लोग कहते हैं कि दो बेटे अच्छे होते हैं जबकि दो बेटियॉं ज़्यादा अच्छी होती है
लोग कहते हैं कि दो बेटे अच्छे होते हैं जबकि दो बेटियॉं ज़्यादा अच्छी होती है, दो बेटों की दो बीवियॉं आती हैं तो देवरानी-जेठानी में जीवन भर झगड़ा चलता ही रहता है, एक लव मैरिज की बहू हो तो रोज़ की महाभारत चलती रहती है
पुराने ज़माने में हरेक शादी पंद्रह से बीस साल की उम्र के बीच में ही कर दी जाती थी, बड़े-बूढ़े लोग ही शादी कर देते थे| केवल अपने हिसाब का परिवार देखा जाता था, सुंदरता नहीं देखी जाती थी, लंबा दूल्हा ठिगनी दुल्हन ढूँढी जाती नहीं थी बल्कि, मिलते ही शादी कर दी जाती थी| लड़का-लड़की अलग-अलग छतों से देख लिये जाते थे| शादी पहले से तय कर दी जाती थी| कुछ पसंद-नापसंद की बात होती ही नहीं थी| शादी मिल बॉंटकर कर दी जाती थी, तो दहेज़ देना पड़ता था, सारा जीवन कुछ न कुछ देना ही पड़ता था, लेकिन दोनों परिवार मिलजुल कर रहा करते थे|
यह सिलसिला सारी ज़िंदगी चला करता था, लेकिन स्कूल-कॉलेज से लोग लड़के, लड़की को भगा ले जाते थे, दोनों परिवार की बहुत ही बेइज़्ज़ती होती थी, और सारी ज़िंदगी लव मैरिज की मियॉं-बीवी के घर वाले एक दूसरे को बुरी निगाह से देखा करते थे| जब लव मैरिज की मियॉं-बीवी को बच्चा हो जाता है तब जाकर बच्चे के ननिहाल वाले एक दूसरे से मिलना शुरू करते हैं वरना नहीं मिलते हैं|
लव मैरिज की शादी होती है तो लड़के के माता को बहुत ही तकलीफ़ होती है, क्योंकि अक्सर आजकल लव मैरिज की लड़की अपनी सास को अच्छी तरह से इज़्ज़त नहीं करती है, एक हद तक ही देखती है, नहीं तो बुरी तरह से उनको नज़रअंदाज़ करती चली जाती है| लव मैरिज के पति-पत्नी में प्रेम करने की गर्मी बहुत ज़्यादा होती है, अरेंज मैरिज के पति-पत्नी एक घंटे तक प्रेम करते हैं शादी के दो साल तक, तो लव मैरिज के पति-पत्नी प्रेम शुरू करते हैं तो इनकी फ़िल्म तीन घंटे की लगातार चलती ही रहती है| पहले आज क्या-क्या हुआ बात करते हैं, फिर उसके बाद छिछोरी बातें करते हैं, फिर खी खी खी खी उन बातों पर हँसते हैं, फिर किसी बात पर गंदी गालियॉं देते रहते हैं, इसमें पत्नी को बराबर हक़ रहता है इसलिए लव मैरिज में पत्नी गंदी गालियॉं भी देती हैं और प्यार-प्यार से पति को दे दनादन थप्पड़ लात, ठोंगे, धप्पे, कोनियॉं मारती रहती है, पति भी साला बेग़ैरत होता है, सहता भी जाता है| फिर उसके बाद आलिंगन, चुंबन और फिर...अब आगे आप समझदार हैं| सो, इनकी तीन घंटे फ़िल्म चलती रहती है, रात में सोते हैं तो सुबह आठ बजे उठते हैं तब तक सास का बुरा हाल हो जाता है, वह बहू का इंतजार करती ही रहती है लेकिन बहू उठती ही नहीं है| फिर मन ही मन कुढ़ते हुए सास ही सारा काम कर लिया करती है|
हर पॉंचवें घर में आजकल एक बहू लव मैरिज की होती है, दूसरी बहू अरेंज मैरिज की होती है, इन बहुओं की सास अरेंज मैरिज की बहू को बहुत चाहती है, और लव मैरिज की बहू को ज़िंदगी में बहुत ही कम चाहती है| क्योंकि अरेंज के पास से अक्सर शादी-त्योहारों पर भोजन वगैरह लगातार आता ही रहता है| सास को भी साल में एकाध साड़ी मिल जाया करती है| ससुर को भी कपड़े मिल जाया करते हैं| इधर लव मैरिज की बहू ठनठन गोपाल होती है, उसके घर से किसी भी तरह का भोजन नहीं आया करता है| जब भी अरेंज बहू के पास से सामान आता है तो बेचारी लव मैरिज की बहू दो दिन तक बहुत ही नाराज़ होती है| सास भी बहुत ही चालू होती है, वह अरेंज बहू का सामान बहुत ही ख़ुशी से दिखाया करती है, वह लव मैरिज की बहू को बहुत ही सताया करती है| बात-बात में ताने भी बहुत ही मारा करती है| लव मैरिज की बहू की बहुत बुरी कहानी यह है कि उसका मायका बहुत ही पैसे वाला है, लेकिन उसके मायके वाले अपनी बेटी की लव मैरिज की करतूत से बहुत ही नाराज़ हो गये थे, आज शादी को बारह साल हो गये हैं कि उसके मायके वाले कहते हैं कि तू हमारे लिए मर चुकी है, उसकी तरफ़ देखते भी नहीं हैं, बहू को कुछ लेने-देने की बात तो दूर की है|
