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नोटबंदी क्यों की गयी, उसका क्या फ़ायदा हुआ है

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नोटबंदी क्यों की गयी, उसका क्या फ़ायदा हुआ है नोटबंदी आज आठ महीने के बाद भी ठीक से पता नहीं चला है। क्योंकि सरकार की तरफ से जनता को तो किसी तरह का सीधा फ़ायदा हाथ नहीं लगा है, न किसी के बैंक खाते में पाँच लाख रुपये डाले गये हैं नही पंद्रह लाख डाले गये हैं। इस तरह से हम समझ चुके हैं कि यह सरकार जनता को मुफ्त की रोटियाँ तो खिलाने वाली नहीं है। यह सरकार सीधा-सीधा संदेश दे चुकी है, कि पैसा कमाना है तो मेहनत करके पैसा कमाओ, हमें टैक्स दो तो हमें किसी तरह का ऐतराज़ नहीं है। मगर सरकार ने तीन सौ रुपये में जो दो लाख का बीमा योजना शुरू की है, उससे हर ग़रीब का जीवन बहुत ही सुरक्षित हो गया है, मेरा हिसाब बताता हूँ, अगर मैं मर जाता हूँ, तो मेरी पत्नी को दो लाख मिलेगा, मैने एक्सीडेंट का केवल बारह रुपये का मोदीजी का भी बीमा करा लिया है, तो दो लाख और मिलेगा यानी अगर टक्कर हो गयी तो, चार लाख मिलेगा, चार लाख का ब्याज होता है तीन हज़ार रुपया, छोटा तीन हज़ार में किराये का मकान आ ही जाता है, तेलंगाना से विधवा पेंशन मिलती है एक हज़ार, पत्रकार होने के नाते मुझे मिलेंगे एक लाख एक्सीडेंट हो गया तो मिले...

घर की सत्ता घर की औरत को दी जाए

घर की सत्ता घर की औरत को दी जाए या फिर घर के मर्द को दी जाय मर्द के हाथ में सत्ता हो तो मातापिता, भाई-बहन निभ जाते हैं औरत के हाथ में सत्ता हो तो सिर्फ़ पैसे से परिवार आगे बढ़ता रहता है यह सवाल हालाँकि पिछले तीस-चालीस बरसों से चल रहा है, कि घर में ताकत औरत की ज़्यादा हो या मर्द की हो, लेकिन अब यह सवाल और भी ज़रूरी हो गया है, जिस मर्द के माता-पिता जिंदा हैं उसकी पत्नी की धौंस-घमंड मर्द पर हावी रहती है। मर्द औरत पर दो चार तरह से अपनी धौंस-घमंड जमा सकता है। एक तो वो पत्नी को पीटता है, तो पत्नी डर जाती है कि पतितो पीट रहा है, पीटने से बदन दर्द हो रहा है इसलिए पति जो कह रहा है वह सुन लेती हूँ, पति के मातापिता की सेवा कर लेती हूँ, ननद भी आये तो सेवा कर लेती हूँ। इसी तरह से अभी तक देश के लगभग आधे परिवार चला करते थे, जो भी ताकत थी वो सास और ससुर के हाथ में हुआ करती थी, सास-ससुर के नाम पर घर हुआ करता था तो बेटा भी माता-पिता को निभा लिया करता था, दूसरे भाई भी माता-पिता को निभा लिया करते थे, जो ससुर कहते थे उसी बात को सभी परिवार के सदस्य माना करते थे, सारी की सारी बहुएँ माना करती थीं। सबसे बड...

