मप्र, छत्तीसगढ़ में पंद्रह साल पुरानी भाजपा सरकारें थीं

मप्र, छत्तीसगढ़ में पंद्रह साल पुरानी भाजपा सरकारें थीं, तो उनको बदलना ही था, राजस्थान में भी पिछले पच्चीस साल से सरकार बदल रही है, इसीलिए भाजपा को नाराज़ होने के बजाय केवल मुसलमानों को पटाकर रखना चाहिए

इस बार मुसलमानों ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट डाला क्योंकि बाबरी मस्जिद का मुद्दा गरम होते ही मुसलमान भटक जाते हैं। हाल के चुनाव को देखकर लगता है कि इस बार सारे मुसलमानों में ने मिलकर कांग्रेस को वोट दिया है। जिसकी वजह से भाजपा पूरी तरह से पिछड़ गई है। क्योंकि मुसलमान शायद भारत के चुनाव का सारा पासा ही पलट देते हैं। इसका कारण यही है कि भाजपा ने इस बार मंदिर का मुद्दा बाबरी मस्जिद का मुद्दा दोबारा उठाया है। भाजपा चाहती है कि मंदिर जल्दी से जल्दी बन जाए। लेकिन मुसलमान लोग भले ही तलाक के मामले में चुप हो। लेकिन मंदिर मस्जिद के मामले में वह बात उठते ही कांग्रेस की तरफ हो जाते हैं। और ऐसा लगता है कि इस बार मुसलमानों ने बहुत ही बड़ी संख्या में कांग्रेस को वोट दिया है। आप किसी भी तरह से जनता का आप उपयोग कर सकते हैं। लेकिन भावनात्मक तरीके से आप उनका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। असल में बात यह है कि मोदी जी पूरी तरह से मुसलमानों की तरफ है। लेकिन वह यह बात खुलकर नहीं कह सकते है। क्योंकि उनका दिल गांधीजी, जयप्रकाशजी, लोहियाजी पटेलजी के लिए धडकता है। और मोदी जी ने तो मंदिर मस्जिद मामले में कुछ नहीं कहा था। लेकिन भाजपा में अंदर ही अंदर दो दल हैं। एक नरम दल है नरम दल वह है जो मोदी जी का दल है। जो किसी भी मामले में सांप्रदायिकता को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता है। लेकिन भाजपा में ही एक गरम दल भी है। जो पूरी तरह से हिंदू राष्ट्र चाहता है। हिंदू राष्ट्र में कोई बुराई नहीं है। लेकिन जहां पर मंदिर मस्जिद की बात आती है वहां पर यह भाजपा का गरम दल बहुत ही बढ़ चढ़कर आगे आता है। जिसकी वजह से सारे के सारे मुसलमान लोग कांग्रेस की तरफ हो जाते हैं। जिसकी वजह से आज यह हुआ है कि 3 राज्यों में भाजपा पिछड़ गई है।
भाजपा को आने वाले लोकसभा के चुनाव में यह बात मान लेनी चाहिए कि मंदिर मस्जिद का मुद्दा जब भी उठेगा सारे मुसलमान लोग भाजपा को छोड़कर कांग्रेस की ओर चले जाएंगे। आजकल की जो नई पीढ़ी है वह पूरी तरह से रोजगार के पीछे पड़ी हुई है। वह मंदिर और मस्जिद के मामले से बहुत ऊपर उठ जाना चाहती है। लेकिन राजनीतिक पार्टियां इस मामले को उठाकर अपना लाभ पाना चाहती है तो ऐसे में जनता की नब्ज तो यही कहती है कि वह किसी तरह का झगड़ा नहीं चाहते कि किसी तरह का विवाद नहीं चाहते हैं। और यह बात साफ हो गई है कि मोदी जी पिछले 4 साल में जब मंदिर मस्जिद मुद्दा नहीं सामने आ रहा था। तब तो सभी ने मोदी जी को भर भर कर इतने सारे वोट दिए थे कि 22 राज्यों में भाजपा का परचम लहरा रहा था। लेकिन जैसे ही मंदिर मस्जिद का मुद्दा गरमा गया था उसकी वजह से भाजपा पिछड़ गई है।
सो हम पहले से कहते आ रहे हैं कि कैसे भी करके मुसलमानों को मुख्यधारा से जोड़कर उनको साथ लेकर चलने में ही भाजपा की भरपूर भलाई है। अगर वह मुसलमानों का साथ छोड़ देती है तो उसको हार का सामना करना पड़ सकता है। और विपक्ष अब दो खेमों में बट गया है।
