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Showing posts from 2016

लोग कहते हैं कि दो बेटे अच्छे होते हैं जबकि दो बेटियॉं ज़्यादा अच्छी होती है

लोग कहते हैं कि दो बेटे अच्छे होते हैं जबकि दो बेटियॉं ज़्यादा अच्छी होती है, दो बेटों की दो बीवियॉं आती हैं तो देवरानी-जेठानी में जीवन भर झगड़ा चलता ही रहता है, एक लव मैरिज की बहू हो तो रोज़ की महाभारत चलती रहती है  पुराने ज़माने में हरेक शादी पंद्रह से बीस साल की उम्र के बीच में ही कर दी जाती थी, बड़े-बूढ़े लोग ही शादी कर देते थे| केवल अपने हिसाब का परिवार देखा जाता था, सुंदरता नहीं देखी जाती थी, लंबा दूल्हा ठिगनी दुल्हन ढूँढी जाती नहीं थी बल्कि, मिलते ही शादी कर दी जाती थी| लड़का-लड़की अलग-अलग छतों से देख लिये जाते थे| शादी पहले से तय कर दी जाती थी| कुछ पसंद-नापसंद की बात होती ही नहीं थी| शादी मिल बॉंटकर कर दी जाती थी, तो दहेज़ देना पड़ता था, सारा जीवन कुछ न कुछ देना ही पड़ता था, लेकिन दोनों परिवार मिलजुल कर रहा करते थे| यह सिलसिला सारी ज़िंदगी चला करता था, लेकिन स्कूल-कॉलेज से लोग लड़के, लड़की को भगा ले जाते थे, दोनों परिवार की बहुत ही बेइज़्ज़ती होती थी, और सारी ज़िंदगी लव मैरिज की मियॉं-बीवी के घर वाले एक दूसरे को बुरी निगाह से देखा करते थे| जब लव मैरिज की मियॉं-बीवी को बच्चा हो जाता है त

हम तो फ़कीर हैं झोला उठाएँगे और चल पड़ेंगे

हम तो फ़कीर हैं झोला उठाएँगे और चल पड़ेंगे  हम तो फ़कीर हैं झोला उठाएँगे और चल पड़ेंगे, मोदीजी की यह बात आज़ादी के परवानों की याद दिल गयी जो अपनी जान की आहुति देकर देश के लिए जान दे दिया करते थे होनी को कौन टाल सकता है| और होनी भी नोटबंदी की ऐसे व्यक्ति से हुई जो हमारे सबसे प्रिय व्यक्ति रहे-नरेंद्र दामोदर मोदीजी से हुई| इससे सबक़ यह सीखना चाहिए कि हमें पैसे का भूखा नहीं होना चाहिए| हर सरकार की ब्यूरोक्रैसी  से बहुत अनबन रही थी, इस नोटबंदी ने ब्यूरोक्रेसी की ताक़त को बहुत हद तक कम कर दिया है| संंासद से लेकर हर छुटभैय्या नेता ने धन बहुत जमा कर लिया था, सारा कुछ चला गया| लोगों ने बहुत ही मेहनत करके पैसा कमाया था, होते-होते वह सफ़ेद धन काला धन हो गया था| अब सारा धन हाथ का मैल होकर रह गया है| ऐसा होगा किसी से नहीं सोचा था, लेकिन अब सोचना यह है कि हमंें तौबा करके भी पैसे से ख़ासकरके नोटों से प्रेम नहीं करना चाहिए| नयी पीढ़ी तो धन की पागल हो गयी थी| उसके लिए धन का लालच नहीं करना उनके जीवन का सबसे बड़ा सबक़ होना चाहिए| ये धन-दौलत कभी भी भारतीय जीवनशैली की नस-नस में बसी हुई नहीं थी, यहॉं

