विराट कोहली ने पॉंच देशों को लगातार हराया है

विराट कोहली ने पॉंच देशों को लगातार हराया है  और इस बार तो भारतीय टीम के सदस्य बदलने के बाद भी लगातार जीत का सिलसिला जारी रखा है, यह एक सर्वश्रेष्ठ कप्तान की विजय यात्रा का बहुत बड़ा पड़ाव है

इसे परीकथा कहिये, या फिर ऐसे परिभाषित कीजिए कि क़िस्मत से विराट कोहली अपने जीवन का श्रेष्ठतम क्रिकेट खेल रहे हैं| इसके पीछे एक पुख़्ता कारण उनका अथाह संयम बल्लेबाज़ी करते समय दिख रहा है| जो गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ और लक्ष्मण की याद दिलाता है| ऍाफ़ स्टंप के दस इंच बाहर की गेंद से उन्हें परहेज़ है, लेकिन कभी-कभार वे उस गेंद को भी खेल जाते हैं| अंग्रेज़ी बल्लेबाज़ों की तरह वे हुक और पुल शॉट खेल जाते हैं जिससे कि भारतीय बल्लेबाज़ समय-समय पर खेलने से आनाकानी किया करते थे| फ़िलहाल वे अपने बहुत अच्छे समय से गुज़र रहे हैं| उनका कप्तानी के रूप में तुरुप का इक्का अश्‍विन रहे हैं| और वो न चलें तो सर जडेजा, जयंत में लगातार बदलाव करते रहते हैं| भारतीय कप्तान विराट कोहली के रूप में क्रिकेट की एक नयी बौछार आयी है, एक बेहद ख़ुशनुमा और माहौल को महकाने वाला अति उत्तम क्षेत्ररक्षक, कप्तान, बल्लेबाज़ आया है जो उन जैसा कमज़ोर नहीं जैसे कि गांगुली, सचिन, धोनी अपनी कप्तानी में बल्लेबाज़ी में कहीं न कहीं पिछड़ जाया करते थे, ये सारे कप्तान कभी बल्लेबाज़ी में कमज़ोर थे, कभी क्षेत्ररक्षण जमाने में, कभी गेंदबाज़ी बदलाव में, इन सारी कमियों के साथ एक साथ पार पाने का जो हुनर विराट कोहली ने पाया है|
वह कम से कम भारतीय कप्तान में कभी-कभार ही देखने को मिला है| और विराट पिछली पॉंच श्रृंखलाओं में लगातार यही दावा पेश करते चले आ रहे हैं| जीत की गंध मिलते ही विपक्षी टीम पर झपट्टा मारना उन्हें धोनी की तरह ही आता है| वे यह हुनर धोनी से ही सीख पाये हैं ऐसा वे गाहे-बगाहे ज़रा-सा अलग तरह से कहते फिरते रहे हैं| कोहली की सदारद में अश्‍विन ने बड़ी मछलियों का शिकार बहुत ही आसानी से किया है| और जब अश्‍विन एंड कंपनी ने ज़रा सा पिछड़ते हुए इंग्लैंड को चार सौ पर रोक पाया तो कोहली ने छह सौ पार रन बना डाले| मैं रनों की कमाल संभालता हूँ तुम विकेट लेने का मोर्चा संभालो, इस तरह की अनुपम जुगलबंदी के साथ भारतीय क्रिकेट इतनी तेज़ी से आगे निकल चुका है, यह पलक झपकते हुए भी किसी ने नहीं सोचा था| बहुत ही धमाकेदार, शानदार और जानदार जुनून के साथ खेली जाने वाली यह श्रृंखला भारत की जीत की कहानियॉं तो लिख रही हैं लेकिन इंग्लैंड के हौसले जिस तरह से पस्त होते चले गये, उससे यह श्रृंखला बस औपचारिकता की कगार पर पहुँच गयी है, और कुक भारत को लगातार तीन बार ध्वस्त करने के बाद अब भारत से हार की बहुत ही कड़वी गोली का स्वाद रच रहे हैं| स्ट्रॉस-कुक ने २०११ में भारत को बादशाहत से नीचे की पायदान पर लाने का महान कार्य किया था| तो इधर २०१६ में विराट कोहली उसी बादशाहत को स्थापित करने का आलादर्जे का काम उसी कुक को परास्त करके किया है| जो भी हो कुक जीत और हार के साक्षी रहे हैं| क्योंकि वे २०१२ और २०१४ के लिए भारत के लिए डिमॉलिशन मैन रहे हैं|
लोग-एक दूसरे से पूछते रहते है कि विराट में जो लगातार जीतने की आग आयी है वह कहॉं से आयी है| लोगों को अचंभा इस बात का हो रहा है कि एक निराला कप्तान दुनिया में पहली बार आया है जो अपनी टीम में लगातार छह से आठ बदलाव देख रहा है, फिर भी भारतीय टीम की जीत का सिलसिला बहुत ही इत्मिनान से सतत जारी है| उनके पास इस बार पहले टेस्ट के बाद गंभीर, रहाने, के.एल. राहुल, अमित मिश्रा, शमी, साहा टीम से हट-हटा दिये जाते हैं, उसकी जगह ऐसी टीम के सदस्य आते हैं जिसमें जयंत को छोड़कर कोई भी असर नहीं छोड़ते हैं उस टीम में पार्थिव पटेल, भुवनेश्‍वर कुमार, करुण नायर,दोबारा के.