शोले है सितारों की ज़िदगी
पंकज कपूर जो शाहिद कपूर के पिता हैं, वे अपनी जवानी में रंगमंच के नाटक खेला करते थे, वे बेहतरीन अभिनेता हैं लेकिन तब उनके भोजन के लाले पड़ गये थे। क्योंकि नाटकों से ज़्यादा पैसा नहीं मिलता था, तब उन्होंने करमचंद नाम का टीवी जासूसी सीरियल किया था, वह सीरियल उनके अभिनय के लिए सदैव याद किया जायेगा, उनकी रग-रग में अभिनय बसा था, इसलिए करमचंद की भूमिका बहुत ही आसानी से कर पाये, बाद में ऑफिस-ऑफिस सीरियल से भी बहुत मशहूर हुए। तो पेट पालने के लिए यह बेहतरीन कलाकर नाटकों से हटकर भी काम करता रहा, याद रहे नाटक खेलने वाले अभिनेता, अभिनय की खान होती है, वे अभिनय को पूरी भक्ति से करते हैं लेकिन पैसा कमाने के लिए छोटे-बड़े पर्दे का सहारा लेते हैं। शोले है सितारों की ज़िदगी ।
आलिया भट्ट के गीत अभी से अमर हो चुके हैं, कई गीत उनके मासूम अभिनय से यादगार हो गये हैं, इश्क वाला लव, लड़की कर गयी चुल, इक कुडी जिदा नाम मुहब्बत है गुम है, इन तीनों गीतों में आलिया भट्ट का इतना बेहतरीन अभिनय है कि अभिनय के देवता भी उनके शानदार अभिनय से इनकार नहीं करेंगे। उनकी मासूमियत, उनका चेहरे का भोलापन वाह साहब, उन्हें अभी से महान अभिनेत्री की श्रेणी में रखा जा सकता है, हर कोई चाहेगा कि मेरी प्रेमिका हो तो आलिया जैसी हो, मेरी बेटी हो तो आलिया जैसी हो, मेरी बहन हो तो आलिया जैसी हो, आलियाजी हम आपको कभी भी कामुकता की निगाह से नहीं देखते, हम आपको बहुत ही सुंदर, सुशील, एक परी की तरह देखते हैं, जियो बेटी जियो, महेश भट्ट साहब आपने सिनेमा को बहुत अच्छी गिफ्ट दी है। धन्यवाद। शोले है सितारों की ज़िदगी ।
अमोल पालेकर अभिनय के बादशाह रह चुके हैं, उनका गोलमाल का गीत आने वाला पल जाने वाला है, इस गीत में उनका लिप सिंक बेहतरीन है, ऐसा लगता नहीं कि किशोर दा गा रहे हैं, लगता है अमोल ही गा रहे हैं। यह गीत सदियों तक चलता ही चला जायेगा। वे अमिताभ बच्चन की तब की गंदी फ़िल्मों को अपनी ऑफ़ बीट फ़िल्मों से पूरा किया करते थे।
अमोल साहब पहले हीरो रहे जिन्होंने अपने जीवन की पहली तीन फ़िल्में सुपरहिट दीं- रजनीगंधा, छोटी-सी बात और चितचोर। उनका अति उत्तम अभिनय देखना हो तो मेरी बीवी की शादी फ़िल्म ज़रूर देखिये। शोले है सितारों की ज़िदगी ।
समीर ने ६०० फ़िल्मों में ४००० गीत लिखे हैं जो आज भी बुद्धिजीवियों को तो नहीं भाते लेकिन आज भी उनके गीत ठेलों, होटलों में शिद्दत से बजते हैं, क्योंकि उनके गीतों में बहुत आसान शब्द रहते हैं, उनको दरअसल बनारस में एक लड़की से प्यार हो गया था, जो बहुत साल तक चलता रहा, उन्होंने ही उन्हें नाम समीर दिया था। गीतकार अनजान साहब के बेटे समीर ने उस लड़की को बहुत चाहा लेकिन वह तब मर गयी जब समीर मशहूर हो गये थे, वे उसे बतला भी नहीं सके कि देखो तुम्हारा समीर आज कुछ बन गया है। इस बात पर उनका गीत पेश है-अब तेरेबिन जी लगे हम ज़हर ज़िदगी का पी लेगे हम...। शोले है सितारों की ज़िदगी ।
नसीरुद्दीन शाह नसीरुद्दीन शाह का संवाद डेढ़ इश्किया में हमेशा याद रखने वाला है कि इश्क के सात मुकाम होते हैं, यही सभी को याद रखने चाहिए। ये हैं-दिलकशी, उन्स, मोहब्बत, अक़ीदत, इबादत, जुनून और मौत। इसी फ़िल्म में ये सात बातें सुनकर अरशद वारसी उनके पूछते हैं कि इसमें को सेक्स है ही नहीं। शोले है सितारों की ज़िदगी ।
स्नेहा नेहवाल
