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Showing posts from September, 2017

मोदीजी के साथ मिलकर हम नया भारत बनाएँ

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मोदीजी के साथ मिलकर हम नया भारत बनाएँ मोदीजी भारत की आम जनता आजकल सरकार से डरकर जी रही है। सरकार को डराना भी चाहिए। सरकार हमारी माईबाप बन गयी है। एक रक्षक बन गयी है, एक पिता बन गयी है। पिता जिस तरह से बच्चों को उनके भले के लिए डराकर रखता है सरकार उसी तरह से जनता को डराकर रख रही है, हमने १९८० के बाद के पैदा हुए बच्चों को डराया नहीं बल्कि उनको लाड़-प्यार इतना सारा दे दिया कि अब वही बच्चे माता-पिता को डरा धमकाकर जी रहे हैं, बच्चे ही माता-पिता का सारा पैसा व्यापार में लुटा रहे हैं। इसलिए किसी के भले के लिए डराने वाला बहुत ज़रूरी होता है। सो, इस बिगड़े हुए देश में एक अनुशासित सरकार का होना बहुत ही ज़रूरी हो गया है। पहले उडती हुई ख़बर आयी है कि दस-दस के सिक्के बंद हो रहे हैं, तो लोगों ने दस दस के सिक्के बैंकों में डालना शुरू कर दिये। अब ख़बर आ रही है कि दो हज़ार के नोट बंद हो रहे हैं, इसलिए उन नोटों को लोग जल्दी-जल्दी बैंक में डाल रहे हैं। मोदीजी ने धन संचय पूरी तरह से बंद करने की कसम खा ली है, जो बहुत ही अच्छी बात है। ग़रीब देश में दो हज़ार का नोट चलेगा तो देश में अपने आप भ्र

शहर का चेहरा बदलने के लिए ओला, ऊबर कार

हर शहर का चेहरा बदलने के लिए ओला, ऊबर कार आ गयी है, रिलायंस भी टैक्सी चलायेगा, शहरों का नवाबीपन और चैन इससे उजड गया है, लोगों को और भी बीमारियाँ लगने का अंदेशा हो गया है ऑटो से पहले 150 रुपया किराया लगता था, अब वहीं पर अब केवल पचास रुपये ओलाकार टैक्सी से लग रहे हैं। सो, लोग अब ऑटो में न जाकर ओला, उबर कार में जा रहे हैं, एक तो कार में जाते हैं तो बारिश से पूरी तरह से बचा जा सकता है, गर्मी से भी बचा जा सकता है, क्योंकि कार में एयरकंडीशन होता है। ओलाकार आने से लोग फ़ोन करके कार को अपने क़दमों के पास, अपने घर के ठीक सामने बुला लेते हैं। ओला कार आने से दो फ़ायदे हो गये हैं। एक तो कार का कम किराया होने से लोग मेहनत ज़्यादा कर रहे हैं, दूर-दूर कार में जाकर व्यापार बढ़ा रहे हैं। क्योंकि एसी कार होती है, और जिस गली के अंदर तक, कोने तक जाना है, ओला कार में जा सकते हैं। दूसरी बात, कार में बैठे रहने से आप बाहर के प्रदूषण से पूरी तरह से बच पा रहे हैं। आज सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि स्कूटर-ऑटो से आपके मुँह में गाड़ियों का धुआँ ज़बरदस्ती फेफडों में घुस जाता है जिससे बाद में जाकर साँस लेने में तकल

मोदीजी, डाकिया डाक लाया पैग़ाम लाया

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मोदीजी, डाकिया डाक लाया, ख़ुशी का पैग़ाम कभी, कभी दर्दनाक लाया. मोदीजी अमेरिका की आबादी ३० करोड़ होगी तो उसमें से १० करोड़ लोग टैक्स भरते हैं। भारत की आबादी १३० करोड़ है तो उसमें से केवल ५ करोड़ लोग ही पूरी तरह से टैक्स भरते हैं। केवल नौ प्रतिशत गाड़ियाँ ही बीमा भरती है। सभी को पता है कि टैक्स से ही देश चला करते हैं। टैक्स भरने के बाद ही पीने का पानी, बिजली, मकान, सड़कें, इमारतें बना करती हैं। या उसकी सर्विस बेहतर हो पाती है, आज आप पानी की बोतल २० रुपये में ख़रीदते हैं लेकिन क्या नल से पानी जो आता है, जो सरकार देती है, क्या उसकी एक बोतल का रेट २० रुपये हैं या फिर नहीं, साहब एक रुपया भी नहीं है। आप उसी पानी को उबालकर पी सकते हैं। यह सेवा का काम सरकार को टैक्स की कमाई से होता है, यह जनता जानकर भी अनजान बनी रहती है, जैसे कि सरकार उनके घर की कोई लौंडी हो। सरकार उनके घर की दासी हो, सेवक हो, बंधुआ मज़दूर हो, मोदीजी ने यह सब कुछ ख़त्म करने का अभियान चलाया है तो लोग सकपका रहे हैं, उनको समझना चाहिए कि जब हम हमारी ज़रूरत की चीज़ों के लिए ही टैक्स नहीं भरेंगे तो देश कैसे चलेगा। अब आते ह

रिटायर लोग नये अमीर कहला रहे हैं

पिछले बीस साल से जो लोग रिटायर हो रहे हैं वे नये अमीर कहला रहे हैं, और उनका घमंड सातवें आसमान पर चला गया है, जिससे वे खुद का ही नुकसान कर रहे हैं जब कोई भी स्त्री या पुरुष सरकारी नौकरी से रिटायर होते हैं तो उनको पी फ के रूप में तीस लाख से लेकर एक करोड़ तक की धनराशि एक साथ मिल जाया करती है। यह उनके लिए बहुत ही खुशी की बात होती है, लेकिन १०० में ८० लोग ही असल में मिली हुई सही रकम बता पाते हैं वरना जिनको तीस लाख मिलते हैं वह बीस लाख बताते हैं, साथ में सौ तरह के झूठे कर्जे गिना देते हैं। जिनको चालीस लाख मिलते हैं वे बीस बताते हैं, जिनको पचास लाख मिलते हैं वह भी बीस लाख बताते हैं, जिनको साठ लाख मिलते हैं वे कहते हैं कि हमें अभी कुछ नहीं मिला है दो साल के बाद मिलना है, कार्रवाई चल रही है। जिनको एक करोड़ रुपया मिलता है वे कहते हैं कि हमें तीस लाख मिले हैं वह भी दस दस दस करके मिलने वाले हैं। कुछ लोग मोदीजी का नाम लेकर कह देते हैं कि उन्होंने सारा पैसा रोक लिया है, अब तो ऐसा हो गया है कि कुछ भी ग़लत होता है तो सरकारी कर्मचारी मोदीजी का ही नाम गिना दिया करते हैं। अब तो हर बात का इल्जाम मोद

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