लेकिन अरेंज बहू के साथ बहुत दुख भरी कहानी है जो अरेंज बहू के मायके वाले किसी से कहते ही नहीं है| दरअसल अरेंज बहू के मायके वाले बहुत ही ग़रीब हैं, वो उतना ही कमाते हैं जितना कि ज़रूरत होती है, उससे ज़्यादा उनके पास पैसा नहीं है| लेकिन ससुराल वाले बहुत सारा सामान और पैसा लगातार मँगवाते हैं ताकि वे लव मैरिज को जलाभुना सके, लेकिन अरेंज बहू के मायके वाले पैसे से बिल्कुल ही ठीक नहीं हैं, उनका ही गुज़ारा बहुत ही मुश्किल से होता है| जब भी अरेंज बहू के ससुराल से पैसे की मॉंग आती है तो उसके मायके वाले बहुत ही परेशानी में पड़ जाते हैं| वहॉं से पिछले दो महीने पहले डिलेवरी के लिए अचानक सात हज़ार रुपया मँगवाया गया तो बहुत ही परेशानी हो गयी, इधर माता ने अपनी अरेंज बेटी से कहा कि तुम्हें पता है कि हमारे घर की हालत किस तरह से चल रही है, तुमने मना कर देना चाहिए था ना| अरेंज बेटी ने कहा कि मम्मी मेरी यहॉं पर बहुत ही इज़्ज़त है लोग यहॉं कहते हैं कि आपके यहॉं से बहुत सामान आता है| आपका परिवार बहुत ही अच्छा है, लेकिन माता ने कहा कि तेरी तो बहुत तारीफ़ होती है, लेकिन हमारा हाल पैसा जुटाने में कितना बुरा हाल हो जाता है, वह ज़रा यहॉं आकर देख, तेरे सात हज़ार रुपये जमा करने के लिए मेरी हालत बुरी हो जाती है, पहले ही पिता भी नहीं रहे, वो रहते तो कुछ हिम्मत तो मेरी रहती थी| इससे एक हज़ार, उससे दो हज़ार, उससे पॉंच सौ रुपया इस तरह से पैसा जुटाना पड़ता है, और फिर यह सारा क़र्ज़ हम फेड़ देते ही हैं कि तू कुछ और शुरू कर देती हैं, ये तेरा सिलसिला चलता ही रहता है, हम ठीक से संभल ही नहीं पा रहे हैं| हर साल में तेरे ससुराल के शहर से कोई न कोई हमारे शहर को आते रहते हैं उनको दो चार दिन तक शहर में ठहरने का इंतज़ाम करना पड़ता है, उनको स्टेशन से लाना, चार दिन भोजन कराना, नहीं तो दिन रात उनकी सरबराइयॉं करते ही रहना पड़ता है| अरेंज बेटी यह सारी बातें सुनती है, वह पति को यह सारी बातें नहीं सुनाती है, क्योंकि पति तो कहता है कि यह सब तो करना ही पड़ता है|
इधर अरेंज पत्नी के पति के साथ एक बहुत बुरी बात यह है कि वह अपनी भाभी के बातें में बहुत रहता है, यानी लव मैरिज की बहू यानी भाभी के बातों में रहता है, हालॉंकि वह भाभी और देवर का संबंध है लेकिन शुरू से ही देवर भाभी की ही बातें सुनते रहा है, इसलिए वह देवर अपने भाभी के बच्चों को ही बहुत चाहता है, अपने बेटे को कम चाहता है, एक बार देवर की बीवी बहुत ग़ुस्से में बोली की भाभी के बच्चों से ज़्यादा चाहते हो, क्या वो तुमसे हुए बच्चे हैं क्या? इतना कहना था कि उस दिन बीवी की बहुत पिटाई पति ने कर दी| पत्नी को लात और घूँसे से इतना पीटा कि पीठ और पैर में दर्द हो गया था, दो दिन तक वह रोती रही, उस दिन सोचा कि बाहर के शहर में मायका नहीं होने से कहीं भाग कर जाया भी नहीं जा सकता है| उस दिन से बहू को बहुत दुख हुआ कि अपना पति अपनी ही बात नहीं सुनता है, उसकी भाभी उस दिन उसकी पिटाई देख रही थी, लेकिन रोकने को सामने नहीं आयी, क्योंकि भाभी को इस बात का मज़ा आ रहा था कि इसके मायके से बहुत सारा पैसा सामान आता है इसका आज भरपूर मज़ा लेती हूँ| जब दूसरे शहर में शादी होती है तो जैसे भी हालत हैं उस पर हम लोग किसी तरह की बात कर भी नहीं सकते हैं| जो भी है वह देखते भालते हुए भी सहना ही पड़ता है|