हैदराबाद के ऑटो वाले कटाँमारने के लिए मशहूर हैं, अक्सर शोहदे ही ऑटो चलाते हैं, लेकिन बैडमिंटन विश्व चैंपियन बन चुकी स्नेहा नेहवाल ने हैदराबाद के ऑटो वालों का धन्यवाद दिया है कि वे चार साल तक रोज़ाना पच्चीस किलोमीटर ऑटो से आती-जाती थीं, उन्होंने हैदराबाद के ऑटो वालों को तहे दिल से धन्यवाद दिया है, क्योंकि उनकी असली प्रगति और खेल का निखार ऑटो की सुकून की सवारी के कारण ही हो पाया। उनका ऑटो उलटकर कभी नहीं गिरा। आईये उन शोहदों को धन्यवाद देते हैं जो गौलीपुरा पर ठहरकर रोज़ाना आठ नौ बजे लड़कियों के लिए कई दूसरों की सवारियाँ छोड़ देते हैं। वे मन ही मन अपनी एक जानेमन बना लेते हैं और जब वह दूसरे पति की हो जाती है, तब भी उसे ऑटो में छोड़ते रहते हैं। एक गीत है- हम इंतेज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक, ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आये. ।
जावेद अख्तर
मोदीजी का जब प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण हुआ था, तब करन थापर ने जावेद अख़्तर से पूछा था कि क्या मोदीजी हिंदुत्व का ही राग अलापेंगे और उनके आने वाले समय में हिंदू-मुस्लिम दंगे होंगे। तब जावेद अख़्तर ने सही जवाब दिया था कि हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता की जड़े इतनी मज़बूत हैं कि जैसे ही मोदीजी कुर्सी पर बैठेगे, सभी के लिए न्याय कर सकते हैं। मुझे भरोसा है कि हमारी सांस्कृतिक जड़े इतनी मज़बूत हैं कि वे जो भी करेंगे देश की भलाई के लिए करेंगे।वही हुआ, जैसा अटलजी ने देश को चलाया है, उसी तरह से मोदीजी के काल में भी एक दंगा नहीं हुआ, और जातिवाद भी वे समाप्त कर रहे हैं। जावेद की भविष्यवाणी सोलह आने सही साबित हुई।
सलीम-जावेद के सलीम ख़ान
जो सलमान ख़ान के पिता हैं, वे चाहते थे कि बुढापे में आराम से बात करूंगा, उनकी इच्छा थी कि अगर कोई रांग नंबर टेलिफ़ोन का आ जाय तो मज़े ले-लेकर उससे आधे घंटे तक बात करता हुँगा। लेकिन उनके पाँच बच्चे फुर्सत ही नहीं लेने देते हैं। किसी को गाड़ी में पेट्रोल डलाना है तो इनसे पैसे लेते हैं, किसी को इनकम टैक्स देना है तो सलीम साहब उसका हिसाब किताब देखते हैं। अब तो उन्हें बुढ़ापे में भी मरने की फुर्सत नहीं रही है। शोले है सितारों की ज़िदगी ।
धर्मेंद्र
बिमल राय की बंदिनी फिल्म की कास्टिंग चल रही थी। धर्मेद्र का स्क्रीन टेस्ट लिया गया। बिमल राय ने धमेंद्र को बंगाली में तब धर्मेदू कहकर प्यार से बुलाकर कहा कि तुम सेलेक्ट हो चुके हो, वरना यह रोल शशि कपूर को मैं देने वाला था।
सारिका
एक बार गीत गाता चल फेम सारिका जो कमल हासन की पत्नी रह चुकी हैं और सचिन को प्यार में धोखा दे चुकी हैं, एक बार जब वे छोटी थीं तो बाल कलाकार का अभिनय कर रही थीं. दोपहर के समय जबरेल की पटरियाँ गर्म होती हैं तब उन्हें एक सिनेमा के दृश्य में नंगे पैर उन्हीं पटरियों पर चलता था, वे पटरियाँ इतनी गर्म थीं कि कई बार शॉट रीटेक हुआ और पटरी की गर्मी से सारिका को चक्कर आ गया, वे बेहोश हो गयीं जिससे उन्हें तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा, वे सोचकर रोपड़ीं कि बेचारे बाल मज़दूर दिन भर धूप बारिश में काम करते हैं तो कितना सारा कष्ट सहना पड़ता होगा। सच में बाल मज़दूरी एक बहुत बड़ी सज़ा है। शोले है सितारों की ज़िदगी ।
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