बहू कमाने वाली नहीं गृहिणी लाइये
महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 2
फिर एक बार समय आ गया है कि अगर आपके पास पैसा अच्छा-ख़ासा है तो घर की बहू कमाने वाली नहीं गृहिणी लाइये, इससे घर में शांति रहेगी और किसी की सेवा करनी हो तो बहू ही काम आती है, बहू को कार चलाना सिखाइये इससे आपके ड्राइवर के दस हज़ार रुपये बच जाएँगे
एक परिवार में एक माता-पिता हैं| दो बच्चे हैं| उनके पास एक इंडिपेंडेंट मकान है| जिसकी क़ीमत साठ लाख रुपये हो चुकी है| उनके पास तीस रुपया भी फ़िक्ट डिपॉज़िट है| परिवार के पिता ने अपने बेटे को एमबीए करवाया है| उस बेटे को तीस हज़ार रुपये की नौकरी मिल चुकी है| उन्होंने जब अपने बेटे के लिए रिश्ता देखा तो साफ़-साफ़ कह दिया कि हमें बहू चाहिए जो घर संभाल ले, वह नौकरी नहीं भी करेगी तो चलेगा| सुंदर और सुशील लड़की चाहिए|
जब लड़की की शादी तय हुई तो लड़की वाले बहुत ही ख़ुश हो गये| उन्होंने एक नया काम किया और एक दिन अपने ख़ानदान के चालीस लोगों को लेकर लड़के वाले के पास चले गये और कहा कि आप लोगों ने बहू से कुछ भी काम नहीं करवाने का जो फ़ैसला लिया है, वह बहुत अच्छा है| बहू अगर घर ही संभाल ले तो बहुत अच्छा होता है| आपकी बिरादरी में और भी कोई लड़कियॉं हों तो बताइये हम भी गृहिणी लड़कियों को ही अपने घर में लाना चाहते हैं| तब लड़के वालों ने कहा कि हमारे पास तो सभी लड़कियॉं नौकरी ही करना चाहती हैं सभी कुछ न कुछ बनना ही चाहती हैं| तब किसी ने कहा कि पति की पत्नी बनना और ससुराल का घर शांति से चलाना यह भी तो बहुत बड़ा काम होता है| सबसे बड़ी बात यह होती है कि एक बहू गृहिणी हो जाती है तो सारा परिवार उस बहू के सहारे बहुत अच्छा जीवन जी लेता है| अगर घर की औरत बाहर चली गयी तो उसके बच्चे भी अपना ही जीवन जी लेते हैं| घर में किसी तरह का अनुशासन ही नहीं रह जाता है| घर के बुज़ुर्ग कहीं बाहर खा लिया करते हैं| पति भी बाहर का भोजन करके अपनी तबीयत बिगाड़ लेता है, पहले उसे एसिडिटी हो जाती है, फिर बीपी हो जाता है, फिर शुगर हो जाती है| घर का भोजन सबसे अच्छा होता है और सप्ताह में दो दिन बाहर का भोजन करने से तबीयत पर ज़्यादा बुरा असर नहीं होता है| बहू के सहारे रहने से सबसे बड़ा काम यह हो जाता है कि घर के बुज़ुर्गों को अकेलापन महसूस नहीं होता है| बहू को बुलाओ तो वह दौड़ी चली आती है| इसका मतलब यह नहीं कि बहू नौकरानी हो गयी, बल्कि वह सास-ससुर की माता हो जाती है| बूढ़ी उम्र में बूढ़ों को बच्चों की तरह देखना होता है| हर आधे घंटे में उन्हें किसी न किसी की ज़रूरत पड़ती रहती है|
घर के बच्चे या बड़े बीमार हों तो गृहिणी लगातार दो-दो दिन तक रात को जाग सकती है| नौकरी करने वाली एक रात जाग जाती है तो उसे आगे जाकर बड़ी बीमारी हो जाती है| बहू गृहिणी रही तो सास को किचन में बहुत सारी मदद हो जाती है| सास को पहली बार लगता है कि अब तो दिन-रात किचन में ड्यूटी नहीं करनी है| खाना बनाने की रोज़ की किटकिट नहीं रहती है| सास समझती है कि अब तो वह रानी की तरह रह सकती है|
ऊपर तय हुई शादी तय होने के बाद कहा गया कि लड़की का काम है दिन और रात का भोजन बनाना और सारा घर संभालना और साठ साल के हो चुके माता-पिता की देखभाल करना| इतना कहते ही लड़की को तो बहुत अजीब सा लगा कि वही ओल्ड फ़ैशन घराना है| लेकिन माता-पिता ने समझाया कि तुम इसी में बहुत सुखी रहोगी| जैसे औरत को रहना चाहिए| उसी तरह तुम रह पाओगी| और यह बात सच भी निकली, उसकी शादी होने के बाद,लड़की को दिनभर काम ही नहीं रहता था| जबकि वह शोरूम में जब काम करती थी और दो दिन कोई ग्राहक को आकर्षित नहीं कर पाती थी तो कंपनी के लोग उसे नीची नज़र से देखा करते थे और रोज़ाना जब वह ड्यूटी पर चढ़ती थी तो उसे बहुत सारी बातें सुनायी जाती थीं| उसका जो बॉस था उसे बुरी नज़र से देखा करता था| लड़की अब जब गृहिणा बन चुकी है, यह मन ही मन सोचने लगी कि यहॉं ससुराल में तो किसी भी तरह का टेंशन है ही नहीं| यही जीवन बहुत अच्छा है|