विराट कोहली ने चेन्नई टेस्ट की जीत बोनस के रूप में दी है

विराट कोहली ने चेन्नई टेस्ट की जीत बोनस के रूप में दी है विराट कोहली ने चेन्नई टेस्ट की जीत बोनस के रूप में दी है, यानी में तीन जीत पर एक जीत फ्री के रूप में दी है, और इंग्लैंड का दिल बुरी तरह से तोड़ दिया है, यह जीत करुण नायर की तिहरे शतक का तोहफ़ा है जीत का रोमांच अपने चरम पर आ गया जब भारत ने इंग्लैंड की टीम को हवाई जहाज़ में बैठते-बैठते सम भी बहुत गहरा सदमा दिया| उन्हें जाते-जाते पटख़नी दे दी, चेन्नई टेस्ट में हरा दिया| कल से यही ख़यालात आ रहे थे कि बेचारी इंग्लैंड को सुकून से जाने दिया जाये| लेकिन कोहली के इरादे कुछ और थे, और जो हक्ष होना था वह होकर रह गया|  बड़े आराम से ड्रा होने वाला मैच अचानक ऐसा पल्टी खाया कि इंग्लैंड टीम की नानी याद आ गयी और पॉंच दिन का बेफ़िक्र सा लगने वाला सुस्त मैच आधे से एक घंटे के भीतर इंग्लैंड के लिए काल बनकर आया और भारत के लिए स्वर्ग की फुहार बनकर सामने प्रकट हो गया| हर विदेशी टीम भारत की हरेक, चौथे और पॉंचवें दिन की पिचों से घबराते हैं, लेकिन इंग्लैंड को चार बार चौथा और अंतिम दिन सौग़ात के लिए टॉस जीतकर मिल चुका था| लेकिन कोहली की पारियों ने और

अब समय आ गया है कि दूल्हा छोटी उम्र का हो और दुल्हन बड़ी उम्र की हो

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 8 अब समय आ गया है कि दूल्हा छोटी उम्र का हो और दुल्हन बड़ी उम्र की हो, तो इससे दो परिवारों का फ़ायदा हो सकता है, बेटी अपने माता-पिता के लिए पैसा जमा करके दे सकती है, या नहीं तो दुल्हन को अपने मायके को, शादी के बाद में लगातार पैसे देने चाहिए, ऐसा क़रार ससुराल के साथ करना चाहिए अब हमारे देश में करोड़ों माता-पिता ऐसे हो गये हैं जिन्हें दोनों ही लड़कियॉं पैदा होती हैं, महँगाई इतनी बढ़ गई है कि तीसरी बार बच्चा पैदा करने की कोशिश ही कोई माता-पिता नहीं कर रहे हैं| दो पर ही पूर्णविराम या फ़ुलस्टॉप लगा दे रहे हैं| पहले क्या था कि बेटी पेट में होती थी तो उसे पेट में ही मार दिया जाता था, क्योंकि बेटी होती थी तो पचास लाख या बीस लाख तो शादी में लगाने ही होते थे| लेकिन अब हरेक बेटी कमाने भी लगी है तो लोग बेटी को पैदा कर भी रहे हैं|

