आज हर इंसानकिसी न किसी बड़े क़र्ज़े या बड़े ख़र्चे में पड़ गया है - EDITOR NEERAJ KUMAR

आज हर दूसरा इंसान या कहिए हरेक इंसान किसी न किसी बड़े क़र्ज़े या बड़े ख़र्चे में पड़ गया है, वहॉं से वह निकल ही नहीं पा रहा है, क़रीब दस से पंद्रह साल उसके उसी में फँस जा रहे हैं जिससे उसका जीना हराम हो गया है

टीवी, अख़बार,मोबाइल, दोस्ती, रिश्तेदार इन सब लोगों से आजकल दूर रहकर ही अपनी जान बचायी जा सकती है| टीवी देखते हैं तो बड़े-बड़े बंगले या फ़्लैट ख़रीदने के विज्ञापन दिखाये जाते हैं| हम किसी बिल्डर के पास जाते हैं तो वह कहता है कि हम आपको तीन साल के भीतर एक आलीशान फ़्लैट बनाकर देते हैं फ़्लैट की क़ीमत चालीस लाख रुपया है, आप अभी हमें बीस लाख रुपया दे दीजिए, बाक़ी के बीस लाख फ़्लैट में गृहप्रवेश की पूजा के दिन दे दीजिए| अगर हम बीस लाख रुपये दे देते हैं तो वह बिल्डर हमारा घर तीन साल से भीतर में बनाकर नहीं देता है| वह उसमें पॉंच साल से लेकर आठ साल लगा देता हैं| जबकि बीस लाख रुपया देकर हम फँस जाते हैं| और इंतज़ार में, नया फ़्लैट ख़रीदने के इंतज़ार में हमारी माता मर जाती है, पिता मर जाते हैं, भाई मर जाता है लेकिन वह फ़्लैट बनकर तैयार ही नहीं हो पाता है| और जब हो पाता है, तब तक हमारे बाल सफ़ेद हो जाते हैं, भागदौड़ करने के बजाय रिटायर होने की उम्र आ जाती है| 

एक सरवे आया है जिसके अनुसार भारत के पॉंच करोड़ लोग इसी तरह से बिल्डर को पैसा देकर फँसे हुए हैं| कितने भी कोर्ट के केस डाल लो उनपर जूँ तक नहीं रेंगती है, वह समय पर समय लेते चले जाते हैं और पैसा हमारा देने को तैयार ही नहीं होते हैं, कुछ कहने जाओ तो कहते हैं कि आपका ही तो पैसा लगा हुआ है, देखिये हमने आपके पैसे से पानी की बड़ी टंकी फ़िट की, ज़मीन को लेवल में लाया है| बोरिंग खुदवा रहे हैं| दो तीन म्युनिसिपाल्टी के परमीशन चल रहे हैं वह काम ख़त्म होते ही छह महीने में आपका मकान बनकर तैयार हो जायेगा|