ख़ासकर के सास-ससुर लड़की के व्यवहार से बहुत ही ख़ुश थे, लड़की ख़ामोश क़िस्म की लड़की थी, सुबह उठते ही कुकर में दाल चावल सब्ज़ी एक साथ चढ़ा दिया करती थी| नाश्ता भी बना दिया करती थी| कभी इडली, दोसा, वड़ा, उपमा, ढोकला आदि| वह रोज़ाना रेसिपी की किताबें पढ़ा करती थीं| धीरे-धीरे उस लड़की को एहसास होने लग गया कि बाहर की दुनिया में सचमुच कितना शोर हो चुका है| लोगों के पास तेरह घंटे काम करने के बाद किसी भी तरह का समय ही नहीं रह जाता है| औरत पैसे से ताक़तवर तो हो चुकी है| लेकिन औरत के पास जो संयम होना चाहिए, वह ख़त्म हो चुका है|
अब लोग यह सोचने लग गये हैं कि घर को घर बनाकर रखा जाए या फिर लॉज की तरह रखा जाए, जिसमें सुबह घर को ताला पड़ जाता है| सभी कमाने को चले जाते हैं| घर आकर दरवाज़ा खोलो तो कोई ऐसी स्त्री नहीं होती है जो मुस्कुराकर आपका स्वागत करे| चाहे वह घर की माता हो या घर की बहू हो| कोई सुबह छह बजे नौकरी को भाग रहा है| कोई रात सात बजे ऊँघता हुआ नौकरी पर चढ़कर सुबह आठ बजे नौकरी से लौट रहा है|
जिन लोगों ने अपना घर बना लिया है| और जिन लोगों के पास तीस लाख रुपये हैं, वे लोग तेज़ी से सोच रहे हैं कि अब हम अपनी बहू को गृहिणा ही बनाएँगे और बेटे को कम तनख़्वाह में ही नौकरी करवाएँगे| और चाहेंगे कि हमारे आस-पास ही हमारी बहू रहे| जो बहुएँ हैं| उन्हें आजकल किटी पार्टी का चस्का लगा हुआ है| किटी पार्टी में भी कोई साड़ियॉं बेचता है,तो कोई कुछ करता रहता है| किटी पार्टी भी अब बिज़नेस सेंटर बन गये हैं| उन्हें भी किसी न किसी तरह की रोज़ाना स्कीम बतायी जा रही है| और किटी पार्टी से ही लोगों के घरों में झगड़े हो रहे हैं| यह सब भी भारत की संस्कृति में नहीं आता है| वहॉं पर भी नाच-गाना होता है, सो,अब लोग किटी पार्टी से भी उकता रहे हैं|
अब आते हैं बाहर की दुनिया में| बाहर लड़कियों को लेकर बहुत ही शोर मचा हुआ है| लगता है जैसे लड़कियों का बाज़ार हो गया है, जहॉं लड़की की क़ीमत लगाती जा रही है| लड़की ख़ुद अपनी ही क़ीमत लगा रही है कि मेरा पैकेज चार लाख का है और मुझे चाहिए छह लाख या आठ लाख के पैकेज का लड़का| लड़का अगर अमेरिका या लंदन जाना चाहता है तो और भी ख़ुशी की बात है| और अंत में वे विदेश चले जाते हैं वहॉं पर दोनों नौकरी करते-करते थक जाते हैं, थकते हैं तो किसी और से प्यार करने लग जाते हैं, पर पुरुष और पर नारी में उन्हें ज़्यादा मज़ा आने लगता है| थक कर लड़ते हैं और लड़कर तलाक़ ले लिया करते हैं| आज हर ख़ानदान में आज हर दूसरे का तलाक़ होता ही चला जा रहा है| मारना-पीटना पढ़े-लिखे लोगों के घरों में चल रहा है| यह सब लड़की के नौकरी करने से ही हो रहा है| यह तभी रुकेगा जब हम गृहिणी को ब्याह कर ले आएँगे|
गृहिणी हो तो घर की कार भी चला लेती है| कार चलाने में भी आजकल बहुत टेंशन हो जाती है| पति नौकरी से थक-हार कर आता है तो वह कार चलाने लायक़ नहीं रह जाता है| इसलिए घर की बहू कार चला लेती है तो पति और ससुर का टेंशन ख़त्म हो जाता है| आजकल नये ज़माने में हरेक के पास कार हुआ करती है, तो बहू ये कार का काम बहुत ही मज़े से कर सकती है| लेकिन इससे ज़्यादा काम बहू से नहीं लेना चाहिए| क्योंकि वह कार चलाकर आपको महीने का दस हज़ार रुपया तो बचा ही रही है| सो, बैठे बिठाये एक फ़ोकट की नौकरानी मिल जाती है|
