घर के बूढा बूढी को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए

घर के बूढा बूढी को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए शहर से दूरदराज के इलाके में कम से कम 200 या 100 गज की जमीन लेकर वहां पर एक दो मंजिल का मकान बनाना चाहिए जिसमें शुरू में 5 साल तक पहले माले पर घर ।

बनाना चाहिए और उस एक मंजिल यानी ग्राउंड फ्लोर में तीन बेडरूम बनाने चाहिए। घर के बूढ़े माता-पिता को जिंदगी देने के लिए उनको सम्मान से जीवन जीने देने के लिए अब लोगों को दोबारा फ्लैट कल्चर को छोड़कर इंडिपेंडेंट मकान बनाने के बारे में सोचना चाहिए। फ्लैट में रहने की वजह से यहां पर केवल दो बेडरूम या तीन बेडरूम रहते हैं। तो ऐसे में बूढ़े लोगों को जीवन जीना बहुत ही मुश्किल होता चला जा रहा है। दो बेडरूम में बच्चे रहते हैं माता-पिता रहते हैं और ड्राइंग रूम में बेचारे बूढ़े दादा दादी रहते है। ' और ड्राइंग रूम में बार बार जब उनका बेटा बहू और पोता पोती आते जाते रहते हैं। तो वह लोग अपने दादा दादी से बहुत ही चिढ़ा कुढा करते हैं कि यह लोग अभी तक जिंदा क्यों है। और यह लोग मर क्यों नहीं जाते है। तो ऐसे में आजकल एक नया कल्चर शुरू करना चाहिए। कि लोगों को शहर से दरदराज के इलाके में कम से कम 200 या 100 गज की जमीन लेकर वहां पर एक दो मंजिल का मकान बनाना चाहिए। जिसमें शुरू में 5 साल तक पहले माले पर घर बनाना चाहिए। और उस एक मंजिल यानी ग्राउंड फ्लोर में तीन बेडरूम बनाने चाहिए। जिसमें एक बेडरूम अपने माता पिता को दे दिया जाना चाहिए। इससे होगा यह कि एक ही मंजिल पर अपने बूढ़े मां-बाप आराम से अपनी जिंदगी गुजर बसर कर सकते हैं। वह दिन भर में दो-तीन घंटे ड्राइंग रूम में बैठ सकते हैं। और बाकी का वक्त अपने पति या पत्नी के साथ यानी बूढा-बूढी अपने कमरे में आराम से जिंदगी गुजार सकते हैं। उसके बाद 5 या दस साल के बाद उसी परिवार के लोगों को 2 मंजिल का मकान बना देना चाहिए। जिसमें नीचे के माले पर बूढ़े माता-पिता को रखना चाहिए। जिससे कि उनको सीढ़ियों पर आने जाने में किसी भी तरह की तकलीफ ना हो।
और बूढ़े लोगों की जो नींद होती है बहुत ही कच्ची होती है। वे लोग एक ही खटके की आवाज सुनते ही दरवाजे के आसपास जाकर दरवाजा खोल देते हैं। या नहीं तो घर की 24 घंटे निगरानी करते रहते हैं। पहले माले पर बूढ़े माता-पिता के बच्चों और पोते पोतियो को रखना चाहिए। और नीचे के मालो को रखना चाहिए। इससे परिवार भरा पूरा भी दिखता है। और कोई किसी के काम में दखल देता हुआ दिखाई नहीं देता है। इसी इंडिपेंडेंट मकान में एक पीछे का दरवाज़ा भी रख सकते हैं जहाँ से बहू बेटा पोता पोती चोरी छिपे कहीं भी जाकर घर का नाम बदनाम कर सकते हैं।
| फ्लैट कल्चर में घर के छोटे होने की वजह से आजकल बूढ़े मां बाप बुरी तरह से नकारे जा रहे हैं। पूरी तरह से उनका अपमान होता चला जा रहा है। और जैसे ही बूढे माता-पिता मरते हैं घर में तीन-चार दिन के बाद ही बहुत सारी खुशियां मनाई जाती है। कि चलो भाई यह बूढ़ा और बूढ़ी मर गए यह बहुत ही खुशी की बात है। और सबसे बड़ी समस्या तो तब आती है जब बूढ़े माता-पिता में से कोई एक मर जाता है तो उसमें या तो माता या फिर पिता को बहुत ही नारकीय जीवन जीना पड़ता है। उसका हर पल बहुत ही मुश्किल से गुजरा करता है। ऐसे में अब समय ऐसा है कि वहां पर कम से कम तीन बेडरूम का फ्लैट होना चाहिए। या नहीं तो कम से कम दो माले का मकान होना चाहिए। जहां पर बूढे लोग बहुत ही सम्मान से अपनी जिंदगी जिए। और जवान लोग भी बहुत ही सम्मान से अपना जीवन जी सकते हैं।
ह एक मसला है जिसका हल निकाला जा सकता है। क्योंकि आजकल की बह भी 16 घंटे नौकरी पर जा रही है। घर का बेटा भी 16 घंटे नौकरी पर जा रहा है। आजकल 14 से 16 घंटे तक कॉलेज ट्यूशन और यहां वहां का समय मिले तो इतना सारा काम कर रहे हैं। ऐसे में बूढ़ा और बूढ़ी को को जिंदगी देने के लिए उनको सम्मान से जीवन जीने देने के लिए अब लोगों को दोबारा फ्लैट कल्चर को छोड़कर इंडिपेंडेंट मकान बनाने के बारे में सोचना चाहिए। | जवान लोगों के लिए भी बहुत सारी जिम्मेदारियां हो गई है। या कहिए कि जवान लोग अपने ही सिर पर बेकार की जिम्मेदारियां लेकर अपने घर के बूढ़े मां-बाप को बुरी तरह से सताने लग गए हैं। हर कोई माता पिता आजकल करोड़पति और अरबपति बनना चाह रहा है तो ऐसे में वह अपने बूढ़े माता-पिता को बुरी तरह से अपमानित करता हुआ चला जाता है। यही हाल पोते पोतियो का भी होता है मतलब बूढ़े माता पिता को अपने बेटे बहू से अपमानित होना पड़ता है। और दूसरी तरफ उन्हें पोते पोतियो से भी बुरी तरह से अपमानित होना पड़ता है।

