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मोदीजी आये हैं लेके दिल में इश्क मोहब्बत

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मोदीजी आये हैं लेके दिल में इश्क मोहब्बत, सबको गले लगाना अपने कल्चर की है आदत, स्वैग से करेंगे सबका स्वागत आमदनी अट्टनी ख़र्चा रुपय्या के हिसाब से आज भारत का हरेक नागरिक जी रहा है। कमाई धेले की नहीं है, ख़र्चा का अंबार लगा हुआ है। पिटते-पिटाते सब जी रहे हैं और मोदी सरकार की तरफ ललचायी नज़रों से देख रहे हैं और भजन गा रहे हैं, ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले....। पिंजरे के पंछी रे एएएए तेरा दर्द ना जाने कोई तेरा दर्द न जाने कोई....। इस जग की अजब तस्वीर देखी एक हँसता है दस रोते हैं....। दिमाग़ में पुराने पुराने गीत आ रहे हैं, कवि प्रदीप, के. एल. सहगल, मुकेश के गीत याद आ रहे हैं....दिल जलता है तो जलने दे आँसू न बहा फरियाद न कर, दिल जलता है तो जलने दे...।। गहराई से सोचें तो हम लोग ही आमदनी अट्टनी ख़र्चा रुपया का जीवन जी रहे हैं, और सरकार को कोस रहे हैं। बच्चों को महँगे स्कूल कॉलेजों में भेजकर उनकी भारी फीस का लबादा ओढ़ रहे हैं। चालीस साल पहले एक बच्चा अग्रवाल स्कूल में पढ़ता था, फीस थी एक रुपया, उस एक रुपय्या को बचाने के लिए फीस माफ़ कराने की लाईन म...

कन्हैया कुमार की बातों को कितना लागू कर रहे हैं मोदीजी

क्या कन्हैया कुमार में किसी तरह से बड़ा राजनीतिज्ञ बनने की चिंगारी है, इधर हमें मोहन भागवत की बातों पर भी ध्यान देना होगा जिस तरह से मुसलमान राजनीतिज्ञ जैसे असदुद्दीन-अकबरुद्दीन बंधु आक्रामक तरीके से बात करते हैं तो हिंदू जनता उसको हँसते-हँसते बदश्त कर लेती है कि ये नादान हैं। लेकिन हिंदूवादी संगठन जब कमल हासन को कुछ कहते हैं तो वो उसे बहुत ही गंभीरता से ले लेते हैं। और सारे देश में हल्ला मचा देते हैं कि मेरी जान को ख़तरा है। यह तो उनको बोलने के पहले समझना चाहिए था कि महाभारत के बारे में जो उन्होंने कहा था क्या वो हिंदुओं को चोंट करेगा या नहीं। मैं संपादक के रूप में इस बात का पक्षधर नहीं हूँकि मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदुओं के खिलाफ़ कुछ कहा जाये या हिंदुओं को खुश करने के लिए मुसलमानों के लिए कुछ कहा जाये, आज तो देखिये दोनों समुदाय चैन की बंसी बजा रहे हैं। ये हिंदू पार्टी और मुस्लिम पार्टी होती क्या है, इसे समझने के लिए जावेद अख्तर की बात याद आती है, एक बार जावेद अख्तर से पूछा गया कि ये हिंदू संगठन और मुस्लिम संगठन क्या होते हैं, तो जावेद अख्तर ने कहा कि कांग्रेस ने जब मुसलमानों...

