अपने दामादों को हमें ही सँभालकर रखना चाहिए
अपने दामादों को हमें ही सँभालकर रखना चाहिए, अपने ही दामाद से झगड़ा करके दामाद के सगे भाई-बहनों से दामाद की चुग़ली नहीं करनी चाहिए दामाद के लिए एक बात की सौ बात होती है कि दामाद चाहे कितना भी अच्छा हो, या चाहे कितना भी बुरा हो, उसे सम्मान देना चाहिए। जो लोग दामाद से चिढ़ते हैं उन्हें सारा जीवन एक ही कहावत पर काम करना चाहिए कि बहन के लिए बहन के पति यानी दामाद को, गधे को भी बाप बनाना पड़ता है, करके दामाद का रिश्ता निभाना चाहिए। वह चाहे हमारा कितना भी अपमान कर ले उसे सम्मान देना चाहिए। क्योंकि हमारी जान यानी हमारी बेटी-बहन दामाद के पास हमेशा के लिए अटक जाती है। दामाद को हम खुश रखेंगे तो बेटी खुश रहेगी नहीं तो बेटी खुश नहीं रहेगी। एक परिवार ने सारे दामादों को बारी-बारी करके बेइज़्ज़त करके घर से निकाल दिया। उस परिवार के लोग पैसे से बहुत प्यार करते हैं। चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये वाला हिसाब है उस परिवार में। असल में, वे दामादों को दावत खिलाकर अपना पैसा खर्च नहीं करना चाह रहे थे। इसलिए उन्होंने दामादों से झगड़ा कर लिया। उस दिन के बाद से उस परिवार के पास पैसा आना ही बंद हो गया। क्योंकि उन्ह