वरना आजकल तो घरों का यह हाल हो गया है कि कोई घर में बीमार हो गया है तो उनको दवा पिलाने वाला कोई नहीं रह गया है| तेज़ क़दमों से उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं रह गया है| कोई बाहर जाकर दवा लाने वाला कोई नहीं रह गया है| घर के पोते तो पढ़ने-लिखने में ही रहते हैं| आजकल पढ़ना यानी दिन के दस घंटे तो पढ़ाई में ही चले जाया करते हैं| तो वे बूढ़ों की सेवा कहॉं से करेंगे| मगर नयी बहुओं को आराम देने की भी ज़रूरत है, वह अगर दिन के दो या चार घंटे आराम कर लेती हैं तो उसकी बैटरी रीचार्ज हो जाती है| तभी वह तेज़ी से काम कर पाती है| नहीं तो वह भी बहुत चिड़चिड़ी हो जाती है| जब उसका महीना चलता है तो उससे कम ही काम लेना चाहिए| नहीं तो वह हंगामा कर दिया करती है| तब उससे कार भी नहीं चलवानी चाहिए| वह किटकिट करने लग जाती है| बहू आ गयी इसका मतलब यह नहीं कि नौकरानी आ गयी है| वह सुबह का नाश्ता बनाती है तो उसे आधे घंटे का आराम करने देना चाहिए| फिर बारह बजे दोपहर का भोजन बनाने के बाद उसे दो घंटे आराम देना चाहिए| इस तरह हर काम के बाद आराम देने से ही बहू की तबीयत और दिमाग़ दोनों ठीक रहते हैं|
सास और बहू का तालमेल बैठना बहुत ज़रूरी है, पहले की सास बहुत काम किया करती थी इसमें कोई शक नहीं लेकिन तब सास को अपने बच्चों को होमवर्क या दूसरे काम नहीं रहते थे| बच्चों को पढ़ाना आज की सबसे बड़ी सिरदर्दी हो चुकी है, अगर नये ज़माने की बहू बच्चों को पढ़ाने या ट्यूशन लाने ले जाने का काम करती है तो उस बहू को ज़्यादा आराम देने की ज़रूरत होती है| बच्चों के साथ बैठकर होमवर्क करवाती है तो वह भी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है|
लोग समझते हैं कि गृहिणी बहू को आजकल कुछ काम नहीं होता है, जबकि गृहिणी बहू को भी ढेर सारे काम होते हैं| वह दो दिन भोजन नहीं पकाती तो सारे घर वालों की हेकड़ी निकल जाती है| बहू घर की बहुत ही बड़ी संपत्ति होती है, वह पति का टेंशन दूर भगाने का सबसे बड़ा काम करती है| पति जब घर को आता है तो वह काम के तनाव में रहता है, उसके साथ गृहिणी ही बहुत अच्छा व्यवहार कर सकती है, उसके टेंशन को दूर भगाती है| तब पति कहता है कि अपना घर है स्वर्ग से सुंदर| नहीं तो नये ज़माने के घर को या तो लॉज हो गये हैं या नहीं तो लड़ाइयों का अड्डा बनकर रह गये हैं| लोग आजकल घर से दूर ही रहना चाहते हैं| यारों-दोस्तों में समय बिताकर वे रात को बारह बजे घर आना पसंद करते हैं|
औरत ही संसार को चलाती है और संसार की संख्या बढ़ाती है| औरतों को बच्चा होना तो जीवन का सबसे बड़ा काम होता है| उसके बाद तो उसका नया जन्म होता है| आज साइंस ने कितनी ही प्रगति कर ली हो, लेकिन औरत का बच्चे को जन्म देना आज भी बहुत ही तकलीफ़देह होता है| सच कहा जाता है औरत चंगी रहती है घर में लक्ष्मी आती है, नहीं तो घर में लक्ष्मी नहीं दरिद्रता आती है| औरत मन में संयम भरने का सबसे अच्छा साधन होती है, क्योंकि उसे भगवान की पूजा में सभी कहानियॉं याद रहती हैं और इन्हीं कहानियों से जीवन में शांति और संयम आता है| तो आज से प्रण कर लीजिए कि हम अपने घर में अगर आपके पास पैसा हो तो गृहिणी ही लाएँगे, कमाऊपूत बहू नहीं लाएँगे| जो झगड़ालू और चुड़ैल हो|
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