तीन चार या छह भाई जिस घर में होते हैं उस घर बहुत बदनामी होती है
महानगरों में जीवन से लड़ता आदमी - 5
तीन चार या छह भाई जिस घर में होते हैं उसमें से दो या तीन भाई की बहुत ही बदनामी होती है, बाक़ी का एक भाई हर रिश्तेदार के पास घूम-घूमकर अपने भाईयों की बुराई करके झंडे पर चढ़ा रहता है और बहुत इज़्ज़त पाता है, लेकिन भगवान सभी को न्याय देते हैं, बदनाम भले ही कोई किसी को कर ले
तीन या चार या सात भाई किसी घर में होते हैं तो भ एक दो भाई को पैसा कमाने में बहुत कमज़ोर बना देते हैं| लेकिन उनसे शरीर और दिमाग़ की बहुत सारी मेहनत करवा लेते हैं| आजकल घर में उसी भाई की इज़्ज़त होती है जो आजकल के ज़माने में पैसा ज़्यादा कमाने वाला भाई होता है, और वह अपने कमज़ोर भाईयों पर हावी बुरी तरह से हो जाता है| मगर कमज़ोर भाईयों की बीवियॉं बड़ी ही होशियार होती हैं, वह अपने कमज़ोर पतियों को सम्मान दिलाने की पूरी कोशिश करती हैं|गवान ही क्या करते हैं कि दो भाईयों को पैसा कमाने में बहुत ही होशियार बना देते हैं| बाक़ीकमज़ोर पति की बीवी पूरी बिरादरी और यार-दोस्तों में बताती है कि कैसे बड़े भाई लोग तिजोरी पर हाथ साफ़ करते रहते हैं और छोटों को बेवकूफ़ का बेवकूफ़ बनाये रखते हैं| पत्नी बतलाती है कि कैसे बड़े भाईयों ने जायदाद का पूरा पैसा जवानी में लुटा दिया, अपनी शादियॉं तो जायदाद के पैसे से करवा लीं और छोटे भाई की शादी करवाकर कहा कि हम बड़े भाई तो पूरी तरह से क़र्ज़े में डूब चुके हैं| और जब बँटवारे का समय आता है तो सभी ने कह देते हैं कि हमारे पास तो पैसा है ही नहीं| जिससे छोटे भाईयों को कुछ नहीं मिलता है, वे ठनठन गोपाल हो जाते हैं|
अक्सर देखा गया है कि बड़े दो या तीन भाई बहुत ही होशियार होते हैं| वे सारे ननिहाल और ददिहाल में जाकर अपने से छोटे भाईयों की बेहद बुराई करने लग जाते हैं| वे जो बातें कहते हैं उसमें एक रुपये में सत्तर पैसे झूठ होता है, लेकिन बहुत ही चालाकी से बात करके अपना सिर ऊँचा और भाईयों का सिर नीचा करने की कोशिश करते हैं| जिससे सारे छोटे भाईयों की इज़्ज़त का कचरा हो जाया करता है| छोटे भाई जब भी बेचारे बाज़ार से निकलते हैं कि उन्हें देखकर रिश्तेदार मन ही मन सोचते हैं कि आ गया उल्लू का पट्ठा, निकम्मा, निकट्ठू, सारे घर को लूटकर खा गया है और अभी भी बैठकर मुफ़्त की रोटियॉं तोड़ता रहता है| लोग उससे कहते भी हैं कि तुम तो अपने घर में अपने भाईयों द्वारा नाकारा माने जाते हो| तब उसे बहुत अफ़सोस होता है, वह घर आकर पत्नी से बताता है कि समाज में लोग मुझे बुज़दिल और बेकार का आदमी समझते हैं जबकि मैं जो भी भाई लोग कहते हैं वह बहुत ही मुस्तैदी से करता हूँ| पूरे बैंक के काम करता हूँ, माल ठीक से दुकान में आया या नहीं देखता हूँ, सारा माल गिनता हूँ, स्टॉक की गिनती करता हूँ|