उन्हें ओल्ड एज होम भेजने के बजाय अपने घर में ही एक माला ऊपर की तरफ बना लेना चाहिए जिसकी वजह से उनका जीवन सफल हो जाता है और उनका आत्मसम्मान भी रह जाता है । | लोग क्या कर रहे हैं कि अपने माता पिता के रहने के बावजूद केवल 1 बैडरूम का मकान ले रहे हैं जिससे घर खचाखच भरा होता है और वैसे में बूढ़े माता-पिता को बहुत ही तिरस्कार और अपमान सहना पड़ रहा है और यह होता है कि बूढ़े माता-पिता को ओल्ड एज होम भेज दिया जाता है जिसकी वजह से उनका सारा जीवन अपने बेटे और बहू के इंतजार में गुजर जाया करता है। जब आप ओल्ड एज होम जाएंगे तो तब आपको पता लगेगा कि बहुत ही संपन्न परिवार के जो बूढ़े माता-पिता है भिखारियों की तरह आपसे भोजन मांगा करते हैं। यह भिखारियों की तरह आपसे मिठाई लेकर खाते हैं। वह भिखारियों की तरह आपसे विनती करते हैं कि हमें इस नर्क से निकालो। हमें इस अकेलेपन से निकालो। हमें इस बहुत ही गलत जीवन से निकालो। भगवान हमें मौत क्यों नहीं दे देते। तो हमें तड़पा तड़पा कर जीवन जीने का माध्यम बना कर रखा हुआ है। ऐसे बूढ़े मां बाप को अपने ही घर में एक अतिरिक्त माला बनाकर उन्हें बहुत ही आराम से जीने की जिंदगी देना चाहिए। और जो बह बेटे और जो पोते पोतियो नौकरी करना चाह रही है उन लोगों को एक बूढ़े माता-पिता के लिए दिन भर का एक नौकर या एक छोटा बच्चा या फिर एक छोटी बच्ची ले कर देना चाहिए। जो उनके काम में उनकी सेवा में उनका हाथ बटा सकते हैं। कई बच्चे ऐसे होते हैं जो अनाथ होते हैं जो कोई बच्चे ऐसे होते हैं बेसहारा होते हैं कोई बच्चे जो अपनी ही नौकरानी के होते हैं। वे लोग क्या 2:00 बजे स्कूल से जब घर आ जाते हैं तो उनको कुछ पैसे देकर हजार दो हजार 3000 देकर बूढ़े मां बाप की सेवा करने के लिए उन्हें अपने ही घर में रखना चाहिए। जिससे कि बूढ़े मां बाप का रहना भी बहुत ही सम्मानजनक हो जाता है। और उनको मदद लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती है जो इस तरह से अगर नीचे के माले पर रहकर घर का बेटा और बहू उनसे जो चार बार दिन में आकर मिले तो बूढ़े मां बाप को भी बहुत तसल्ली हो जाती है कि हम कम से कम बहुत ही सम्मान से जी रहे हैं। घर से तो निकाले नहीं जा रहे हैं। क्योंकि हम दोबारा कह रहे हैं कि कुछ ओल्ड एज होम में बूढ़े लोग एकदम भिखारियों से बदतर हालत में हैं।

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