झकमारकर हमको केवल इंताज़ार ही करना पड़ता है| बिल्डर हमसे धोखा करता है, उसके पास केवल ज़मीन ही होती है| वह ज़मीन बताता है और अपना एक मॉडल फ़्लैट बनाकर दिखाता है| उसके बाद वह पब्लिक से ही पैसा लेना शुरू कर देता है| वह नाम का बिल्डर होता है जब उसके पास पैसा ही नहीं है तो वह बिल्डर काहे का| वह हमसे पैसे लेता है बीस लाख रुपया| जिसमें से वह सबसे पहले अपने लिए दस लाख रुपये की पहले तो कार लेता है| क्योंकि बेसिकली वह तबीयत से फ़कीर होता है, हमारे पैसे पर ही मौजमस्ती करता है| हमारे पैसे पर वह कार में मज़े लूटता है, हम देखने जाते हैं कि हमारा घर कितना बना है तो वह दिखाता है कि खंभे यानी पिल्लर तो उठा दिये गये हैं| और अगले महीने हमें म्युनिसिपल से एक परमीशन आना है उसके बाद से मकान बनना शुरू हो जायेगा| हम पूछते हैं कि पहले ही आपको नगरपालिका का परमीशन ले लेना चाहिए था, वह कहता है कि हमें अप्लाई करके दो साल हो चुके हैं| वे लोग आज कल आज कल कर रहे हैं  वत्त हँसते हुए हे हे हे हे करता है और कहता है कि आपको तो पता ही है कि कितना समय सरकार ले लिया करती है|
इस म्युनिसिपल महानगरपालिक के परमीशन का झूठ वह छह महीने से दो साल तक भी चला लेता है, हम बीस लाख देकर फँस जाते हैं और वह हमारे पैसे पर ऐश करते हुए हमें गोल गोल घुमाया करता है| ऐसा वह एक आदमी के साथ नहीं करता है, बल्कि कम से पचास लोगों या सौ लोगों के साथ ऐसा ही करता है| जब हम सौ लोगों के पैसे लुट जाते हैं तो वह उस पैसे को बहुत दूर ले जाकर दूसरे किसी ज़मीन के प्रोजेक्ट में निवेश करता है, और वहॉं के लोगों को भी लूटने लग जाता है| इस तरह से उसका यह धोखाधड़ी का फेर बढ़ता ही चला जाता है| पेपर, टीवी में वह विज्ञापन देता ही चला जाता है|
इस चक्कर में बहुत ही ईमानदार लोग आ जाते हैं| जो लोग अपने पिता का इलाज नहीं करवाकर उन्हें मार देते हैं वैसा पैसा बचाकर घर लेने के सपने देखे जाते हैं| भाई मजबूर हो तो उसको तो लात मारकर निकाल देते हैं वैसा पैसा भी होता है, बहन को दुत्कारकर घर लेते हैं वैसा पैसा भी उसमें मिला होता है| तो इस तरह से सारा पैसा बचाकर घर को लेने के सपने देखें जाते हैं| कुछ लोग सोचते हैं कि यह चालीस लाख का फ़्लैट मैं ले लूँगा तो मुझे इसका बीस हज़ार रुपया तो किराया आयेगा क्योंकि यह बहुत ही रिहायशी इलाक़ा है| और ये जो किराये के बीस हज़ार रुपये आएँगे उससे मैं मेरे बच्चों को ऊँची फ़ीस की पढ़ाई करवा सकता हूँ| जब बीस हज़ार रुपया आयेगा तो मेरा जीवन कितना आराम का हो जायेगा| बीस हज़ार के गुलाबी हज़ार हज़ार के नोट आ रहे हैं हैं वाह वाह वाह, मैं बच्चों की फ़ीस भर रहा हूँ| फिर उसमें हर महीने पॉंच हज़ार रुपये बच रहे होंगे और उस पॉंच हज़ार में हम महँगी से महँगी होटल में भोजन करने के लिए जा रहे हैं| फिर अगले महीने पॉंच हज़ार बच रहे हैं और मैं अपनी बीवी के लिए एक पॉंच हज़ार की साड़ी ख़रीद रहा हूँ| मेरा जीवन कितना सुहाना हो जायेगा| यह सब वह सपने सजाता है|
लेकिन उसे पता नहीं होता है कि आजकल तो ईमानदार लोगों को पूरी तरह से लूट ही लिया जा रहा है| ईमानदार लोग गंदे लोगों की बातों में आ जाते हैं| टीवी की बातों में, यारी दोस्ती की बातों में आ जाते हैं, जो लोग बहुत ही कड़क लोग होते हैं उन्हें उनका दामाद ही लूट ले जाता है| दामाद की बातों को टाल नहीं सकते इसलिए वहॉं जाकर अपनी मौत तो लिखी ही होती है| और आजकल के मशहूर बिल्डर भी बहुत ही होशियारी से काम लेते हैं| उनका काम पॉंच जगहों पर एक ही समय पर चलता है जिसमें से दो प्रोजेक्ट को लटकाकर उसमें डाले गये लोगों की मेहनत के पैसे को लुटाते चले जाते हैं| और अख़बार टीवी पर यही विज्ञापन देते हैं कि देखिये हमारे पॉंच प्रोजेक्ट जो चल रहे हैं उसमें से हमने तीन को पूरी तरह से तैयार कर दिया है| और अगले दो में केवल दस ही फ़्लैट बाक़ी हैं लोग क्या करते हैं कि तेज़ी से लोग पैसा डाल देते हैं और जो काम तीन वर्षों में होना है उसमें कम से कम आठ से दस साल लग ही जाते हैं| और ये लोग जो कहते हैं कि फ़लाने प्रोजेक्ट में दस ही फ़्लैट बचे हैं उसमें कम से कम सौ फ़्लैट तो बचे ही होते हैं किसी की बात का किसी को पता न चले उस तरह से ये लोग बहुत ही होशियारी से काम किया करते हैं|
