विराट कोहली ने चेन्नई टेस्ट की जीत बोनस के रूप में दी है


विराट कोहली ने चेन्नई टेस्ट की जीत बोनस के रूप में दी है

विराट कोहली ने चेन्नई टेस्ट की जीत बोनस के रूप में दी है, यानी में तीन जीत पर एक जीत फ्री के रूप में दी है, और इंग्लैंड का दिल बुरी तरह से तोड़ दिया है, यह जीत करुण नायर की तिहरे शतक का तोहफ़ा है
जीत का रोमांच अपने चरम पर आ गया जब भारत ने इंग्लैंड की टीम को हवाई जहाज़ में बैठते-बैठते सम भी बहुत गहरा सदमा दिया| उन्हें जाते-जाते पटख़नी दे दी, चेन्नई टेस्ट में हरा दिया| कल से यही ख़यालात आ रहे थे कि बेचारी इंग्लैंड को सुकून से जाने दिया जाये| लेकिन कोहली के इरादे कुछ और थे, और जो हक्ष होना था वह होकर रह गया|  बड़े आराम से ड्रा होने वाला मैच अचानक ऐसा पल्टी खाया कि इंग्लैंड टीम की नानी याद आ गयी और पॉंच दिन का बेफ़िक्र सा लगने वाला सुस्त मैच आधे से एक घंटे के भीतर इंग्लैंड के लिए काल बनकर आया और भारत के लिए स्वर्ग की फुहार बनकर सामने प्रकट हो गया|