हर शहर में एक तरह का जंगलराज चलता है

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 7 हर शहर में एक तरह का जंगलराज भी चलता है,जहॉं पर एक इंसान दूसरे इंसान की जान भी ले लेता है,पैसों के लिए, यहॉं पर दस हज़ार बीस हज़ार से लेकर एक लाख के लिए भी एक-दूसरे की हत्या तक कर दी जाती है यह खेल होता है ब्याज पर पैसे देने का,और यह पैसा बहुत ही ऊँचे ब्याज पर दिया जाता है एक आदमी को शादी के बाद पंद्रह साल तक बच्चा नहीं हुआ| इस पर उसने अपनी सारी कमाई डॉक्टरों पर लगा दी, उसके बाद उसको शादी के सोलह साल के बाद एक बच्ची पैदा हुई| पैदा होने में बहुत तकलीफ़ हो रही थी, तो इलाज में क़रीब चार लाख रुपये लगाने थे, अब उसके पास चार लाख रुपये नहीं थे, एक आदमी ने उसे तीन प्रतिशत ब्याज पर उसे चार लाख रुपये दिये| गिरवी उसने कुछ नहीं रखा| केवल भरोसे पर दिया| भरोसे पर दिया गया पैसा बहुत सारे ब्याज का होता ही है| यानी बारह हज़ार रुपया तो उसका ब्याज ही आ रहा था| अब उस बच्ची के बाप के पास दो ही बातें थीं या तो बच्ची को मरने दूँ या फिर चार लाख रुपये देकर बच्ची को पैदा करूँ| बाप ने सोचा कि बेटी पैदा हो रही है, पैदा होने के बाद भी मेरा सारा जीवन उसको पालने-पोसने और उसकी शाद

आज भोजन से बढ़कर ख़र्च तो बच्चों की पढ़ाई में आ रहा है

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 6  आज भोजन से बढ़कर ख़र्च तो बच्चों की पढ़ाई में आ रहा है, इसलिए अपनी जान बचाने के लिए बच्चों को कम फ़ीस के सरकारी स्कूलों में पढ़ाना बेहद ज़रूरी हो गया है, वरना घर चलना बहुत ही मुश्किल होता चला जा रहा है, बचत तो बहुत दूर की बात है  आज का आम इंसान ही नहीं अमीर इंसान भी मर-मरकर जी रहा है| ग़रीब आदमी को बच्चे की हज़ार रुपय की फ़ीस देना जान पर आ रहा है तो अमीर को अपने बच्चे को डॉॅक्टरी की पढ़ाई में बच्चे पर पचास लाख रुपया देने के लिए दम फूल रहा है| पढ़ाई आज सभी का सिरदर्द बनकर रह गयी है| असल में एक पूरी की पूरी गहरी साज़िश चल रही है कि आपके दोस्त ही आपसे कहते हैं कि बच्चे को महँगे स्कूल में पढ़ाओ नहीं तो बच्चे का जीवन बर्बाद हो सकता है| रिश्तेदार भी यही कह रहे हैं और यही कर रहे हैं| जिससे सभी का जीना बुरी तरह से हराम हो गया है| आज भोजन, पेट्रोल और पढ़ाई में लगभग एक समान का ख़र्च आ रहा है| आज से तीस साल पहले तो लोग अपने बच्चों की पढ़ाई पॉंच रुपया दस रुपया बीस रुपया या बहुत हुआ सौ रुपये महीने की फ़ीस में पूरी हो जाया करती थी| तब दस हज़ार की तनख़्वाह माता पिता की न

तीन चार या छह भाई जिस घर में होते हैं उस घर बहुत बदनामी होती है

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 5  तीन चार या छह भाई जिस घर में होते हैं उसमें से दो या तीन भाई की बहुत ही बदनामी होती है, बाक़ी का एक भाई हर रिश्तेदार के पास घूम-घूमकर अपने भाईयों की बुराई करके झंडे पर चढ़ा रहता है और बहुत इज़्ज़त पाता है, लेकिन भगवान सभी को न्याय देते हैं, बदनाम भले ही कोई किसी को कर ले तीन या चार या सात भाई किसी घर में होते हैं तो भ एक दो भाई को पैसा कमाने में बहुत कमज़ोर बना देते हैं| लेकिन उनसे शरीर और दिमाग़ की बहुत सारी मेहनत करवा लेते हैं| आजकल घर में उसी भाई की इज़्ज़त होती है जो आजकल के ज़माने में पैसा ज़्यादा कमाने वाला भाई होता है, और वह अपने कमज़ोर भाईयों पर हावी बुरी तरह से हो जाता है| मगर कमज़ोर भाईयों की बीवियॉं बड़ी ही होशियार होती हैं, वह अपने कमज़ोर पतियों को सम्मान दिलाने की पूरी कोशिश करती हैं|गवान ही क्या करते हैं कि दो भाईयों को पैसा कमाने में बहुत ही होशियार बना देते हैं| बाक़ी