शोले है सितारों की ज़िदगी

शोले है सितारों की ज़िदगी पंकज कपूर जो शाहिद कपूर के पिता हैं, वे अपनी जवानी में रंगमंच के नाटक खेला करते थे, वे बेहतरीन अभिनेता हैं लेकिन तब उनके भोजन के लाले पड़ गये थे। क्योंकि नाटकों से ज़्यादा पैसा नहीं मिलता था, तब उन्होंने करमचंद नाम का टीवी जासूसी सीरियल किया था, वह सीरियल उनके अभिनय के लिए सदैव याद किया जायेगा, उनकी रग-रग में अभिनय बसा था, इसलिए करमचंद की भूमिका बहुत ही आसानी से कर पाये, बाद में ऑफिस-ऑफिस सीरियल से भी बहुत मशहूर हुए। तो पेट पालने के लिए यह बेहतरीन कलाकर नाटकों से हटकर भी काम करता रहा, याद रहे नाटक खेलने वाले अभिनेता, अभिनय की खान होती है, वे अभिनय को पूरी भक्ति से करते हैं लेकिन पैसा कमाने के लिए छोटे-बड़े पर्दे का सहारा लेते हैं। शोले है सितारों की ज़िदगी । आलिया भट्ट के गीत अभी से अमर हो चुके हैं, कई गीत उनके मासूम अभिनय से यादगार हो गये हैं, इश्क वाला लव, लड़की कर गयी चुल, इक कुडी जिदा नाम मुहब्बत है गुम है, इन तीनों गीतों में आलिया भट्ट का इतना बेहतरीन अभिनय है कि अभिनय के देवता भी उनके शानदार अभिनय से इनकार नहीं करेंगे। उनकी मासूमियत, उनका चे...

हमदर्द और मशहूर मोदीजी

हमदर्द भी, परपीड़क भी, ममता से भरे, हंटर वाले, घोर अनुशासित, के रूप में मोदीजी मशहूर हो चुके हैं पिछले तीन साल में टेक्सटाइल वाले और गहने वालोंने हड़ताल की, हड़ताल चलती रही, चलती रही, लेकिन सरकार नहीं मानी तो थक हारकर वो लोग ही मान गये। अब सरकारी विभाग वालों की तनख्वाहों पर ही मोदी सरकार ऐसा प्रहार कर रही है, और सरकारी लोगों की पोस्ट ऑफिस बचत पर ऐसा हमला कर रही है कि सरकार के किसी भी विभाग वाले हड़तालें करने के लायक ही नहीं बचे हैं, वो मन ही मन कह रहे हैं कि सरकार तो हमें उल्टा लटकाकर मार रही है, सारे सरकारी कर्मचारी उल्टा जान बचाकर मुँह पर उंगली रखकर काम कर रहे हैं। पहले तो किसी न किसी देश के बड़े सरकारी क्षेत्र जैसे बैक, परिवहन, बिजली, डाकघर, रेल आदि विभाग की लगातार हड़तालें चलती ही चली जाती थी, चलती ही चली जाती थी। तीन साल में हड़तालें बंद हो गयीं, दोबारा हुई तो सरकार का हंटर चलेगा, तो चारों ख़ाने चित्त हो जाएँगे। भारत बंद, बंद हो गये, राज्यों में बंद, बंद हो गये, शहरों में बंद, बंद हो गये। अब तो आप १५ अगस्त के दिन भी दुकान खोल रहे हैं तो कोई पूछने वाला नहीं है, दो अक्तूबर ...

हमारे गॉड़फॉदर मोदीजी हमारी इच्छा पूरी करेंगे

अभी हाल ही में एक रियल इस्टेट व्यापारी ने आत्महत्या कर ली, यह व्यापारी हालाँकि बहुत बड़ा बिल्डर नहीं था, लेकिन नोटबंदी के बाद पहली बार इस तरह की ख़बर सुनने में आयी कि अब अमीर लोग भी आत्महत्या करने लगे हैं। ज़मीनों के दाम घरों के दाम सारे देश में बुरी तरह से गिर चुके हैं। हालाँकि हर शहर के बीचोंबीच अभी भी दाम करोड़ों रुपये के चल रहे हैं, लोग अब प्रॉपटों ख़रीद भी रहे हैं। लेकिन आम जनता जो बहुत ही तकलीफ़ से पैसा कमाती हैं वे अब इत्मिनाम से रेट गिरने का इंतज़ार कर रहे हैं। क्योंकि एक तो मोदीजी ने गारंटी दी है कि २०२२ तक सारे भारतवासियों को मकान वे बनाकर देंगे। इससे नयी पीढ़ी में बहुत आशा जागी है, कि हमारे गॉड़फॉदर मोदीजी हमारी इच्छा पूरी करेंगे। अब हैदराबाद के शमशाबाद में छह लाख या सात लाख रुपये में पप्लैट बिक रहा है, डबल बेडरूम, वह पलैट वाला विज्ञापन तो दे रहा है, लेकिन जाकर बात करें तो वही बिल्डर गंदी, छिछोरी बातें करेगा कि इस फ्लैट का दाम सात लाख तो हैं मगर मैं यहाँ पार्किंग के पैसे अलग से लूटुंगा, चमन के अलग से लूटुंगा, काफ़ी मज़ाकिया बातें कहकर पैसे ऐंठेगा लेकिन ले देक...

