जिंदगी बहनों बेटीयों की शादी करते हुए गुजर जाती है

दुनिया में ऐसे लोग भी होते हैं जिनकी जिंदगी बहनों और बेटीयों की शादी करते हुए गुजर जाती है
 एक आदमी है जो बहनों की शादी कर चुका है, एक दो बहनें नहीं चार-चार बहनों की शादी उसने की है, जिसमें पिता का कोई सहयोग ही नहीं था, कोई  जमीन नहीं थी, न ही कोई जाति मकान ही था। वह एक सेठ के पास काम किया करता था। वह सेठ का पूरी तरह से गुलाम हो गया था। क्योंकि सेठ ही उसकी चार बहनों की शादी में बहुत सारी मदद कर दिया करता था। उसकी नौकरी का समय तय ही नहीं था। वह सुबह छह बजे वहाँ पहुँच जाया करता था और रात में एक बजे घर वापस आया करता था। दिन में जब सेठ को काम नहीं होता था तो वह कुसार्री पर एक घंटा नींद ले लिया करता था। 
इस परिवार में ईश्वर की यह वृपा थी कि यह परिवार संघषर्र करना ही जानता था, चार-चार बेfटयों को संभालकर रखना भी बहुत ही बड़ा काम था। कई लड़के शादी का प्रस्ताव लेकर आया करते थे। उनको भी भगाने का काम करना पड़ता था। जाति-वाति भी देखना पड़ता था, अपनी ही जाति में ही लड़का देना पड़ता है, दो लड़के आये भी थे एक ने कहा कि मैं सरकारी नौकरी में हूँ और मुझे आपकी बेटी बहुत ही पसंद है, मैं जीवन भर अपनी आधी तनख्वाह आपको देता रहूँगा, यानी मायके वालों को देता रहूँगा। फिर भी वह लड़का ऐसी जाति का निकला जिसमें बहुत सारे झगड़े हुआ करते थे। इसलिए वह रिश्ता ठुकरा देना पड़ा। एक और रिश्ता आया था, जिसके पास एक बंगला भी था और एक हजार गज जमीन भी थी। लेकिन वह जिस लड़की को पसंद कर चुका था, वह माँगलिक थी, मायके वालों ने अपनी तीन और लड़कियां दिखाई थीं, उसको वे पसंद नहीं आयी, क्योंकि इस लड़की में बला की खूबसूरती थी, लेकिन माँगलिक की शादी माँगलिक लड़के से ही की जाती है, अंत में जाकर उस माँगलिक लड़की की शादी एक ऐसे माँगलिक आदमी से हुई जो शादी के बाद दस साल तक नौकरी करता रहा, फिर उसके बाद वह नौकरी छोड़कर घर पर ही बैठा रहा। फिर भी क्या है कि लड़की ही नौकरी करके उस घर को चलाती है, लेकिन आज भी यही कहा जाता है कि माँगलिक की माँगलिक से ही की जाती है, नहीं तो दो में से एक की मौत हो जाती है।
बहरहाल यह जो भाई था, वह सेठ का पूरी तरह से गुलाम बन चुका था, वह हर तरह की गालियाँ सुना करता था, सेठ को पानी पिलाने से लेकर जब सेठ पायखाना करने जाता तो वह बकेट में पानी भी डाला करता था। सेठ का पिता या माता भाई या बहन कोई भी बीमार होते तो रात रात भर अस्पताल में सो जाया करता था, क्योंकि उसे अपनी चार बहनों की शादी करनी थी, उस जमाने में इसी तरह से बड़े काम हुआ करते थे, चार बेfटयाँ होती थीं तो इसी तरह से गुलाम हो जाना पड़ता था। तभी जाकर दूसरी नौकरियों से ज्यादा तनख्वाह मिला करती थी। और उस पीढ़ी में सभी लोग इसी तरह से काम किया करते थे, लेकिन अपने परिवार की जी-जान से परवरिश किया करते थे। तब लोगों को बच्चे पैदा करने की भी आदत होती थी, बेटा हुआ या बेटी कोई भी हो उसको जीवन भर निभाया जाता था। तब लड़कियों की हालत यह थी कि ससुराल जाने के बाद वह मायके वालों को बिल्कुल तकलीफ नहीं दिया करती थी, शराबी पति को भी जीवन भर निभाया करती थी।