रिश्तेदारी को ठीक से निभाना हो तो पैसा नहीं उसका व्यवहार देखना चाहिए

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी रिश्तेदारी को ठीक से निभाना हो तो पैसा नहीं उसका व्यवहार देखना चाहिए और सामने वाले से किसी तरह की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, मगर सच कहा जाय तो ऐसी रिश्तेदारी तो बस दिखावे की रिश्तेदारी हो जाती है, सच में कहॉं गयी वो रिश्तेदारी जिसमें सच्चाई और समर्पण था, और रिश्तेदारों पर पैसा लुटाया जाता था रिश्तेदारी का आजकल पहला उसूल हो गया है कि मैं अपना पैसा किसी को नहीं दूँगा| चाहे कोई भी रिश्तेदार मरता है मर जाय मगर मैं अपना पैसा किसी को नहीं दूँगा| रिश्तेदारी में अगर कोई भी इस तरह से सोचता है तो वह रिश्तेदारी खोखली होती चली जा रही है| पहले क्या था कि देवर, भाभी को साड़ी लाकर देता था| मामा, भानजे को कपड़े लेकर देता था| भाई अपने भाई को त्योहारों पर कपड़े दिया करता था| अब यह चलन पूरी तरह से बंद हो गया है| यह चलन रिश्तेदारों में दोबारा शुरू होना चाहिए| एक रिश्तेदार दूसरे को कपड़े देता है तो रिश्ते में नज़दीकियॉं बढ़ जाती हैं| ऐसा होने से रिश्तेदार एक-दूसरे से मोहब्बत से बात किया करते हैं| नहीं तो किसी भी रिश्तेदार ने दूसरे किसी रिश्तेदार को कपड़े नहीं दिये तो दोनों एक-दू

आजकल के माता-पिता बहुत ही ईमानदार हैं लेकिन उनके बच्चे ईमानदार नहीं

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 3 आजकल के माता-पिता बहुत ही ईमानदार हैं लेकिन उनके बच्चे उतने ईमानदार नहीं, या नहीं तो बच्चे भोले होते हैं क़र्ज़ के चक्कर में पड़ जाते हैं, क़र्ज़ देने वाला बच्चे के पिता से कहता है कि आपके बेटे ने मेरे से क़र्ज़ लिया है तो पिता कहता है उसे मार डालो, क्या ऐसा करना ठीक है  पुराने ज़माने के लोग बहुत ही ईमानदार होते थे, एक पैसे का किसी से क़र्ज़ नहीं लिया करते थे| रूखी रोटी खा लिया करते थे, अचार से खा लिया करते थे, दाल या सब्ज़ी बनाये बिना खा लिया करते थे, लेकिन किसी से क़र्ज़ नहीं लिया करते थे| बहुत ही ईमानदार लोग थे, कई किलोमीटर पैदल चलकर पैसे बचाया करते थे| तीन-तीन बस बदलकर घर आया-जाया करते थे| नौकरी भी बहुत ही ईमानदारी से किया करते थे| रिश्‍वत कभी भी नहीं ली| अपने मालिक के सामने आज्ञाकारी बने रहते थे| एक ही कंपनी में काम करते थे, और वहीं से रिटायर होकर निकला करते थे| हरकोई पहले ईमानदारी की मिसाल हुआ करते थे|