अब बात तेज़ी से उठ रही है कि एक ऐसा मोर्चा बनना चाहिए जिसमें ममता बनर्जी हो जिसमें समाजवादी पार्टी हो जिसमें लालू प्रसाद यादव की पार्टी हो जिसमें टीआरएस हो जिसमें शिवसेना हो और जो तीन पार्टियां मिलकर अगर आगे बढ़ती है। तो ये सारे दल मिलकर मुसलमानों को पटाकर सत्ता हासिल करके कांग्रेस भाजपा को हरा सकते हैं। तो वह कांग्रेस मुक्त और भाजपा मुक्त एक ऐसा मोर्चा बना सकती है जो देश में आ सकता है। चुनाव के बाद अगर सीटें कम पड़ती है तो कांग्रेस के साथ यह मोर्चा जा सकता है। | इस हिसाब से ओवैसी ने जो बात कही है उस पर अगर बहुत ही गहराई से अमल होगा तो यह भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। और उधर अगर विपक्ष टूट जाता है तब जाकर भाजपा को इसका फायदा मिलने वाला है। कॉन्ग्रेस अभी भी अपना बालहट नहीं छोड़ रही है वह नया फ्रेंड बनाने की फिराक में नहीं है। क्योंकि अब तो चुनाव के परिणाम आ गए हैं। उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस अभी भी अकेले ही चुनाव में जाना चाहेगी। क्योंकि कांग्रेस को अकेले ही भरपूर समर्थन जनता से मिल रहा है। रातों रात आपने गौर किया होगा जो पहले पप्पू कहला रहा था आज वह बहुत ही समझदार व्यक्ति बन कर सामने आया है। और जो गप्पू कहला रहा था उसको जनता ने कुछ वजहों से पीछे कर दिया है।
और वजह यह है कि वही मंदिर मस्जिद मुद्दा जब उभर कर सामने आया है तो भाजपा को लोगों ने थोड़ा सा पीछे कर दिया है। लेकिन एक बात इस चुनाव से यह भी सामने आती है कि 3 राज्यों में जहां पर भाजपा पीछे रह गई है वहां पर भाजपा को भी बहुत अच्छी सीटें मिली हैं। केवल 20 सीटों का ही फर्क नजर आ रहा है। और भाजपा के पक्ष में एक बहुत अच्छी बात जाती है कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में उनकी सरकार पिछले 15 सालों से रही है। और 15 साल तक सरकार रहती है तो यह एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड होता है। 15 साल के बाद तो कोई भी राज्य अपनी तरफ से बदलाव चाहेगा ही। भाजपा को अफसोस नहीं करना चाहिए कि 15 साल के बाद उनकी पार्टी हारी है। अगर राजस्थान में भाजपा हारी है तो उसका कारण वहां के स्थानीय मुद्दे हो सकते हैं वहाँ तो रिकॉर्ड है कि पिछले २५ साल से हर बार सरकार बदलती है। लेकिन देश में अभी भी बेशक कहा जा सकता है कि मोदी जी का जादू अभी भी बढ़ चढ़कर बोल रहा है। और सारा देश इस समय खुशहाली में जी रहा है। इससे बेहतर माहौल देश में कभी भी नहीं था। भ्रष्टाचार 50 प्रतिशत गिर चुका
एक बात और गहराई से अगर आप देखेंगे तो यह जो 3 राज्य है यह तीनों राज्य पूरे व्यापारियों के राज्य है। यानी बनियों (कृपया बनिया शब्द अच्छे अर्थों में लें) के राज्य हैं छत्तीसगढ़ में बनियों का बहुत जोर है और उधर मध्य प्रदेश में भी बहुत तेजी से बनियों ने अपने घर बना लिए हैं। और इधर राजस्थान तो व्यापारी वर्ग का ही है। यह सभी को पता है तो इस हिसाब से नोटबंदी का जो असर है वह यहां पर भाजपा के पक्ष में नहीं गया है। क्योंकि नोटबंदी से गरीब को तो किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था लेकिन अमीरों को बहुत नुकसान हुआ था। और एक अंदर की बात हम आपको बताते हैं कि राजस्थान मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में देशभर के बनिया लोग गए थे। और उन्होंने वहां पर भाजपा के खिलाफ प्रचार किया था। और कैसे भी करके कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए सारे बनियों ने बहुत ही तेजी से काम किया था। जिसकी वजह से यह तीनों राज्य कांग्रेस के अब हो चुके
| इस हिसाब से देखा जाए तो बिहार की जनता उत्तर प्रदेश की जनता और अन्य राज्यों की जनता अलग ही तरह की विचारधारा रखती है। इसीलिए आप देख रहे होंगे कि भाजपा की हार को देख कर सारे लोग बुरी तरह से हैरान रह गए हैं। यह ऐसे कैसे हो गया। क्योंकि यह देश व्यापारियों के हैं। इसलिए उन लोगों ने नोटबंदी के खिलाफ जाकर कांग्रेस को जीत दिलाने की पूरी कोशिश की थी। आप अच्छी तरह से समझते हैं कि देशभर में आज भी केवल और केवल नोटबंदी के खिलाफ चल रहे हैं। जिन्होंने कालाधन अपने पास रखा था। और हम शर्तिया रूप से कहते हैं कि देश के हर तीसरे व्यापारी को नोटबंदी से बहुत बड़ा नुकसान हुआ था। और उनका गुस्सा मोदी जी पर पिछले 2 साल से लगातार बढ़ता ही चला जा रहा था। तो उसका बदला वह मोदी जी से इन राज्यों में जा कर लेना चाहते थे। वह बदला अब जाकर पूरा हो चुका है। जहां तक हैदराबाद का सवाल है यहां पर भाजपा को केवल एक ही सीट मिली है।