एल. राहुल भर्ती के तौर पर लिये जाते हैं, या फिर वे भर्ती के खिलाड़ी जैसे साबित हो जाते हैं| और कुछ ख़ास कर भी नहीं पाते हैं फिर भी वह लगभग बी टीम लगने वाली भारतीय टीम, इंग्लैंड जैसी एक तगड़ी टीम से ३-० से जीत पड़ती है| सो, बहाना बहुत अच्छा था, कोहली के पास कि टीम हार गयी चूँकि हमारी टीम बी दर्जे की हो गयी थी, लेकिन कोहली के शब्दकोष में बहाने नहीं चलेंगे यह मोटे अक्षरों में लिखा रहा होगा| और कोई भी नहीं तो मैं यानी विराट कोहली और अश्‍विन हैं, यह ललकार भी कहीं न कहीं उनके शब्दकोष में अंकित होगी ही| ये कुछ जज़्बे रहे हैं जिसकी वजह से टीम जीत की भूख, भूख से भी बढ़कर, एक अलग ही तरह की भूख को दर्शाती है, और छह टीम के सदस्य बदले चुके हों फिर भी तगड़ी टीम से हम जीत पाये, ऐसा इतिहास में टटोलकर देखना होगा कि ऐसा कब हो पाया था|  वैसी टीम को लेकर चलने का जो दमख़म कोहली ने दर्शाया है, वह कहा जा सकता है कि ऐसा भारतीय क्रिकेट में कभी देखा सुना नहीं गया है| और यह निःसंकोच पहली बार हो रहा है कि अनजानी टीम के साथ हर इंग्लैंड जैसी कच्चा चबाजाने वाली टीम को हम ३-० से हरा पाये हैं वरना दो सदस्य चोंटिल होते ही सारी दुनिया की टीमें छटपटा-तिलमिला बढ़ जाया करती है| इस बात के लिए विराट आज ही नहीं सारा जीवन भर सराहे जाएँगे और इस श्रृंखला को इतिहास में इस आधार पर एक अचंभे की तरह देखा जायेगा|
किसी को शक नहीं होना चाहिए कि कुक को इंग्लैंड जाने के बाद माफ़ तो कर दिया जायेगा लेकिन उनकी कप्तानी पर ज़रूर तलवार लटकी होगी| किसी को इस बात में रत्ती भर शक भी नहीं होना चाहिए कि इस बार की भारतीय पिचें बहुत ही अच्छी और सच्ची और सभी के लिए कुछ न कुछ लेकर आयीं थीं| पाकिस्तान के सकलेन जो एशियन पिचों पर खेलन-खिलाने के अतीत में सिद्धहस्त खिलाड़ी रहे हैं, उनको स्पिन की कमान सौंपी गयी थी| पासा पलट भी सकता है| इंग्लैंड के गेंदबाज़ों की गेंदें भी पूरी तरह से घूम भी रही थीं| मौक़ा दोनों को बराबरी का हामिला हुआ था, लेकिन कोहली ने ठीक ही कहा कि इंग्लैंड और हममें संयम और जुझारूपन का फ़र्क था, जिसमें हम आगे निकल गये और वे पीछे रह गये|  बेशक तौर पर २०१४ की श्रृंखला जो भारत हारा था २-१ से उसे इंग्लैंड के एलिस्टर कुक की बल्लेबाज़ी की एहसानमंदी और मान्टी पनेसर की गेंदबाज़ी की शुक्रगुज़ारी से नवाज़ा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी और इधर इस बार उसी तरह का श्रेय अगर कोहली की अथाह संयम की पारियों और अश्‍विन की आग उगलती गेंदबाज़ी से भरपूर सजाया जाय तो  ज़्यादती नहीं होगी| ग़ौरतलब है कि हमने भी इंग्लैंड को कपिलदेव की कप्तानी में एक बार उन्हीं के घर में जाकर उन्हें २-० से हराया भी था|    
और इधर क्रिकेट को जुनूनी हद तक खेलने को जज़्बा जिस तरह से विराट कोहली में देखा जा रहा है| वह इस बात से पहचाना जा रहा है कि वे अपनी टीम में छह खिलाड़ी बदल जाने से नहीं डर रहे हैं| बल्कि सभी से सामने यही मिसाल पेश कर रहे हैं कि सबसे अधिक रन वे ही बना सकते हैं और अकेले अपने दमख़म पर टीम को जीत दिला सकते हैं| लगातार पॉंच श्रृंखलाएँ जीतकर विराट कोहली भारत के सबसे सफ़ल कप्तान बन चुके हैं| अब यहॉं से जितनी भी श्रृंखलाएँ जीतते जाएँगे एक नया रिकॉर्ड बनाते चले जाएँगे| भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के जीवन को बहुत ही सुंदर और इत्मिनाना बनाने में विराट कोहली ने बहुत कुछ किया है|
इस जीत के साथ कोहली अब भारतीय कप्तानी के बुद्धिजीवी वर्ग में पूर्ण रूप से स्थापित हो चुके हैं| अब यहॉं से उन्हें बस अपने देश के कप्तानों को पीछे छोड़ने का काम करने होगा, बांग्लादेश और ऑॅस्ट्रेलिया को भी हराना होगा, क्योंकि विंडीज़, लंका, द.अ़फ्रीका, न्यूज़ीलैंड और इंग्लैंड को बुरी तरह से हराया है| इन पंच देशों को हराना भी मामूली काम नहीं था, यही सिलसिला और यही हैरतअंगेज़ कहानियों की दास्तान अगर कोहली लिखते चले जाएँगे तो भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के नये पुराने सभी खिलाड़ियों के लिए एक नया स्वर्गयुग तैयार हो सकता है, हो चुका है, और होता रहेगा|  

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