तलाक तो तब दस हजार में एक ही हुआ करता था, तब का समाज किसी भी तरह के ससुराल को निभाकर चलने को कहा करता था। और तब सास ही घर बॉस हुआ करती थी, सारी बहुएँ लाईन में ठहरकर सास की गालियाँ सुनने को तैयार हुआ करती थी, तब महिलाओं के बीच जो जलन हुआ करती थी, वह पूरी तरह से दबी ही रह जाती थी। सास के मरने के बाद ही बहुओं का राज शुरू हुआ करता था। तब जाकर बहुओं को जीने का हक मिला करता था, नहीं हर बार सास की ही बात को निभाना पड़ता था, बहुएँ मायके कब जाएँ यह भी सास ही तय किया करती थीं।
जब कोई लड़की मायके जाती थी, तो मायके वाले पूछते तक नहीं थे कि तुम सुखी हो या दुखी हो, जैसी भी हो ठीक हो मानकर चला करते थे। मायके में जाकर जब बेटी पूट-पूटकर रोया करती थी तो मायके वाले यही कहा करते थे कि तेरे ससुराल वाले जो करते है उसे निभाना ही पड़ेगा। बेटी को ही डाँटा जाता था कि तेरे में ही कमी रह गयी होगी जिसकी वजह से ससुराल वाले तुम्हें डाँटते हैं। क्योंकि तब यह अपनी जान छडाने के लिए नहीं कहा जाता था , बलि्क इसलिए कहा जाता था कि अगर तलाक हो गया तो हम कहीं पर भी मुँह दिखाने लायक नहीं रह जाएँगे। सो, इस तरह से मदर्र लोग गुलामी की नौकरी करके भी अपनी चार पाँच छह सात आठ बेfटयों की भी शादी कर दिया करते थे।
जिस लड़के ने सेठ की गुलामी करके चार बहनों की शादी की थी, उसके बाद उसकी खुद की शादी हुई। शादी के बाद पहली बेटी हुई, पिता ने सोचा कि अब तक तो चार बहनों की शादियाँ करके बेजार हो गया था, लो एक और बेटी हो गयी, उसके बाद दूसरी भी बेटी हो गयी, दो बेfटयाँ होते ही वह मायूस हो गया,तीसरा तो बेटा होगा समझा, तीसारी भी बेटी हो गयी। चौथा आखरी बार ट्राई करके देखता हूँ तो चौथा बेटा हुआ और बेटा होते ही बहुत खुश हुआ और एक बार ट्राई करकेदेखता हूँ तो पाँचवाँ भी बेटा होगा तो हो भी गया। दूसरा बेटा होते ही उसने सारी बिरादरी में बहुत बड़ी दावत भी कर दी। उसके बाद बीवी की तबीयत खराब हो गयी थी, इसलिए रोक दिया नहीं तो तीन बेfटयों और तीन बेटों की योजना बना रहा था तो अंत में जाकर तीन बेfटयाँ और दो बेटे हो गये थे।
शादी होते ही इस लड़के के जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव आने लगा। उसके ससुराल में उसका बहुत सारा सम्मान हुआ करता था। वह ससुराल जाता तो सारे लोग उसके सम्मान में उठकर खड़े हो जाते थे। उसे प्यार से परोस-परोसकर खिलाते थे। खिलाने के बाद दो घंटे तक सो जाने को कहते थे। वह लड़का जो शादी के बाद आदमी बन गया था, वह इस ससुराल के सम्मान से बहुत ही खुश हो गया था। लेकिन वह दूसरी तरफ सोच रहा था कि मैं सेठ के पास तो गुलामी की नौकरी कर रहा हूँ, वह पायखाने को जाता है तो बकीट में पानी डालता हूँ, वह अपमान का जीवन है और यह ससुराल में बेहद ही सम्मान का जीवन है, वह सम्मान पाने की भूख रख रहा था, उसे सेठ की नौकरी ठीक नहीं लग रही थी।