मोदीजी के साथ मिलकर हम नया भारत बनाएँ

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मोदीजी के साथ मिलकर हम नया भारत बनाएँ मोदीजी भारत की आम जनता आजकल सरकार से डरकर जी रही है। सरकार को डराना भी चाहिए। सरकार हमारी माईबाप बन गयी है। एक रक्षक बन गयी है, एक पिता बन गयी है। पिता जिस तरह से बच्चों को उनके भले के लिए डराकर रखता है सरकार उसी तरह से जनता को डराकर रख रही है, हमने १९८० के बाद के पैदा हुए बच्चों को डराया नहीं बल्कि उनको लाड़-प्यार इतना सारा दे दिया कि अब वही बच्चे माता-पिता को डरा धमकाकर जी रहे हैं, बच्चे ही माता-पिता का सारा पैसा व्यापार में लुटा रहे हैं। इसलिए किसी के भले के लिए डराने वाला बहुत ज़रूरी होता है। सो, इस बिगड़े हुए देश में एक अनुशासित सरकार का होना बहुत ही ज़रूरी हो गया है। पहले उडती हुई ख़बर आयी है कि दस-दस के सिक्के बंद हो रहे हैं, तो लोगों ने दस दस के सिक्के बैंकों में डालना शुरू कर दिये। अब ख़बर आ रही है कि दो हज़ार के नोट बंद हो रहे हैं, इसलिए उन नोटों को लोग जल्दी-जल्दी बैंक में डाल रहे हैं। मोदीजी ने धन संचय पूरी तरह से बंद करने की कसम खा ली है, जो बहुत ही अच्छी बात है। ग़रीब देश में दो हज़ार का नोट चलेगा तो देश में अपने आप भ्र...

मोदीजी, डाकिया डाक लाया पैग़ाम लाया

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मोदीजी, डाकिया डाक लाया, ख़ुशी का पैग़ाम कभी, कभी दर्दनाक लाया. मोदीजी अमेरिका की आबादी ३० करोड़ होगी तो उसमें से १० करोड़ लोग टैक्स भरते हैं। भारत की आबादी १३० करोड़ है तो उसमें से केवल ५ करोड़ लोग ही पूरी तरह से टैक्स भरते हैं। केवल नौ प्रतिशत गाड़ियाँ ही बीमा भरती है। सभी को पता है कि टैक्स से ही देश चला करते हैं। टैक्स भरने के बाद ही पीने का पानी, बिजली, मकान, सड़कें, इमारतें बना करती हैं। या उसकी सर्विस बेहतर हो पाती है, आज आप पानी की बोतल २० रुपये में ख़रीदते हैं लेकिन क्या नल से पानी जो आता है, जो सरकार देती है, क्या उसकी एक बोतल का रेट २० रुपये हैं या फिर नहीं, साहब एक रुपया भी नहीं है। आप उसी पानी को उबालकर पी सकते हैं। यह सेवा का काम सरकार को टैक्स की कमाई से होता है, यह जनता जानकर भी अनजान बनी रहती है, जैसे कि सरकार उनके घर की कोई लौंडी हो। सरकार उनके घर की दासी हो, सेवक हो, बंधुआ मज़दूर हो, मोदीजी ने यह सब कुछ ख़त्म करने का अभियान चलाया है तो लोग सकपका रहे हैं, उनको समझना चाहिए कि जब हम हमारी ज़रूरत की चीज़ों के लिए ही टैक्स नहीं भरेंगे तो देश कैसे चलेगा। अब आते ह...

जीएसटी के बाद भी मोदीजी का साथ दीजिए

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जीएसटी के बाद भी मोदीजी का साथ दीजिए, क्यों व्यापारी जीएसटी से बहुत ही ज़्यादा परेशान नज़र आ रहे हैं। मोदीजी   लोग अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट से कह रहे हैं कि इस जीएसटी से बचाव के लिए क्या क्या हो सकता है। लोगों की शांति पूरी तरह से भंग हो गयी है। लेकिन उनकी यह एक ही परेशानी नहीं है, उनकी परेशानी है कि गरीबों को स्टार्ट अप लोन क्यों दिया जा रहा है। यह तो वही बात हो रही है, कि आपकी दुकान के सामने आप ही के सामान जैसी दूसरी दुकान का खुल जाना, यानी इससे आपका मुकाबला करने वाला पैदा हो जाता है। हरेक व्यापारी का यही मक़सद होता है कि पूरे मार्केट में वह ही बादशाह बनकर उस जैसा कोई भी पैसा कमा न सके। क्योंकि सरकारी नौकर मर जाता है तो उसे पैसा सरकार देती है, व्यापारी मर जाता है, या धंधे में डूब जाता है तो उसका रखवाला सरकार, ख़ुदा, रिश्तेदार, दोस्त, समाज, बिरादरी कोई नहीं होते हैं, उल्टा कोई बर्बाद होता है तो उसका जुलूस निकाला जाता है, पीठ पीछे उसकी बेहिसाब बुराई शुरू हो जाती है। बेचारा कुत्ते की मौत मारा जाता है, नहीं तो शहर से भागकर वह बेचारा दूसरी जगह नौकरी करके पेट पालता है। सरका...

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