जिसका कारण यह है कि यहां पर राजस्थानी भाइयों को किसी भी तरह की एमएलए की सीटें नहीं दी गई थी। जबकि यहाँ विजय सुराणा, सतीश जाजू, गोविंदराठी, आर. के. जैन (टीआरएस के लिए बहुत कर चुके थे), नंदू बिलाल(टी आरएस) अच्छा हुआ कि सही पार्टी में गये हैं। और भाजपा में जितने भी मारवाड़ी सज्जन हैं उनको बुरी तरह से दरकिनार कर दिया गया था। सो उन्होंने सभी ने मिलकर दूसरी पार्टियों को जीत दिलाने में मदद की होगी ऐसा केवल हम अनुमान लगा रहे हैं। और भाजपा को हराने में मदद की यहां पर बहुत ही तेजस्वी नेता हैं जिन्होंने भाजपा के लिए अपना जीवन लगा दिया था। जैसे गोविंद राठी हैं। गोविंद राठी ने अपना सारा जीवन भाजपा के लिए लगा दिया था। और अंततः निराश होकर उनको वापस टीआरएस में जाना पड़ा। और टीआरएस आज बहुत ही भयंकर बहुमत से आगे आई है। । असल में चार साल पहले ही बहुत ही चालाकी से टीआरएस में यह किया कि जो फंड्स भाजपा ने शुरू में टीआरएस को दिए थे टीआरएस ने बाद वह बात छुपा ली थी। और कहा था यह फंड्स भाजपा ने हमको नहीं दिए हैं। बल्कि यह हम ही ने ने क्रिएट किया है इतना बड़ा झूठ बोलकर टीआरएस आगे बढ़ती चली गई। और सबसे बड़ा झूठ टीआरएस का यह है कि उन्होंने ही मेट्रो रेल चलाने में मदद की ऐसा झूठा प्रचार टीआरएस ने कर डाला। हाल ही में जब भी टीआरएस का विज्ञापन आता था तो वह विज्ञापन शुरू होता था मेट्रो रेल से। जबकि मेट्रो रेल बनाने में सबसे बड़ा मोदी जी का था। कांग्रेस ने यह काम शुरू किया था लेकिन मोदी जी ने अल्टीमेटम दे दिया था कि अगले 6 महीने के बाद मैं आ रहा हूं और उस दिन मुझे मेट्रो चलती हुई दिखाई देनी चाहिए। तब लार्सन एंड टुब्रो कंपनी में दिन रात मेहनत कर कर के पूरा किया था। हालाँकि इसका सारा क्रेडिट वैसे मोदी जी को दिया जाना चाहिए। लेकिन वह सारा क्रेडिट टीआरएस ने जबरदस्ती अपने नाम ले लिया था। जो इस तरह से दो बहुत बड़े झूठ बोल कर सत्ता में आई है। और इस झूठ के कारण हीं उन्हें अगले साल 4 साल तक सत्ता मिली है अब जाकर। लेकिन टीआरएस के पक्ष में एक बात बहुत ही जाती है कि बाहर से जितने भी लोग आ रहे हैं उसका स्वागत टीआरएस कर रही है। बाहर से आए सारे व्यक्तियों ने मिलकर टीआरएस को जिताने में बहुत मदद की है। जिसकी वजह से उनको प्रचंड बहुमत हासिल हुआ है। । यहां पर बिजली का बहुत अच्छा उपयोग लोगों ने किया इसका सारा क्रेडिट टीआरएस को जाता है। और सबसे बड़ी बात यहां पर जो विधवाओं को और जो वृद्ध को पेंशन दी गई है उसका सारा लाभ केसीआर को बहुत ही अच्छी तरीके से मिला है। आपने विज्ञापनों में देखा होगा कि टीआरएस ने जो वादे किए थे उसी वादों को और भी ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर कांग्रेस और भाजपा ने नए विज्ञापन दिए थे। लेकिन सभी को यह बात अंदर ही अंदर लग रही थी कि यह लोग भी वही की वही बातें कर रहे हैं उससे हटकर कोई वादा नहीं कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि टीआरएस ने गरीबों को मकान दिए हैं। आज गरीब की वही स्थिति है जो 1947 में हुआ करती थी। आज पूरे देश में भी वही स्थिति है जो 1947 में हुआ करती थी। बस एक काम आगे बढ़ा है कि लोग मेहनत कर रहे हैं तो उनको रोजगार मिल रहा है। लेकिन कुल मिलाकर मोदी जी के राज में सारा देश बहुत ही शांति से सुरक्षा से आगे बढ़ रहा है यह सोचकर लोगों को बहुत ही खुश होना चाहिए।

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