एक दिन उसकी पत्नी ने कहा कि तुम तो सेठ के पास पच्चीस हजार की तनख्वाह पाते हो। लेकिन वह तो गुलामी की नौकरी है, छह बजे सुबह चले जाते हो, रात को बारह बजे वापस आते हो, कभी-कभी आते भी नहीं हो, हमारा सेक्स जीवन अटपटा सा हो गया है, एक घंटा सेक्स के बाद चार  घंटे ही सोते हो, तुम ये नौकरी छोड़ दो मैं एक काम बताती हूँ, ऑटो चलाने का काम। इस आदमी ने कहा कि यह भी कोई काम है, पत्नी ने कहा मैं मायके से पैसे लेकर ऑटो दिलवा देती हूँ। पति ने कहा इस काम में इज्जत नहीं है, तो पत्नी ने कहा कि सेठ की गुलामी में इज्जत है कि उनके पायखाने में पानी डालते हो, उनका कुतार्र लेकर खड़े रहते हो, ये क्या काम है।
पत्नी ने कहा तुम  सुबह चार बजे ऑटो लेकर चले जाया करो, 11 बजे वापस आया करो, फिर ग्यारह से चार बजे तक घर पर ही रहा करो, मैं तुम्हें प्यार दूँगी। यानी दो बार प्यार करेंगे रात ग्यारह बजे फिर दिन में भी। पति बहुत खुश हो गया। दो-दो बार प्यार, ललिता आऊ आऊ आऊ...। उसने ऑटो चलानी शुरू कर दी। सुबह चार से 11 तक फिर शाम पाँच से दस बजे तक।  तब घर में कोई नहीं रहता था, सारे बच्चे स्कृल चले जाया करते थे। इस तरह से वह जीवन के पूरे मजे ले रहा था। इस तरह से वह 12 घंटे तक ऑटो चलाकर महीने के चालीस या तीस हजार रूपये ऑटो चलाकर ही कमा रहा था, दो बार प्यार करने के बाद बहुत ही मीठी अंगड़ाई लेकर ऑटो चलाने झूम-झूमकर जाया करता था। उसे सेठ की गुलामी की नौकरी से भी छुटकारा पा लिया था। वह तीन बेfटयों की शादी का पैसा भी जमा कर पा रहा था, सोना खरीदता चला जा रहा था, बैंक में पैसा भी जमा कर रहा था। और दो जगह सस्ते में जमीन भी खरीद भी चुका था, दो जमीनें बेचकर उसने दो बेfटयों की शादी भी कर दी। अभी वह तीसरी बेटी की शादी करने के लिए पूरी तरह से तैयार है उसके पास पैसा अच्छा-खाता है। दो बेfटयों की दो दो संतानों का भी fडलिवरी का खचर्र भी दिया है। हर तीज त्योहार पर भी खान पान भी भेजा करता है, वह खास बात यह करके रखा हुआ है कि पैसे को fछपाकर रखा हुआ है, करीब 12 लाख रूपया छुपाकर रखा हुआ है। और होशियारी यह की है कि वह तीन लाख का कजर् लेकर रखा हुआ है, वह तीन के कजर्र का रोना सभी बेfटयों और दामादों और बेटों के सामने भी रोता रहता है। सभी लोग यही सोचते हैं कि बेचारा ससुर ही कजर्र में पँसा हुआ है, उससे हम क्या पैसा लें।
आजकल ऐसा जमाना है कि पैसा दिखाते ही दामाद की जीभ लपलपाने लगती है, ससुराल से पैसा कब खींचूँ यही योजनाएँ बनाता रहता है। इसलिए कहा जाता है कि जब बीवी अच्छी मिल जाती है तो जीवन पूरी तरह से बदल जाया करता है।

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