तब पत्नी कहती है कि अबे उल्लू के पट्ठे मेरे पति, तुम जो काम कर रहे हो, वह तो एक चपरासी का काम सरीखा काम है, इसलिए तुम्हारी कोई इज़्ज़त नहीं है| पति यह बात मानता है ही नहीं, वह पत्नी से कहता है, नहीं, मुझे दुकान की सेठ की कुर्सी पर भी बैठाया जाता है, पत्नी कहती है तुम्हें तो तभी दुकान की कुर्सी पर बैठाया जाता है जब तुम्हारे भाई बाहर गये होते हैं, जब तुम वापस आते हो, तब तो तुम्हें वहॉं से उठ जाना पड़ता है| पति ने कहा यह बात तो सच है| पत्नी कहती है तुमको इसी तरह से ज़िंदगी भर भोला बनाकर रखा गया और सारी मलाई तुम्हारे बड़े भाई खाते रह गये|
पत्नी से सबसे पहली बात पति से पूछी, अच्छा सबसे पहले यह बताओ कि पूरे घर का पचास तोले सोना कहॉं ग़ायब हो गया| पति ने कहा बड़े भाई ने लवमैरिज की थी, तो सारा घर को सोना बेचकर की शादी करनी पड़ी थी, पत्नी ने कहा उस पचास तोले में मेरा दस तोले सोना अभी के अभी लेकर आओ, पति ने कहा कि यह सब पूछने की हमारी हिम्मत ही नहीं होती है, हमने घर के मामले में कभी मुँह खोला ही नहीं है, पत्नी ने कहा अबे कूड़मग़ज़ पति यही तो होता रहा, तुम भोले के भोले रहे और भाई सारी की सारी मलाई खा गये| और तुम्हें मलाई के बजाय छाछ देकर ख़ुश कर दिया| यह सब होने के बाद पत्नी कहती है तुम रुको मैं कल से पूरे रिश्तेदारों के यहॉं जाना शुरू करती हूँ देखती हूँ, वहॉं तुम्हारी इज़्ज़त का बही खाता कैसा लिखा जा रहा है| वहॉं वह जाना शुरू करती है| फिर उसे एक-एक राज़ का पता चलता है, उसके भाई उसके दो छोटे भाईयों का रिकॉर्ड कुछ इस तरह से रखते हैं कि हमारे दो छोटे भाई हमारे टुकड़ों पर पल रहे हैं| हम जब मेहनत करके कमाते हैं तभी वे खाते हैं| उन्हें तो कुछ भी काम नहीं आता है| हर बात पर यही कहते हैं कि हमारे बड़े भाई ही बात करेंगे उन्हीं को बात करने का पॉवर है, जबकि बड़े भाई लोग ही कहते हैं कि कोई भी फ़ोन आये तो हमसे ही बात करा देना, क्योंकि कुछ गंभीर बात हो गयी तो बाद में तुम छोटे लोग संभाल ले सकते हो, जबकि होता क्या है सारी बातें बड़ा भाई करके इन छोटे भाईयों को बस गधों की तरह दौड़ता रहता है| सो रिश्तेदारों में छोटे भाईयों की रिपोर्ट सिर्फ़ गधों की तरह हो गयी थी, जबकि सारा काम यही किया करते थे| छोटे की पत्नी यह सारी बातें जब सुनकर आयी तो उसने पति से कहा तुम्हारी इज़्ज़त वहॉं तो गधों से भी बदतर है जबकि तुम आकर मुझसे कहते हो कि सारा काम मैं ही करता हूँ|
पति परेशान हो जाता है क्या सच में ऐसी बात है, जबकि सारी जवानी हमने परिवार का नाम करने में लगा दी, भाई लोग भी कहते थे कि परिवार की इज़्ज़त ही सबसे बड़ी होती है, और सच्चाई यह है कि इधर इज़्ज़त के नाम पर हमारा बैंड बजाया जा रहा था| हमारी इज़्ज़त का फ़ालूदा बनाया जा रहा था| मेरा बड़ा भाई तो मेरी २० साल उम्र तक मुझे बेल्टों से मारा करता था| मॉं-बहन की गालियॉं दिया करता था| बहुत ही अपमान किया करता था. बस दस बार में दो बार सम्मान देकर आठ बार मुझे अपमानित किया करता था| क्या बेकार की ज़िंदगी हो गयी मेरी|