बहू कमाने वाली नहीं गृहिणी लाइये

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 2 फिर एक बार समय आ गया है कि अगर आपके पास पैसा अच्छा-ख़ासा है तो घर की बहू कमाने वाली नहीं गृहिणी लाइये, इससे घर में शांति रहेगी और किसी की सेवा करनी हो तो बहू ही काम आती है, बहू को कार चलाना सिखाइये इससे आपके ड्राइवर के दस हज़ार रुपये बच जाएँगे एक परिवार में एक माता-पिता हैं| दो बच्चे हैं| उनके पास एक इंडिपेंडेंट मकान है| जिसकी  क़ीमत साठ लाख रुपये हो चुकी है| उनके पास तीस रुपया भी फ़िक्ट डिपॉज़िट है| परिवार के पिता ने अपने बेटे को एमबीए करवाया है| उस बेटे को तीस हज़ार रुपये की नौकरी मिल चुकी है| उन्होंने जब अपने बेटे के लिए रिश्ता देखा तो साफ़-साफ़ कह दिया कि हमें बहू चाहिए जो घर संभाल ले, वह नौकरी नहीं भी करेगी तो चलेगा| सुंदर और सुशील लड़की चाहिए|

अपने बच्चों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाइये

महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 1   अपने बच्चों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाइये, लाखों के सपने देखने में मॉं-बाप अपना सारा जीवन बर्बाद कर रहे हैं, मॉं-बाप की कमाई ४० हज़ार है तो बच्चे की ३५ होनी चाहिए, लोग बच्चों के लिए तीस लाख पढ़ाई में डाल रहे हैं  पहले के पुराने लोगों की तनख़्वाह इतनी ज़्यादा नहीं होती थी, १९७० से लेकर १९९० तक लोगों की तनख़्वाह पॉंच सौ रुपये से लेकर बस केवल तीन हज़ार रुपये तक ही हुआ करती थी| और आज ये पुराने लोग महसूस करते हैं कि तभी का जीवन बहुत ही सुंदर हुआ करता था| कमाई कम थी इच्छाएँ तो बहुत ही कम थी लोग स्कूल का ड्रेस पहनकर ही शादियों में चले जाया करते थे| एक ही थान में परिवार के सारे बच्चों के कपड़े सिला दिया करते थे|

विराट कोहली ने पॉंच देशों को लगातार हराया है

विराट कोहली ने पॉंच देशों को लगातार हराया है  और इस बार तो भारतीय टीम के सदस्य बदलने के बाद भी लगातार जीत का सिलसिला जारी रखा है, यह एक सर्वश्रेष्ठ कप्तान की विजय यात्रा का बहुत बड़ा पड़ाव है इसे परीकथा कहिये, या फिर ऐसे परिभाषित कीजिए कि क़िस्मत से विराट कोहली अपने जीवन का श्रेष्ठतम क्रिकेट खेल रहे हैं| इसके पीछे एक पुख़्ता कारण उनका अथाह संयम बल्लेबाज़ी करते समय दिख रहा है| जो गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ और लक्ष्मण की याद दिलाता है| ऍाफ़ स्टंप के दस इंच बाहर की गेंद से उन्हें परहेज़ है, लेकिन कभी-कभार वे उस गेंद को भी खेल जाते हैं| अंग्रेज़ी बल्लेबाज़ों की तरह वे हुक और पुल शॉट खेल जाते हैं जिससे कि भारतीय बल्लेबाज़ समय-समय पर खेलने से आनाकानी किया करते थे| फ़िलहाल वे अपने बहुत अच्छे समय से गुज़र रहे हैं| उनका कप्तानी के रूप में तुरुप का इक्का अश्‍विन रहे हैं| और वो न चलें तो सर जडेजा, जयंत में लगातार बदलाव करते रहते हैं| भारतीय कप्तान विराट कोहली के रूप में क्रिकेट की एक नयी बौछार आयी है, एक बेहद ख़ुशनुमा और माहौल को महकाने वाला अति उत्तम क्षेत्ररक्षक, कप्तान, बल्लेबाज़ आया है जो उन जैसा कमज़