आईपीएल-10 में रोहित का करिश्मा

आईपीएल-१० सिर्फ़ एक रन से मुंबई जीती, इस एक रन से खरबों रुपये की शर्त लोग हार गये, क्योंकि सभी ने पुणे पर बहुत सारा पैसा लगाया था, पहली पारी के बाद तो सारा का सारा पैसा पुणे के नाम पर लगा दिया गया था चार सौ चालीस वॉट का करंट मारा था, उस दिन जब मुंबई ने एक रन से मैच पुणे से जीत लिया था, काश, धोनी को अॉर्डर में ऊपर भेजा जाता तो पाँच गेंदों में सात रन तो वे आराम से बना लेते, लेकिन सामने अनुभवी मिचाल जॉनसन थे, जिनकी बदौलत मुंबई ने एकदम मुश्किल मैच में जीत हासिल की। मैच में सारा का सारा पैसा पुणे पर लगा था, क्योंकि वे मुंबई को तीन बार इसी बार हरा चुके थे, सो, अस्सी प्रतिशत लोग पुणे पर ही भरोसा कर रहे थे, लेकिन उस दिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था, आख़री ओवर में रोहित शर्मा के चेहरे को देखकर लग रहा था कि उन्होंने हाथ से मैच को छोड़ दिया लेकिन जैसे ही स्मिथ का कच पकड लिया गया तब आशा जागी और फील्डरों को धन्यवाद दिया जाना बदल डाला है। आईपीएल की यह दसवीं किस्त थी और नौजवान लोग इस खेल को जुनूनी हद तक चाहने लग गये हैं हर घर दुकान पर नौजवान रोज़ाना बैठकर आईपीएल को व्यापार में बदल चुके थे, कभी इस ...

बहुत सारा धन शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही है

बहुत सारा धन और बहुत सारी शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही आज का जवान लड़का बहुत सारा काम तो कर रहा है, लेकिन उसे मनचाहा पैसा नहीं मिल रहा है। जिससे वह बहुत ही छटपटा रहा है। जवान लोग जवान होते ही विदेश भाग रहे हैं, बेचारे वहाँ पर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहाँ वे सोलह से अट्ठारह घंटे मेहनत कर रहे हैं तब जाकर उनका मनचाहा पैसा मिल रहा है, लेकिन फिर उनपर पैसे का भूत इस क़दर सवार हो रहा है कि वे अपना जीवन जीना ही भूल जाया करते हैं, दिन-रात पैसे की हाय-हाय में ही सारा जीवन गुजार रहे हैं। बेचारे वहाँ पर अपना बच्चा चला जाता है जब वह केवल २२ साल का होता है, और वहाँ से कमाना शुरू करता है तो वह घर वालों की पूरी तमन्नायें पूरी करने करने के बाद तीस या पैंतीस साल में जाकर शादी करता है, और अंत में वह भारत आने से मना कर देता है, इसलिए बहुत सारा पैसा कमाता है तो वहीं का होकर रह जाता है, वह उस तरह के वर्क कल्चर में पूरी तरह से समा जाता है, फिर उसी में उसका सारा जीवन रम जाया करता है। इधर भारत में रहने वाला जवान भी बहुत ही परेशान हैं, आजकल अमीर घर के बच्चे ज़्यादा प...

पाकिस्तान और हिंदुस्तान मुसलमानों का हो जायेगा, हिंदू भजन गाते रह जाएँगे

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डॉ. किशोरीलाल व्यास दक्षिण समाचार के १ फ़रवरी  २०१७ के अंक में शकील अख़्तर के कश्मीर पर विचार पर पढ़े, इस लेख से अलगाववाद की बू आती है। हिज़बुल मुजाहिदीन के शसस्त्र बुरहानवानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी मं उसके जनाज़े में लोगों की भीड़ उमड़ी तथा प्रदर्शन होते रहे, सुरक्षाबलों तथा पुलिस पर जो पथराव होता रहा, वह क्या सूचित करता है। पाकिस्तान के झंडे लहराना, आई.एस.आई की पताकाएँ फहराना किस बात का संकेत हैं। कश्मीरी युवकों पर एक भी गोली चली, न एक भी युवक मारा गया। घुसपैठिये से लोहा लेते सैनिकों पर कश्मीरियों ने पत्थर बरसाये, कई स्कूल जला डाले। लेकिन हमारे सुरक्षाबल हाथ बाँधे हुए लड़ाई लड़ रहे हैं। अलगाववादियों के पत्थरों से गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। फिर भी न गोली चला रहे हैं, न लाठी। अगर इस्त्राइल या जर्मनी में ऐसी घटना घटती तो बंदूक की गोली से सभी पत्थरबाज़ों को उडा दिया जाता। आपके लेखक शकील अख़्तर ने कहा है-यह गतिरोध की स्थिति है। कश्मीरी युवाओं के रास्ते बंद हैं। जबकि पाकिस्तान एक ओर से आतंकवादी भेजता है, दूसरी ओर बातचीत की पेशकश करता है। एक ओर बम विस्फोटों के षड...