एक तो गधे की तरह काम करते रहो, और बदनाम भी होते रहो| रिश्तेदार भी क्या करते हैं कि एक ही तरफ़ की बात को सुना करते हैं और दूसरे छोटे भाईयों की बात सुना ही नहीं करते हैं| जिससे उन्हें बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी हो जाती है कि सच में छोटे भाई ही हराम के होते हैं और बड़े भाई तो बहुत ही सुशील, संस्कारी होते हैं, बेचारे बड़े भाई ही घर की सारी इज़्ज़त को लेकर चलते हैं| बड़े भाई की इज़्ज़त सालों-साल चलती रहती है| क्योंकि वह सभी से ट्यूनिंग बनाकर रखता है, जबकि छोटे मस्तमौला होते हैं, वे बुराइयों में कम लगे रहते हैं| शादियों में जाकर ख़ूब भोजन पीटते हैं| और छोटे भाई बीस साल, तीस साल और ज़िंदगी भर झूठी बदनामी का ग़म उठाते हुए जीते चले जाते हैं| रिश्तेदार कभी भी छोटे भाई के पास नहीं जाते, शादी का कार्ड भी बड़े भाई के पास रखवाकर चले जाते हैं, जबकि छोटे भाई का घर वहॉं सौ क़दम पर ही होता है| फिर छोटा भाई उन्हें कोसता है तो उनके घर तलाक़, हार्टअटैक, एबॉरशन होने लग जाते हैं, भगवान भी उनसे सवाल करता है एक के साथ प्रेम दूसरे से नफ़रत क्यों, सभी को सम्मान दो, सभी के पास जाओ, चाहे वह ग़रीब हो या अमीर| हमने हज़ारों भाईयों को देखा है जो मरते मर गये बदनाम के बदनाम रह गये, लोग उनकी लाशों पर भी थूकते हुए चले गये, लेकिन उनके मुँह से कभी भी अपने घर के लिए बुरे शब्द नहीं निकले| क्या ऐसे भाईयों को भगवान स्वर्ग में डालेगा या नरक में| हम तो चाहते हैं कि इन छोटे भाईयों को स्वर्ग ही देना चाहिए| जो अपने घर की इज़्ज़त के लिए अपनी ख़ुद की इज़्जत की धज्जियॉं उड़ती हुई सारी ज़िंदगी अपनी आँखों के सामने देखते रह गये| आज भी जो छोटे भाई मरकर दस साल या बीस साल हो गये हैं| उनका भी जब कभी ज़िक्र आता है तो पूरे समाज में यही कहा जाता है कि हरामज़ादा था, कुत्ता था, कमीना था, मर गया साला| धरती का बोझ था कमीना| मगर ये सच्चाई बिल्कुल नहीं होती है, सच्चाई हो सकता है बिल्कुल उल्टी होती है| होती भी है, कई छोटे भाईयों ने बड़े भाईयों की सारी ज़िंदगी मदद ही मदद की है| बड़े भाईयों को बड़ी-बड़ी परेशानियों से निकाला है| हरामज़ादे बड़े भाई होते हैं लेकिन वे पूरी तरह से छोटे भाईयों को नोच नोचकर खा जाते हैं, लेकिन छोटे हैं कि कभी भी उफ़ तक नहीं करते हैं|
आज सारे के सारे संयुक्त परिवार बड़े भाईयों की ग़ुंडागर्दी की वजह से टूट गये हैं| और जहॉं पर बड़े भाईयों ने सच्चा बलिदान किया और सच्ची कहानियॉं अपने बिरादरी में बताई हैं उनका समाज में आज भी सम्मान होता है, लेकिन अपनी ही इज़्ज़त का ख़याल करने वाले बड़े भाई अपने को ही झंडे पर चढ़ाने वाले झूठे, मक्कार, हैवान बड़े भाईयों और उनकी बीवियों की झूठी बुराइयों की वजह से सारे के सारे ख़ानदान पूरी तरह से बदनाम हो गये हैं| यह तो छोटे भाईयों की बीवियों की होशियारी रही कि उन्होंने सच को तलाशना शुरू किया नहीं तो बेचारे छोटे तो बुरी तरह से बदनाम होकर मर भी जाया करते थे|
