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Showing posts from January, 2019

किसानों की कहानी, शहरों की कहानी, महानगरों का मिज़ाज समय बहुत ही तेज़ी से बदल रहा है।

देश बहुत तेज़ी से बदल रहा है। लेकिन हमारे देश की जनता नहीं बदल रही है। हाल ही में कांग्रेस की सरकार तीन राज्यों में जीतकर आयी। कांग्रेस ने आते ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया। किसानों का कर्ज माफ़ करते ही अंदर ही अंदर लोगों में बहुत ही गुस्सा बढ़ गया है। लोग कह रहे हैं कि हम जीएसटी देकर सरकार को मज़बूत बना रहे हैं। हम व्यापार करते हैं तो टैक्स के रूप में पैसा काटा जा रहा है, हम नौकरी करते हैं तो टैक्स के रूप में पैसा काटा जा रहा है। हम खून पसीना एक करके सरकार को पैसा कमाकर दे रहे हैं। और वहीं कांग्रेस सरकार किसानों को घर बैठे उनका क़र्ज माफ़ करती चली जा रही है। व्यापारी उद्योगपति कह रहे हैं कि क्या हम नासमझ हैं जो जीएसटी भरकर किसानों को बैठाकर जीवन भर खिलाते रहेंगे। लोगों का कहना है कि हरेक साल किसानों का क़र्ज माफ़ करते रहेंगे तो बैंकों का, भारतीय तिजोरी का सारा पैसा क़र्ज माफ़ी में ही चला जायेगा। तो देश दोबारा सत्तर साल पीछे चला जायेगा। और यह लगेगा कि हम २०१८ में भी १९४७ जैसा ही जीवन जी रहे हैं। और इधर हम जो अमेरिका जैसे मज़बूत होने का सपना छोड़कर दोबारा उसी मुफलिसी, दरिद्रता, भुख

घर के बूढा बूढी को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए

घर के बूढा बूढी को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए शहर से दूरदराज के इलाके में कम से कम 200 या 100 गज की जमीन लेकर वहां पर एक दो मंजिल का मकान बनाना चाहिए जिसमें शुरू में 5 साल तक पहले माले पर घर । बनाना चाहिए और उस एक मंजिल यानी ग्राउंड फ्लोर में तीन बेडरूम बनाने चाहिए। घर के बूढ़े माता-पिता को जिंदगी देने के लिए उनको सम्मान से जीवन जीने देने के लिए अब लोगों को दोबारा फ्लैट कल्चर को छोड़कर इंडिपेंडेंट मकान बनाने के बारे में सोचना चाहिए। फ्लैट में रहने की वजह से यहां पर केवल दो बेडरूम या तीन बेडरूम रहते हैं। तो ऐसे में बूढ़े लोगों को जीवन जीना बहुत ही मुश्किल होता चला जा रहा है। दो बेडरूम में बच्चे रहते हैं माता-पिता रहते हैं और ड्राइंग रूम में बेचारे बूढ़े दादा दादी रहते है। ' और ड्राइंग रूम में बार बार जब उनका बेटा बहू और पोता पोती आते जाते रहते हैं। तो वह लोग अपने दादा दादी से बहुत ही चिढ़ा कुढा करते हैं कि यह लोग अभी तक जिंदा क्यों है। और यह लोग मर क्यों नहीं जाते है। तो ऐसे में आजकल एक नया कल्चर शुरू करना चाहिए। कि लोगों को शहर से दरदराज के इलाके में कम से कम 200 या 100 गज की ज

मोदी राज में बैठकर खाने वालों की बिल्कुल जगह नहीं है

मोदी राज में बैठकर खाने वालों की बिल्कुल जगह नहीं है बैठकर सरकारी कुर्सियों पर नींद लेने की बिल्कुल जगह नहीं रही है  बैठ कर भ्रष्टाचार करने वालों के लिए इस देश में अब कोई जगह नहीं है। जब से सवर्णों का आरक्षण सरकार द्वारा घोषित किया गया है सवर्गों के बीच बहुत ही खुशियां मनाई जा रही है। लेकिन सवर्णो की खुशियां तभी रंग लाएगी जब सारे सब मिलकर मोदी जी को वोट दे। वोट डालने के लिए दौड़ दौड़ कर जाएंगे। और तब भारत का वोट प्रतिशत 70 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हो जाएगा। सवर्णो को सरकारी नौकरियाँ नहीं देने से सवर्ण लोग वोट डालने भी नहीं जाया करते थे, वे सोचते थे कि वोट हम डालें और मलाई कोई और ले जाये, सो, यह निराशा अब समाप्त हो गयी है, सो, वोट प्रतिशत इस बार बहुत बढ़ जायेगा। | इस तरह से यह मोदी जी का लिया गया ऐतिहासिक फैसला है। लेकिन यहीं पर बात अटकती है अब देखना यह होगा कि सवर्णों की प्रगति से दूसरी अन्य जातियां किस तरह से मोदीजी का साथ देती है या फिर इसका बदला लेती है। मोदी जी के समय में दो बड़ी बातें बहुत ही अच्छी तरह से सामने आई। 1990 में जब भारत का सारा श्रमिक वर्ग तैयार हो रहा था तब

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