 मध्यम वर्ग के लोगों का यह सपना इतना बड़ा होता है कि बेचारे इसी घर की आस में कभी कभी इतने परेशान हो जाते हैं कि उनको दिल की बीमारी भी हो जाती है| फिर तब बेचारी पत्नी की कमाई से ही सारा का सारा घर चला करता है| छह महीने आराम करने के बाद पति भी दिल की बीमारी लेकर कहीं पर बैठने की नौकरी कर लिया करता है| उसका उसे आठ हज़ार रुपया महीने का मिला करता है, जिसमें से तीन हज़ार रुपये तो दवाई में ही चले जाया करते हैं| जबकि एक ज़माने में उसके पास तो बीस लाख रुपये भी थे, अगर वही पैसा वह पोस्ट ऑफ़िस में डाला होता तो उसको उसके पंद्रह हज़ार रुपये आ जाया करते थे| लेकिन एक बिल्डर के बुरी तरह से लूटने के बजाय वह सड़क पर आ जाता है| और दिल की बीमारी में दिल पर हाथ रखकर बेचारा आठ हज़ार की नौकरी करने को मजबूर हो जाता है| कई फ़्लैट वाले तो इतने क्रूर होते हैं कि हमको ऐसा फ़्लैट बतलाते हैं जिसमें केवल छोटा छोटा फ़िनिशिंग का काम ही बाक़ी रहा होता है| और हमें कहा जाता है कि केवल नौ महीने या तीन महीने के भीतर ही हमें वही फ़्लैट मिल जायेगा| लेकिन उसमें भी वे तीन से चार साल लगा देते हैं| सौ में से बीस ईमानदार बिल्डर होते हैं लेकिन उन्हीं बीस बिल्डर का बहाना लेकर झूठे बिल्डर भी अपना पैर जमा लिया करते हैं|
इस तरह के फेर में बेचारे तीस साल से लेकर पैंतीस साल के नौजवान बुरी तरह से फँस जाते हैं| वे टीवी अख़बार मोबाइल के एलर्ट में फँस जाते हैं| पिता-माता की पेंशन की कमाई के पैसे उस तरह के फ़्लैट में डाल देते हैं और रहते हैं पिता के घर में वो ग़नीमत होता है और अंत में पैसा फँस जाता है तो जवान बेटा-बहू ही मिलकर माता पिता का भी ख़र्च उठाने को मजबूर हो जाते हैं क्योंकि उनके माता-पिता को बीस लाख रुपया उस तरह के प्रोजेक्ट में अटका रह जाता है|
नयी पीढ़ी के बेटा-बहू जब इस तरह का मकान देखने जाते हैं तो मेकअप से लदी बहुत ही सुंदर लड़की पत्नी और पति में से पहले पति से बात करती है, बड़ी ही मस्त कमर होती है, फ़िगर एकदम टनाटन होता है| इधर उस कंपनी का लड़का जो है बहू से बात करता है, एकदम बॉडी ज़बरदस्त होती है, अंग्रेज़ी में वे लोग ओ या या, ओ या या, ओ के, ओ के, यू मीन यू मीन, उसमें भी थोड़ा सा सेंस ऑफ़ ह्यूमर की भी चाश्‍नी लगी होती है जिससे वे रक्कस में आ जाते हैं| इधर लड़की दीवारों की फ़िनिशिंग दिखाने के लिए नीचे बैठती है तो बेटा समझता है कि बैठ रही है तो इसका फ़िगर और भी मस्त हो गया है| आहा आहा आहा आहा क्या मज़ा आ रहा है| लड़की को पूरा पता होता है कि ये उल्लू के पट्ठे लड़कियों की कैसी कैसी बैठकों पर फ़िदा हो जाया करते हैं| सो, ये सब घर का सौदा करते समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण बातें होती हैं| और तेज़ी से बकरा हलाल होता चला जाता है| जितना बड़ा पैसा होता है उतनी ही सुंदर लड़की को लगाया जाता है, दॉंव पर| छोटे बच्चे आते हैं तो उनके लिए महँगी कैडबरी चॉकलेट का भी इंतज़ाम किया जाता है|
इसका उपाय क्या है, हमें वही घर लेना चाहिए जो पहले किसी ने ले लिया हो, क्योंकि उसमें सारी की सारी अड़चनें पूरी हो जाया करती है| और इंटरनेट पर सारी क़ानूनी बातों को पढ़ लेना चाहिए| और फिर जाकर नया घर सेकेंड हैंड में ही सही ख़रीदना चाहिए| किसी समझदार वकील से ही रेजिस्ट्ररी करायी जानी चाहिए| ताकि बाद में किसी तरह की अड़चन न आये| महानगरों में पब्लिक को लूटने का यह बहुत ही अच्छा बिज़नेस हो गया है, कोई भी व्यक्ति जिसे अपनी बेटी की शादी करनी हो, उसके पास यदि दो हज़ार ग़ज़ ज़मीन हो तो वह इस तरह का बिल्डर वह भी लुटेरा बिल्डर बनकर सामने आता है, पब्लिक से पैसा ले लेता है और अपनी बेटी की आलीशान शादी करके वह पब्लिक का पैसा लूट लेता है और बाद में फिर लुटे हुए लोगों की महीने की क़िस्त बनाकर बहुत ही धीरे धीरे पैसा वापस करता है|

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