हर विदेशी टीम भारत की हरेक, चौथे और पॉंचवें दिन की पिचों से घबराते हैं, लेकिन इंग्लैंड को चार बार चौथा और अंतिम दिन सौग़ात के लिए टॉस जीतकर मिल चुका था| लेकिन कोहली की पारियों ने और करुण की पारी ने इंग्लैंड को ही चौथे-अंतिम दिन में वीभत्स नृत्य करने पर मजबूर कर दिया|
ये एक सस्पेंस का विषय है कि हरेक पिच के चप्पे-चप्पे से सर जडेजा वाकिफ़ हो जाते हैं यह पूरी प्रक्रिया एक रहस्य से कम नहीं है| उनकी गेंदों को लोग मटकती, बलखाती गेंद कहते हैं जैसे कोई नायिकाएँ अपने बलखाने में नये-नये प्रयोग करती रहती है, उसी तरह की गेंदें, रवींद्र जडेजा की गेंदें कहर बरपा रही हैं| अब लोग भारतीय टीम के दाढ़ी वालों से डरने लगे हैं| के.एल. राहुल, कोहली, मुरली विजय, जडेजा, पार्थिव पटेल, पुजारा, सारे के सारे दाढ़ी वाले बाबा की तरह विश्‍व की पहली नंबर की टीम में एक याद की तरह वे दाढ़ी वाले हो गये हैं| खेल से हटकर अलग-अलग तरह की उपमाएँ इस टेस्ट के साथ जोड़ने का दिल लोगों का बहुत कर रहा है|
इस चेन्नई के अंतिम टेस्ट का क्लाइमैक्स कितना छोटा था, उतना ही बहुत ही ख़तरनाक रहा| अकल्पनीय रहा, अविश्‍वसनीय रहा, जानकार तो मैच के बाद भी कहते रह गये कि करुण नायर ने अपनी बल्लेबाज़ी में किसी तरह की करुणा, दया नहीं दिखाई और तीन सौ रन बनाकर ही दम लिया, जिसके कारण किसी ने नहीं सोचा कि यह टेस्ट भारत जीत पायेगा| विराट ने इंग्लैंड जैसी दूसरे नंबर की टीम को चौथी बार लगातार हरा दिया| क्योंकि पहले टेस्ट में भारत के ही हारने के लाले पड़ गये थे| सो, इस तरह से भारत ने पुराने बदले इंग्लैंड से लेने में काफ़ी हद तक सफ़लता पा ली| ये चेन्नई टेस्ट हम न जीतते तो एक टीस मन में ज़रूर रह जाती|
सर जडेजा ने एक चमत्कार की तरह इंग्लैंड के छह विकेट डेढ़ घंटे में ही गिरा दिये और ताश के पत्तों की तरह इंग्लैंड धराशायी हो गयी| इंग्लैंड की इस तरह की बल्लेबाज़ी देखकर भारत की बल्लेबाज़ी याद आ रही थी जैसे कि भारत के दिग्गज बल्लेबाज़ सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण, सहवाग, गांगुली सारे के सारे पता नहीं क्यों दूसरी पारी में बहुत ही जल्दी आउट हो जाया करते थे| पहली पारी में यही टीम ढाई दिन तक बल्लेबाज़ी करती थी और दूसरी पारी में दो सेशन में ही सिमट जाया करती थी| आश्‍चर्य था ना| उस तरह का जो डर उस तरह की टीम में था, ठीक उसके उल्टे भारत की आज की टीम एकदम लोहे की तरह मज़बूत हो चुकी है| उनके अंत के पुछल्ले बल्लेबाज़ आराम से दो सौ रन तो क्या तीन सौ रन भी बना पा रहे हैं|
इंग्लैंड की टीम तो घबराहट में कभी भी ख़ुश नज़र ही नहीं आ रही थी, क्योंकि उनको पता चल जाया करता था कि भारत के अंत के ७-८-९-१० नंबर के बल्लेबाज़ भी आकर ज़बरदस्त नाक में दम करने वाले हैं ही|
पिछले तीन साल में भारत अगर छठे नंबर से पहले नंबर पर आकर काबिज़ हुआ है तो उसका बहुत सारा श्रेय अश्‍विन के साथ-साथ जडेजा को भी दिया जाना ही चाहिए| फिर इस अभियान में अमित मिश्रा भी कभी आ गये तो अभी-अभी तो जयंत भी मुखर होकर आ गये हैं| दो बार इंग्लैंड चार सौ पार रन बनाकर जीतने की सोचा करती थी, फिर सोचती कि काश हम हार न जाय तो ठीक होगा, फिर अंत का परिणाम उलट ही हो जाता रहा, वे हारते ही चले गये|
मानस पटल पर वे यादें अभी भी ताज़ा हैं जब लॉड्र्स में पहली बार विश्‍व चैंपियन भारतीय टीम २०११ मैदान पर उतरी थी और अपनी २० महीने पार की टेस्ट क्रिकेट की बादशाहत अपने हाथ से खो रही थी, वो हृदयविदारक दृश्य देखकर भारत ही नहीं सारी दुनिया हतप्रभ रह गयी थी, भारत जैसी टीम इतनी बुरी तरह से कैसे हार सकती है, और उन्हें हराने वाले इंग्लैंड की टीम ही थी, ठीक वही मंज़र है इस बार, इंग्लैंड यदि भारत से यहॉं जीत जाता तो इंग्लैंड भी बादशाहत हासिल कर लेता क्योंकि पिछले एक ही महीने में इंग्लैंड दूसरे नंबर पर आ गया था| ख़ैर, इस श्रृंखला की पूरी कहानी दोबारा हम स्मृति में उतारे तो पाते हैं कि इस श्रृंखला को जीतने के लिए भारत ने दिन रात, एड़ी चोड़ी का  ज़ोर लगाया है, तब जाकर यह मुक़ाम हम हासिल कर पाये हैं| कहना ही होगा, यह जीत आसानी से नहीं, बहुत मुश्किल से हासिल हो पायी है|
विराट ने यह जीत बहुत ही मीठी दी है कि भारत के इतिहास के कई खिलाड़ी विराट को दिल से दुआ दे रहे हैं| गावस्कर ने भी १९८१ में इंग्लैंड से १-२ से श्रृंखला हारी थी, इंग्लैंड को भारत जीतना बहुत ही टेढ़ी खीर रहा है, एकबारगी हम ऑस्ट्रेलिया को हरा पाते हैं लेकिन इंग्लैंड को हरा पाना बहुत मुश्किल हो जाया करता है| इंग्लैंड हमें हराने के लिए पूरा ज़ोर लगा देता है, १९८७ के विश्‍वकप में भी इंग्लैंड की टीम ने भारतीय टीम को हमारे देश में आकर भी हरा दिया था|
विराट कोहली की यह जीत बहुत कड़वी हारों के बाद एक गर्मी के मौसम में ठंडे पानी की फुहार की तरह महसूस हो रही है| दो टेस्टों में पारी के साथ हराने के कार्य भारत ने करके भारत की शान को बहुत ऊँची कर ली है| यह श्रृंखला इंग्लैंड के लिए एक दुःस्वप्न की तरह भूल जाने से कम नहीं है| और कोहली उनके लिए एक कॉंटे की तरह चुभने वाले बल्लेबाज़ रहे हैं यह बात निःसंकोच कही जा सकती है|
कोहली की कप्तानी में कुछ तो बहुत ख़ास है कि उनका हरेक खिलाड़ी कुछ कर गुज़रने की तमन्ना पाल रहा है, उसमें उसको सफ़लता भी मिल रही है, जो भारत के लिए बहुत ही अच्छा संकेत दिखाई दे रहा है|  

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