लव मैरिज की बहू इन सब बातों का बहुत मज़ा ले रही थी, और अरेंज मैरिज की बहू को सता रही थी, यह सब देखकर सास ने एक काम किया कि जो उसकी अरेंज मैरिज की बहू जो बहुत ही पसंदीदा थी, उसको अपने गॉंव में लेकर आ गयी| और बहू के साथ रहने लग गयी, वह इस बहू को बहुत ही सुख से रखा करती थी, बहू को किसी तरह की तकलीफ़ नहीं होने देती थी|
लेकिन अरेंज पत्नी के साथ सबसे बड़ा दुख था कि उसका जो पति था वह अपनी ही भाभी और भैया के साथ रहने की ज़िद्द करता रहता था, और उसे पत्नी की परवाह ही नहीं थी, वह भाभी के साथ ही रह रहा था| बात करते ही कहता था कि मेरा व्यापार इसी शहर में है, मैं चाहता हूँ कि मेरी पत्नी मेरे साथ रहे, पत्नी को क्या था कि भाभी की हरकतें बिल्कुल पसंद नहीं आती थीं, और पति भी भाभी की हर बात सुनता था इसकी सुनता ही नहीं था|
इस तरह से संसार पलट जाता है, बदल जाता है, क्योंकि लव मैरिज की बहू को जब बुरी तरह से नाकारा गया तो उसने देवर को पटा लिया था और देवर को जैसा चाहे वह नचा रही थी, आजकल लोग इसी तरह से दॉंव पर दॉंव घर में खेला करते हैं, अपनी नहीं चलती है तो दूसरी तरह से कोशिश करके, अपने हाथ में बाज़ी ले लेने की कोशिश करते हैं|
इसलिए कहा जाता है परंपरा से जीवन जीना चाहिए| जो भी परंपरा से हटते ही सारा जीवन ही पूरी तरह से चौपट हो जाता है| एक बार अरेंज पत्नी ससुराल से निकलकर अपने मायके में आयी, उसने सारी बातें अपनी माता से कही, माता ने कहा कि अगर तेरा पति तेरा नहीं है तो उसको तलाक़ दे दे| यहॉं बहुत सारे रिश्ते आते रहते हैं, तेरे को बेटा हो तो भी मैं तेरी दूसरी शादी करवा देती हूँ| अपने बेटे को लेकर आ जा| अरेंज पत्नी आकर तलाक़ की बात पति से कर दी| पति का संयुक्त परिवार था, तो वह घबरा गया| उसने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया| तीन महीने तक मनाने लग गया, उसके बाद पत्नी के शहर उसे लेने आ गया, पति के आने के बाद अरेंज पत्नी ने तलाक़ लेने के लिए बिरादरी की मीटिंग बुलवाई| तो पति ने कहा कि मेरी इतनी बेइज़्ज़ती करने की क्या ज़रूरत थी| पत्नी ने कहा कि मुझे जिस तरह से ससुराल में पीटा था, उसी तरह केवल हमारा परिवार होता तो उनके सामने भी पीट देते थे| बिरादरी के बीस लोग हैं इनके सामने तुम्हारी पहले पूरी तरह से इज़्ज़त उतारनी थी, और मैं तो तलाक़ के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ| तुम्हें मुझे ज़रूरत थी इसलिए तो आये हो| पत्नी ने सारी बिरादरी के सामने पति की ग़लती क़बूल करवायी और तभी जाकर उसके साथ गयी| और कहा कि मेरे माता और किसी से भी किसी भी तरह की सामान मँगवाने को भी रुकवाना चाहिए| यह क्या तुम लोगों ने तमाशा बना लिया है, कि मुँह उठे और सामान मॉंगते रहते हो| तुम्हें याद नहीं है कि तुम लोगों ने कहा था कि शादी के पहले कि, तुम्हारी बेटी बहुत सुंदर है, आप कुलीन हो, हम ही आपको तीन लाख रुपया गिफ़्ट के लिए देते हैं आपकी बेटी से शादी करने के लिए, एक फूटी कौड़ी नहीं दी, और अब शैतानों की तरह हमसे ही पैसे क्यों मॉंग रहे हो| इंसान है या दरिंदे हो तुम| पति ने कहा मेरी मॉं, तुम्हारे पैर पड़ता हूं सारी बिरादरी के सामने, मेरी और ज़्यादा बेइज़़्ज़दी मेरी मत करो, अब इज़्ज़त की धज्जियॉं मत उड़ाओ चलो, घर को, और सारी बातें एक लिस्ट पर लिखवाकर सारी बिरादरी को दी गयी और दोनों गॉंव हँसी ख़ुशी चले गये|
Good post however I was wondering if you could write a litte more on this
ReplyDeletesubject? I'd be very thankful if you could elaborate a little bit
further. Many thanks!