारा जीवन रम जाया करता है। इधर भारत में रहने वाला जवान भी बहुत ही परेशान हैं, आजकल अमीर घर के बच्चे ज़्यादा प...

हिंदुस्तान को बेहतर कर रहे है मोदी

पिछले चार साल से मैं हिंदी मिलाप में छप रहे रेड एलर्ट कॉलम को रोज़ाना पढ़ता रहा हूँ, इसमें आत्महत्याएँ और हत्याओं के बारे में ख़बरें आया करती हैं। नोटबंदी के पहले हरदिन कम से कम दो लोग या चार लोग आत्महत्या करते थे, वह भी पैसे की तंगी के कारण आत्महत्या करते थे, इसमें अधिकतर लोग कर्जदेनेवालों के सताये जाने के कारण आत्महत्या करते थे। कर्ज देने वाले इनको दस प्रतिशत ब्याज पर पैसा दिया करते थे और रोज़ाना पैसे लेने छाती पर बैठ जाया करते थे, पैसे न दो तो हलक में हाथ डालकर पैसे निकालने जितनी गंदीगालियाँ दिया करते थे। हमारी आत्मा भी तड़प जाये इस तरह से सताया करते थे। मोहल्ले के बीचोंबीच ठहराकर चप्पलों से मारा करते थे, हर सप्ताह इस तरह की ख़बरों के माध्यम से कम से कम हर सप्ताह अट्ठारह लोगों के आत्महत्या करने की ख़बर छपाकरती थी। मगर अब नोटबंदी के बाद सप्ताह में केवल दो या तीन आत्महत्याएँ ही पैसे की तंगी के कारण हो रही हैं। मोदीजी ने इन बेसहारा ग़रीब लोगों को जो भारी ब्याज पर पैसा उधार लेकर आत्महत्या करते थे, उन लोगों को बिना सेक्यूरिटी के एक लाख रुपये लोन देना शुरू किया जिससे उन्होंने सबसे...

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