आम आदमी तो चार चीज़ों से प्रताड़ित है- महँगाई, स्कुल की फ़ीस

आम आदमी तो चार चीज़ों से प्रताड़ित है-महँगाई, स्कूल-कॉलेज की फीस , पेट्रोल के दाम, इलाज पर ख़र्च, इससे भी मोदीजी निजात दिला दें तो हम उनका उपकार मानेंगे   नोटबंदी के बाद अब, आज़ादी के सत्तर साल के बाद ऐसा पहली बार लग रहा है कि हम आज़ाद भारत में सॉंस ले रहे हैं| लाईन में खड़े होकर हमने भी देश के लिए कुछ कर दिखाया है, ऐसा लग रहा है,  जैसे एक महायुद्ध होने के बाद जनता कैसे अपने नये देश को बनाने में लग जाती है, उसी तरह की अनुभूति हो रही है| बैंकों में क़रीब दस लाख करोड़ जमा होने के बाद ऐसा लग रहा है कि हमने अपने लिए कुछ पैसा हासिल कर लिया है|  पहली बार ऐसा लग रहा है कि ग़रीबों के लिए मुफ़्त में घर बनेगा, ग़रीबों को दो वक़्त की सम्मान की रोटी मिलेगी| मेरा भारतवासी ग़रीब, जो ग़रीब आजकल विदेशी बैंकों की फुटपाथ पर सोता था, उस ग़रीब को  पुलिस उसे वहॉं से हटने तक लगातार डंडे मारा करती थी, उस तरह के दिल दहला देने वाले दृश्य ग़रीबों को लेकर अब देखने को नहीं मिलेंगे, और ईश्‍वर से प्रार्थना है कि वैसे ग़रीबों के लिए दृश्य अब मोदीजी हमें न दिखाएँ तो उनका लाख-लाख शुक्र होगा|  उस ङ्गु

पिछले तीन साल से हिंदी बोलने वाला अनपढ़ हीरो ही हिंदी सिनेमा पर राज कर रहा है

पिछले तीन साल से हिंदी सिनेमा में फिर से वही अनपढ़ हीरो जो बिल्कुल पढ़ा-लिखा नहीं है वह राज कर रहा है| २०१४ की फ़िल्म में पीके अनपढ़ है अनपढ़ फ़िल्म के हीरो ने आठ सौ करोड़ कमा लिये हैं| अनपढ़ हीरो सुल्तान यानी सल्लू भाई ने छह सौ करोड़, केवल दसवीं पास बजरंगी भाईजान ने छह सौ करोड़ कमा लिये हैं| और इधर अनपढ़ कपिल शर्मा जिनको अंग्रेज़ी नहीं आती है, वह अंग्रेज़ों से भी, ख़राब अंग्रेज़ी में बात करके साल भर में हिंदी के नाम पर पंद्रह करोड़ रुपया तो टैक्स दे रहे हैं| सो, हिंदी पत्रिका का संपादक होने के नाते आज मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है मैं अपने आपको सातवें आसमान पर महसूस कर रहा हूँ कि भाड़ में गयी अंग्रेज़ी और हिंदी हो गयी है सारी दुनिया की महारानी|  देखिये हमारी हिंदी आज आठ सौ करोड़ रुपया कमा रही है| 

Give support to PM Modi even after Goods and Services Tax

Give support to PM Modi even after GST, why merchants are getting very upset with GST. People are asking their chartered accountant what can be done to get rid of this GST from their lives. People's peace has been completely dissolved. But this is not the only problem with them, their problem is that the poor are getting start up loan? The same thing is happening, that in front of your shop, another shop, like your own shop is open to you, that means that it is your competitor. This is the motive of every trader is that he is the king of the whole market and no one should earn money like him. Because when the government servant dies, the government gives money to him, if the businessman dies or gets bankrupt in the business, then he has no government, god, relative, friend, society, community, nobody is ruined, if he is ruined A procession is taken out, behind his back everyone mocks him relentlessly. He dies a dog's death, otherwise the poor man runs away from his c

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