हिंदुस्तान को बेहतर कर रहे है मोदी

पिछले चार साल से मैं हिंदी मिलाप में छप रहे रेड एलर्ट कॉलम को रोज़ाना पढ़ता रहा हूँ, इसमें आत्महत्याएँ और हत्याओं के बारे में ख़बरें आया करती हैं। नोटबंदी के पहले हरदिन कम से कम दो लोग या चार लोग आत्महत्या करते थे, वह भी पैसे की तंगी के कारण आत्महत्या करते थे, इसमें अधिकतर लोग कर्जदेनेवालों के सताये जाने के कारण आत्महत्या करते थे। कर्ज देने वाले इनको दस प्रतिशत ब्याज पर पैसा दिया करते थे और रोज़ाना पैसे लेने छाती पर बैठ जाया करते थे, पैसे न दो तो हलक में हाथ डालकर पैसे निकालने जितनी गंदीगालियाँ दिया करते थे। हमारी आत्मा भी तड़प जाये इस तरह से सताया करते थे। मोहल्ले के बीचोंबीच ठहराकर चप्पलों से मारा करते थे, हर सप्ताह इस तरह की ख़बरों के माध्यम से कम से कम हर सप्ताह अट्ठारह लोगों के आत्महत्या करने की ख़बर छपाकरती थी। मगर अब नोटबंदी के बाद सप्ताह में केवल दो या तीन आत्महत्याएँ ही पैसे की तंगी के कारण हो रही हैं। मोदीजी ने इन बेसहारा ग़रीब लोगों को जो भारी ब्याज पर पैसा उधार लेकर आत्महत्या करते थे, उन लोगों को बिना सेक्यूरिटी के एक लाख रुपये लोन देना शुरू किया जिससे उन्होंने सबसे...

नोटबंदी के बाद अब अमेरिका से भारतीय लौटेंगे तो भला भारत का ही होगा

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नोटबंदी के बाद अब अमेरिका से भारतीय लौटेंगे तो भला भारत का ही होगा नोटबंदी नोटबंदी के बाद अब अमेरिका से भारतीय लौटेंगे तो भला भारत का ही होगा एक छोटी सी ख़ुशख़बरी मोदीजी नेदी है कि पेट्रोल के दामों में पाँच रुपये की कमी कर दी है। अब जो लोग रोज़ानासौ किलोमीटर गाड़ी चलाते हैं वे बीस रुपया रोज़ बचा सकते हैं। कारवाले ज़्यादा बचा सकते हैं। यानी छह सौ रुपये महीने के बचा सकते हैं। इसी तरह से महँगाई को कम करते चले जाना है, तभी आम आदमी चैन की साँस ले सकते हैं। नोटबंदी होते ही सबसे पहले किसानों ने सब्जी और अनाज के दाम बहुत ही ईमानदारी से कम कर दिये हैं केवल किसान ही देश का सबसे ईमानदार इंसान है, किसान अपना सबकुछ लुटा देता है लेकिन आम आदमी का साथ हमेशा देता रहा है, आज़ादी के पहले से ही किसान ईमानदारी से जिया है। बाक़ीय कुछ सोने चाँदी की दुकान वाले, कुछ रियल इस्टेट वाले, कुछ शेयर बाज़ार वाले, कुछ महँगे स्कूल के फ़ीस वाले, कुछ महँगे अस्पताल वाले, ये सारे के सारे महाशय एक नंबर के बेईमान और बट्टेबाज़ होते हैं, इनकी गेंडे की चमड़ी पता नहीं कब इंसान की चमड़ी बनेगी। हमें मोदीजी पर पूरा भर...

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