समाज में क़दम -कदम पर छोटे भाईयों को बुरी तरह से बदनाम करने की कोशिश की गयी है| कहा जाता है कि घर में जितना भी अच्छा हुआ वह बड़े भाईयों के कारण ही हुआ और जो बुरा हुआ वह छोटे भाईयों के कारण हुआ| रिश्तेदार भी बहुत ही ख़राब होते हैं| वे लोग हरेक भाई के पास नहीं जाते हैं, वे जाते हैं वहीं पर जहॉं उन्हें ख़ानदान की बुराइयों का मसाला ज़्यादा मिला करता है| निंदा रस में उन्हें बहुत ही मज़ा आने लगता है| घर में एक या दो भाई बहुत सारी बुराई अपने ही घर की किया करते हैं| उन्हीं के पास रिश्तेदार लोग जाया करते हैं| क्योंकि निंदा रस में उन्हें बहुत मज़ा आता है| और जो कमज़ोर बना दिया जाता है उसे फिर हिक़ारत की नज़रों से बुरी तरह से घूरा करते हैं| उनका नमस्ते भी बहुत चिढ़-कुढ़कर स्वीकार करते हैं या नमस्ते का जवाब ही नहीं देते हैं| जबकि जिसके पास मसाला मिलता है, उसका गले लगाकर स्वागत किया जाता है| उन्हीं को अलग कमरे में ले जाकर रसमलाई खिलाई जाती हैं और जो बुरे बना दिये जाते हैं उन्हें पेठा या पेढ़ा जैसी सस्ती मिठाई खिलाई जाती है|
इसलिए आपने देखा होगा कि छोटी बहू जब भी अपने जेठों और जेठानियों की बुराई करने लग जाती है तो उसे बहुत तेज़ी से बदनाम कर दिया जाता है| कहा जाता है संस्कार नहीं है, बेकार ख़ानदान से आयी है| बड़े लोग चाहते ही नहीं है कि छोटे भाईयों की भी कोई ताक़त बने| वे लोग चाहते हैं छोटे भाई जैसे पहले हमारे तलवे चाटकर जिया करते थे, उसी तरह से तलवे चाटें, हमारे पैरों पर नाक रगड़-रगड़कर जिएँ| छोटे भाई जब भी अलग से पैसा कमाना शुरू करते हैं उनकी बर्बादी का इंतज़ार किया जाता है| ताकि में सड़क पर आ जाएँ, बड़े भाईयों के पास बर्बाद होकर जाएँ, उनके पैरों में लोटांगन करें, नाक रगड़ें, तब वे छोटों को बुरी तरह से गंदी गालियॉं देते हैं तो तब जाकर उनके दिल को ठंडक मिलती है और कुत्ते की तरह कुछ हड्डी डालकर उन्हें वहॉं से रवाना कर दिया जाता है| घर की बड़ी बहू बहुत चाहती हैं कि रिश्तेदारों में जिस तरह से हमारा पच्चीस साल से बेहतरीन रिकॉर्ड चला आ रहा है| वह रिकॉर्ड हमेशा बना रहे| लेकिन छोटी बहू सोचती है कि मेरा पति मर मरकर काम करता रहा और उसे इज़्ज़त तो नहीं दी गयी, उल्टे उसको बदनामी उठानी पड़ी| मैं ऐसा नहीं होने दूँगी| सच में सभी को ईमान, सच्चाई और सम्मान से जीने का हक़ मिलना चाहिए| हम उन सभी छोटे भाईयों के प्रति सिर झुकाते हैं जो बड़े भाईयों के ज़ुल्म को ज़िंदगी भर सहते ही रहे, सहते ही रहे| सच कहा गया है कि अपनों से बच के रहना ग़ैरों से तो निपट लेंगे|
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